शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट 3

हमारी कंपनी बहुत ही दूरदर्शी है, जब से दूरदर्शन पर महाभारत देखी, और विशेषता वोह अभिमन्यु का माँ के पेट में चक्रव्हूय तोड़ना सीखना; तब से ठान लिया कि जो जहाँ है उसको वही पढायेंगे बस फिर क्या था यह ट्रेनिंग कंटेंट का बिज़नस खोल लिया। कितनी समानता है अभिमन्यु कि ट्रेनिंग और हमारी ट्रेनिंग में - पढ़ तो लेते है पर दिया गया कार्य बस पूरा नही कर पाते। फिर से न आप .....अरे यह स्टुडेंट कि प्रॉब्लम है।

हम बहुत ही प्रोसेस ओरिएंतेद कंपनी है, कोई भी काम जो ऑनलाइन हो सकता है उसकी हार्ड कॉपी ज़रूर मांगते है आखिर इस इन्टरनेट का क्या भरोसा कब बंद हो जाए इसलिए हार्ड कॉपी टीओ होनी ही चाहिए...उसमे तो सिर्फ़ फटने और आग लगने का ही डर है।

हमारे प्रोसस्सेस कि तो मिसाल दुनिया में कम ही मिलती है, अब आप इस ओये पंगा मत ले (OPM) टूल को ही लीजिये, इससे क्लाइंट कभी भी यह पता नही लगा सकता कि उसके प्रोजेक्ट में चल क्या रहा है...अरे....हम क्लिएंट्स को दर्द कम देना चाहते है। सुना नही आपने ...जितना कम जानोगे उतना खुश रहोगे।

हम ओंन दा जॉब तालीम में विश्वास रखते है...कहते है इससे एक्सपेरिएंस मिलता है..तभी तो हमारे सारे साथी सीधे क्लाइंट के काम पर हाथ साफ़ करते है, इसका फायदा यह भी होता है कि क्लाइंट को भी हमारे साथियों के साथ ज्यादा वक़्त बिताने को मिलता है। अब वोह रिलेशनशिप ही क्या ..जिसमे कुछ खट पट न हो...मतलब learning।

गुरुवार, 30 अक्तूबर 2008

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट 2

रसातल मिला कर हमारे यहाँ ५ माले हैं। रसातल जैसा नाम है वैसा ही है ...बरसात में सर्वर रूम के कंप्यूटर बेचारे मेंडक बन के अपनी जान बचाते है। भाई अब जब बारिश होगी तो पानी कही न कहीं तो जायेगा ही, सड़क पर भरने के बाद तो रूम्स में ही तो जायेगा न। अब हम कोई नगर निगम तो है नही तो पम्प लगा के पानी बहार फेंक देंगे। वैसे रेसन्त्ली हमारी लीडरशिप टीम की मीटिंग में यह मुद्दा उठा था, हम लोग अपने कार्यालय को एनवायरनमेंट फ्रीएंद्ली बनाने का सोच रहे है ...शायद अगली साल तक वाटर-हार्वेस्टिंग प्लांट लगा देंगे। इससे आए दिन शौचालयों में होने वाली पानी की किल्लत भी मिट जायेगी।

हमारा सारा कार्यालय वातानुकूलित है। बस हम कार्बन क्रेडिट्स एअर्ण करने के कारन चलते नही। वैसे पाये तो फायर एक्ष्तिउन्गुइशेर्स भी है और स्मोके देतेक्टोर्स भी लेकिन हम उनको बंद ही रखते है क्युकी चलने से पैनिक फैलता है।

मैं और मेरी नौकरी

आज बैठे बैठे यह ख्याल आया कि थोड़ा टाइम ही बरबाद किया जाए, इसलिए खोपडी पर कम होते बालों को खुजाते हुए सोचा चलो कुछ अपनी नौकरी के बारे में ही लिख दिया जाए। नौकरी वैसे बड़ा ही अजीब सब्द है, मुझे आज तक न पता चला कि इसके सही मायने क्या है। पर मुझे क्या मुझे तो कुछ बकवास करनी है तो कर रहा हूँ।

सुना है हमारे कार्यालय मैं ७०० लोग काम करते hain लेकिन आप मेरा यकीन जानिए मैं सिर्फ़ २०-३० से ही मिल पाया हूँ पिछले ६ साल में (आप भी सोच रहे होंगे कि मैं कितना आलसी हूँ....सही सोचा !!)। अब आप यह पूछिएगा कि इन २०-३० में कितने पुरूष और कितनी महिलएं हैं। कैसा प्रशन है - मैं कोई जनसँख्या अधिकारी हूँ !

चलिए अब आपको कार्यालय के अंदर ले चलता हूँ, अरे अंदर कैसे पहले बहार का वर्णन तो कर दूँ। जैसे ही आप हमारे कार्यालय के बाहर कदम रहेंगे आपको ट्रैफिक जाम का सा अनुभव होगा और हमारे अदमिन के लोग बिल्ला लटकाए जाम को निहार रहे होंगे साथ में सिक्यूरिटी गौर्ड लिए। अरे आप भी न - भाई उनका काम ऑफिस का एडमिनिस्ट्रेशन देखने का है न कि ट्रैफिक जाम देखने का। हमारे यहाँ के एम्प्लोयीस भी बड़े अच्कोमोदातिंग है और २० कार कि पार्किंग में १०० कार लगा देते है (आखिर दूसरे ओफ्फिसस कि खली ज़मीन है किसलिए)।

जैसे ही आप कदम गेट के अंदर रखेंगे आपका सामना २ काले काले यंत्रों से होगा जिसमे आपको आपकी ऊँगली डालनी होती है, जैसे ही आप ऐसा करते है यह यन्त्र कुछ अंग्रेज़ी में बोलते है और फिर कहते है ...पहचाना नही ... कोई नही ....हमारे अदमिन वाले नाम कॉपी में लिख लेते है ...मैं समझ गया ...मशीन आदमी कि जगह कभी नही ले सकती ।

अब बारी आती है आपकी तलाशी की, अपना झोला चेक करना होता है हमारी मुस्तैद सिक्यूरिटी को ...सुना है महिलाओं को इस पर बड़ी आपत्ति है - आज तक समझ न आया यह महिलाएं अपने झोले में लाती क्या है? बसता चेक्किंग के बाद आप सीधे पहुँचते है एक ऐसे एरिया में जहाँ लगता है जैसे पहारगंज के होटल पहुँच गए - आख़िर सोफा, भरे पानी के गिलास आपको वहां कि याद तो दिलाएंगे ही!