मंगलवार, 2 दिसंबर 2008

में और मेरी नौकरी -पार्ट १०

आप सोच रहे होगे की पिछले १० दिन से कहाँ लापता हो गया मैं। बड़ी उधेड़बुन में था...जब से यह मुंबई में थैंक्स गिविंग का उत्सव २ बड़े बड़े होटलों में मनाया गया। जानकार इस उत्सव को आतंकबाद कह रहे है है॥ पहले लगा की यह आतंकबाद कोई शहर का नाम है जैसे गज़िअबाद, हैदराबाद आदि। पर बाद में मेरी मोटी बुद्दि में अटा की भइया यह तो कुछ और ही है॥

तुंरत विचार कुलाचें मारने लगे कि हमारा कार्यालय इस आतंकबाद से निपटने के लिए कितना तैयार है॥ आईये आपको इससे अवगत कराता हूँ॥

जैसा कि आपको पहले समझा चुका हूँ कि हमारे कार्यालय में घुसने पर एक तो आतंकवादी तो अपनी उंगली काली मशीन में डाल कर पहचान करनी होगी..जैसा आपको पता है मशीन पहली या दूसरी बार में तो किसी तो नही पहचानती सो आतंवादी भाई तो रजिस्टर में एंट्री करनी होगी और वोह पकड़ा जाएगा॥ अगर इससे भी काम न बना तो बसता चेक्किंग में तो ज़रूर ही धर लिया जायेगा...अब छुपा के तो हम लोग भी रोज जाने कितनी वर्जित चीजे लाते और ले जाते है है॥ सोचिये इतनी सघन जांच के बाद बेचारा आतंकवादी विसिटर का बिल्ला गले में लटकाएं अंदर दाखिल होगा...फिर उसकी मुसीबत ...विसिटर तो लोबी के आगे अलावुद ही नही है। लोबी में तो उससे बड़े धुरंदर हैं॥

जैसे तैसे बेचारा सबकी नज़र बचा के कही रसातल में पहुच भी गया तो उसके द्वारा किए गए नुक्सान पर भी टी डी एस काटने के लिए हमारा अच्कोउन्ट्स डिपार्टमेन्ट तो है ही॥ बिचारा आतंकवादी... ज़िन्दगी गुज़र जायेगी पर यह न समझ पायेगा कि क्या पाया क्या खोया॥

वहां से बचा तो सीधे सर्वर रूम में जा फंसेगा..वहां तो पहले से ही ऐसे लोगों को पकड़ने के बड़ी बड़ी जाली वाली रेक्स लगायी गई है ..कि आतंकवादी आए और हम उसको बंद करें॥ इसीलिए तो उनको खाली रखा है..अब सर्वर ज्यादा ज़रूरी है या सुरक्षा..आप ही बताइए॥ अगर गलती से आतंकवादी ने एक दो धमाके किए तो समझो वोह तो गया काम से... सी डी , सी डी या हार्डडिस्क हार्डडिस्क या सर्वर सर्वर फेंक फेंक कर चलनी कर देंगे॥ आखिर दूरदर्शिता इसी को कहते है...सारा सामान लोहा लाट पुराने ज़माने का रखा है...कि चोट लगे तो ज़रा धमक आतंकवादी के आकाओं तक जाए॥

सुना यह आतंकवादी लोग हमले के टाइम अपने कार्यालय के संपर्क में निरंतर रहते है॥ अब यहाँ भी हमारी दूरदर्शिता देखिये ..आईएसडी तो किसी फ़ोन से मिलेगी ही नही..अगर फ़ोन लगेगा भी तो सिर्फ़ अमरीका ...जहाँ इन बेचारों के दुश्मन आँख गडाये पहले ही बैठे है॥ ऊपर से इन लोग कि कोड वर्ड वाली भाषा का भी अर्थ का अनर्थ होते देर न लगेगी हमारी टेलीफोन लाइन पर...भाई पूछेगा ..हमला कर दूँ...उधर उसके आका को समझ आएगा हाँ मेल कर दो.... हो गया सत्यानाश... आया था नाश करने और फंस गया हमारे ईमेल सर्वर के जाल में॥

अब मान लीजिये कहीं धमाके से आग लग भी गई तो उसका भी पूरा प्रबंध है...उस पर फायर बुझाने वाले यन्त्र का इस्तेमाल करेंगे॥ सुना है इस यन्त्र से फोम निकलता है..बताओ आग कि आग बुझाये और साथ में नहाने और शव बनाने के लिए फोम भी। वैसे इसको चलने कि विधि का फ अ क्यू बोर्ड पर चिपका है..सो पढ़ के अवश्य चला ही लेंगे॥

यह लोग सुना बंधक भी बनाते हैं अपनी बात मनवाने के लिए॥ सोचिये हमारे यहाँ अगर महिलाएं बंधक बनी तो बेचारा पागल हो जायेगा..एक तो उनकी बातें और दूसरा हर घंटे वाशरूम का चक्कर देखने को कि कहीं लिपपेंट बिगाडा तो नही॥ आखिर पूरा इवेंट टेलिविज़न पर लाइव जो आह रहा है॥ और पुरूष भाई लोग तो उससे भी खतरनाक..वोह तो तुंरत बोलेंगे आज कि फ्री में पगार दिलाने के लिए धन्यवाद् आतंकवादी भाई॥ कहते है कि बंधक के लिए यह लोग पैसे मांगते है...पैसे और यहाँ...मैनेजमेंट यही बोलेगा..भाई इन सब को रख लो वैसे भी कोस्ट-कटिंग में अगला नम्बर इन सब का ही था॥ बेचारा ज्यादा देर तक बंधक न रखेगा क्युकी टीवी पर भी सिर्फ़ दूरदर्शन ही आह रहा होगा...कैसे टाइम कटेगा उसका॥

यानि सौ आने कि बात यह है कि हमारा कार्यालय पूरी तरह तैयार है इन आतंकवादियों के लिए॥