गुरुवार, 14 मई 2009

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट १२

दोस्तों, चुनाव का मौसम है, आइये आपको अपनी कार्यालय रूपी डेमोक्रेसी से आपको दो चार करता हूँ

भारत की तरह हमारे कार्यालय में भी डेमोक्रेसी है बस सिर्फ़ सरकार का बदलाव ५ साल की जगह हर पाँच महीने में ही होता है॥ भारत के चुनाव में हर १८ साल से बड़ा व्यक्ति मतदान कर सकता है परन्तु हमारे यहाँ यह अधिकार ४० साल से ज्यादा वाले लोगों को ही प्राप्त है॥

पार्लियामेंट के हर चुनाव के साथ जनसँख्या वृधि के कारन कुल सीट बड़ा दी जाती है परन्तु सारे संसद सदस्य उसी पार्लियामेंट में आ जाते है वैसे ही हमारे कार्यालय में भी कितने भी लोग क्यों न हो समां ही जाते है॥

जितने भारत में राज्य है तकरीबन उतने ही हमारे यहाँ विभाग है॥ हर विभाग राज्यों की तरह केन्द्र की सहायता पर निर्भर रहता है॥ इसी कारन विभागों की सरकार गिराने में भी केन्द्र का महत्तपूर्ण योगदान रहता है॥ केन्द्र की घटबंधन की सरकार की तरह हमारे यह विभाग भी एक दुसरे को पटकने के लिए सदा तत्पर रहते है॥ जैसे केन्द्र कि सरकार में सारे महत्वपूर्ण विभाग सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ लोगो को मिलते है वैसे ही हमारे यहाँ...

जैसे सरकार में जितने संसद सदस्य उतने ही मंत्री वैसे ही हमारे यहाँ जितने एम्प्लोयीस वोह सारे ही मेनेजर। कई बार तो सरकार की तरह ही बिना विभाग के मेनेजर भी पाये जाते है॥ अलबत्ता मुझे कहते हुए गर्व होता है कि नारी शशक्तिकरण के मामले में हमारा कार्यालय भारत सरकार से बहुत आगे है॥ ज्यादातर मेनेजर महिलाये ही है॥

केन्द्र के हर मंत्री को सुरक्षा मुहैया करायी जाती है वैसे ही हमारे कार्यालय में हम सभी ने एक सुरक्षानामे पर हस्ताक्षर करके अपने आप को सुरक्षित कर लिया है॥ कार्यालय में किसी तरह ही हिंसा न हो इसलिए सिक्यूरिटी गौर्ड्स के हथियार भी वापस करा दिए गए है॥

संसद एक हरिटेज बिल्डिंग में गिनी जाती है ठीक हमारे कार्यालय के समान। आपको तो पता ही है किसी भी हेरिटेज बिल्डिंग में कुछ जीर्नौधार कराने से पहले अर्चेओलोगिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया कि अनुमति लेनी पड़ती है वैसे ही हमारे यहाँ भी...। पुराने हुए या टूटे हुए हिस्सों कि मर्रम्मत में हमेशा यह ध्यान रखा जाता है कि मरम्मत भी आर्ट वर्क ही लगे॥

संसद में पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद एक दूसरे पर उंगली उठा सकते है आपने देखा ही होगा उसका परिणाम यह होता है कि लोग संसद में काम ही नही करते॥ इसीलिए उंगली उठाने का अधिकार हमारे यहाँ सिर्फ़ सत्ता पक्ष को दिया गया है...अब इस प्रयोग के बाद लोग काम करते है या नही यह अभी तय नही हो पा रहा॥

संसदीय परंपरा में हर समस्या के लिए एक कमटी का गठन किया जाता है, हम भी इस परम्परा का पालन बखूबी करते है और हर कमटी कि रिपोर्ट या तो निकल ही नही पाती या उसमे यही निकलता है ...गलती दुसरे (क्लाइंट) की ही थी॥

चुनाव ख़तम हो गए है इसलिए यह पोस्ट भी ख़तम कर रहा हूँ॥ नई सरकार के बारे में लिखूंगा १६ मई के बाद॥ तब तक ... :)

1 टिप्पणी:

Neha ने कहा…

Main aapki fan ho gayi huin....aap aise hi likhte rahiye....this blog is one reason that I have started looking forward to all the crazy changes that keep happening around here... I know that at least yahan toh thodi relief milegi!