मंगलवार, 2 दिसंबर 2008

में और मेरी नौकरी -पार्ट १०

आप सोच रहे होगे की पिछले १० दिन से कहाँ लापता हो गया मैं। बड़ी उधेड़बुन में था...जब से यह मुंबई में थैंक्स गिविंग का उत्सव २ बड़े बड़े होटलों में मनाया गया। जानकार इस उत्सव को आतंकबाद कह रहे है है॥ पहले लगा की यह आतंकबाद कोई शहर का नाम है जैसे गज़िअबाद, हैदराबाद आदि। पर बाद में मेरी मोटी बुद्दि में अटा की भइया यह तो कुछ और ही है॥

तुंरत विचार कुलाचें मारने लगे कि हमारा कार्यालय इस आतंकबाद से निपटने के लिए कितना तैयार है॥ आईये आपको इससे अवगत कराता हूँ॥

जैसा कि आपको पहले समझा चुका हूँ कि हमारे कार्यालय में घुसने पर एक तो आतंकवादी तो अपनी उंगली काली मशीन में डाल कर पहचान करनी होगी..जैसा आपको पता है मशीन पहली या दूसरी बार में तो किसी तो नही पहचानती सो आतंवादी भाई तो रजिस्टर में एंट्री करनी होगी और वोह पकड़ा जाएगा॥ अगर इससे भी काम न बना तो बसता चेक्किंग में तो ज़रूर ही धर लिया जायेगा...अब छुपा के तो हम लोग भी रोज जाने कितनी वर्जित चीजे लाते और ले जाते है है॥ सोचिये इतनी सघन जांच के बाद बेचारा आतंकवादी विसिटर का बिल्ला गले में लटकाएं अंदर दाखिल होगा...फिर उसकी मुसीबत ...विसिटर तो लोबी के आगे अलावुद ही नही है। लोबी में तो उससे बड़े धुरंदर हैं॥

जैसे तैसे बेचारा सबकी नज़र बचा के कही रसातल में पहुच भी गया तो उसके द्वारा किए गए नुक्सान पर भी टी डी एस काटने के लिए हमारा अच्कोउन्ट्स डिपार्टमेन्ट तो है ही॥ बिचारा आतंकवादी... ज़िन्दगी गुज़र जायेगी पर यह न समझ पायेगा कि क्या पाया क्या खोया॥

वहां से बचा तो सीधे सर्वर रूम में जा फंसेगा..वहां तो पहले से ही ऐसे लोगों को पकड़ने के बड़ी बड़ी जाली वाली रेक्स लगायी गई है ..कि आतंकवादी आए और हम उसको बंद करें॥ इसीलिए तो उनको खाली रखा है..अब सर्वर ज्यादा ज़रूरी है या सुरक्षा..आप ही बताइए॥ अगर गलती से आतंकवादी ने एक दो धमाके किए तो समझो वोह तो गया काम से... सी डी , सी डी या हार्डडिस्क हार्डडिस्क या सर्वर सर्वर फेंक फेंक कर चलनी कर देंगे॥ आखिर दूरदर्शिता इसी को कहते है...सारा सामान लोहा लाट पुराने ज़माने का रखा है...कि चोट लगे तो ज़रा धमक आतंकवादी के आकाओं तक जाए॥

सुना यह आतंकवादी लोग हमले के टाइम अपने कार्यालय के संपर्क में निरंतर रहते है॥ अब यहाँ भी हमारी दूरदर्शिता देखिये ..आईएसडी तो किसी फ़ोन से मिलेगी ही नही..अगर फ़ोन लगेगा भी तो सिर्फ़ अमरीका ...जहाँ इन बेचारों के दुश्मन आँख गडाये पहले ही बैठे है॥ ऊपर से इन लोग कि कोड वर्ड वाली भाषा का भी अर्थ का अनर्थ होते देर न लगेगी हमारी टेलीफोन लाइन पर...भाई पूछेगा ..हमला कर दूँ...उधर उसके आका को समझ आएगा हाँ मेल कर दो.... हो गया सत्यानाश... आया था नाश करने और फंस गया हमारे ईमेल सर्वर के जाल में॥

अब मान लीजिये कहीं धमाके से आग लग भी गई तो उसका भी पूरा प्रबंध है...उस पर फायर बुझाने वाले यन्त्र का इस्तेमाल करेंगे॥ सुना है इस यन्त्र से फोम निकलता है..बताओ आग कि आग बुझाये और साथ में नहाने और शव बनाने के लिए फोम भी। वैसे इसको चलने कि विधि का फ अ क्यू बोर्ड पर चिपका है..सो पढ़ के अवश्य चला ही लेंगे॥

यह लोग सुना बंधक भी बनाते हैं अपनी बात मनवाने के लिए॥ सोचिये हमारे यहाँ अगर महिलाएं बंधक बनी तो बेचारा पागल हो जायेगा..एक तो उनकी बातें और दूसरा हर घंटे वाशरूम का चक्कर देखने को कि कहीं लिपपेंट बिगाडा तो नही॥ आखिर पूरा इवेंट टेलिविज़न पर लाइव जो आह रहा है॥ और पुरूष भाई लोग तो उससे भी खतरनाक..वोह तो तुंरत बोलेंगे आज कि फ्री में पगार दिलाने के लिए धन्यवाद् आतंकवादी भाई॥ कहते है कि बंधक के लिए यह लोग पैसे मांगते है...पैसे और यहाँ...मैनेजमेंट यही बोलेगा..भाई इन सब को रख लो वैसे भी कोस्ट-कटिंग में अगला नम्बर इन सब का ही था॥ बेचारा ज्यादा देर तक बंधक न रखेगा क्युकी टीवी पर भी सिर्फ़ दूरदर्शन ही आह रहा होगा...कैसे टाइम कटेगा उसका॥

यानि सौ आने कि बात यह है कि हमारा कार्यालय पूरी तरह तैयार है इन आतंकवादियों के लिए॥

बुधवार, 19 नवंबर 2008

मैं और मेरी नौकरी - पार्ट ९

पिछले वीकएंड रोद्साईद रोमियो देखी, देखने के बाद ऊपर वाले से दुआ मांगी कि एक दिन के लिए मुझे प्लीस कुकुर बना दो॥ सुबह जागा तो पता चला बिस्तर से बंधा हूँ, काले रंग के कुकुर में बदल जो गया था॥ जैसे तैसे पत्नी को समझाया कि आपका ही पति हूँ - एक दिन के अड्वेंचर के लिए कुकुर बना हूँ॥ अड्वेंचर का नाम सुनते ही बीवी तो बिदक गई (भइया कौन बीवी न बिदकेगी)॥ खैर जैसे तैसे उसको समझा के कार्यालय के लिए तैयार हुआ॥ अब फोर्मल्स तो मैं पहनता नही तो आज भी क्यों पहनूगा सो जींस को अपने पैने दांतों से कुत्रा और निक्कर बना के पहन लिया, पीछे वाली दो टांगो पर॥ भइया कुकुर जो बन गया था॥ गैस कि लो कट टी-शर्ट आगे वाली टांगो में दाल कर पहनी और बन गया रोमियो॥ लेकिन मुझे जूते २ अलग अलग जोड़ी पहहने पड़ गए..आखिर पैर ४ जो हो गए थे॥

गले में ऑफिस का पट्टा डाल के फट से ऑफिस के गेट पर पहुँच गया॥ आप भी हैरान होंगे उस दिन जब मैंने काली मशीन में जब उंगली डाली तो तुंरत पहचान गई (शायद कुकुर के लिए इन्वेंशन रहा होगा)॥ शान से दुम हिलाता हुआ लाबी में पहुँचा तो धर लिया गया॥ मैडम तो अड़ गई कि , तुम तुम हो ही नही ...शायद पहले मुझे वोह इंसान समझती थी (कितनी ग़लतफ़हमी है न)॥ उनको चकमा दे के जा पहुँचा अपने दड्वे में..और दुम तो कुर्सी के पीछे लटका के बैठ गया और लैपटॉप खोल के बैठ गया॥ तरह तरह कि हड्डी वाली साईट देखने लगा..इंसानी आदत से मजबूर हूँ न ;)। जैसे ही सही हड्डी दिखती मेरी जीभ और विचार दोनों रस के भर जाते॥ बस एक पोल नही दिया ऑफिस वालों ने इसीलिए इस ब्लॉग को ही पोल समझ लिया॥

तभी फ़ोन बजा और ज्ञात हुआ कि आज तो हर हफ्ते होने वाला सम्मलेन है - बस फिर क्या था पहुँच गया। हर बार कि तरह ही सवाल हुआ - क्या लाये हो? निक्कर में हाथ डाला और हड्डी टेबल पर रख दी और अपनी जीभ लपलपाने लगा॥ फिर सवाल हुआ - बस एक ही? और क्या ला रहे हो? जुबान से फिसल ही गया ..दूसरी लाने के लिए एक और क्लाइंट को काटना पड़ेगा॥ आप जानते ही है ..हड्डी निकलने के बाद किसी में क्या जान बचती है॥

सम्मलेन ख़तम हुआ तो अपने दड्वे में आ के पसर गया और रोज़ कि तरह आँखें बंद करके बिचारों में तल्लीन हो गया॥ वाकई कुकुर और मुझ में बहुत समानता है॥ बीच में अगर किसी ने आके कुछ बोला या फ़ोन आया तो बगैर आँख खोले या एक पलक १५ देग्रीस उठा के बात सुनी और फिर से अपने बिचारों में तल्लीन हो गया॥ आखिर थोट लीडर हूँ न..सबके नही तो अपने तो बिचार तो लीड कर ही सकता हूँ॥ रात में जैसे हम कुकुर हर एक दिशा से आवाज़ लगाते है वैसे ही हमारे सम्मलेन में भी होता है...भोर होने तक भी यह देसिएद नही हो पाता कि सम्मलेन हुआ क्यों था। शायद एक साथ सबके आवाज़ लगाने से कभी कोई तो आवाज़ सुन ही लेगा न ॥

तभी किसी क्लाइंट के मधुर सब्द आ गए किसी प्रोजेक्ट पर..बस फिर क्या था ...बूफ बूफ ..भौं भौं ...कभी सीढ़ी के ऊपर कभी नीचे ..जो मिला उसको काट खाया॥ अब १४ इंजेक्शन पेट में लगने के बाद कोई मेरा क्या हश्र करेगा यह तो आप समझ ही गए होंगे॥ बूफ बूफ...भौं भौं करने में मैं इंसान योनी में भी कुकुर कि बराबरी कर सकता हूँ॥ रात होते ही जहरीले इमेल्स, समस और फोन्स करने लगता हूँ॥ कोई भी निकलता तो उसके पीछे भागने लगता भौंकते हुए..आपने मुझे कार का पीछा करते देखा है न॥ जैसे वहां कार और करवाले को असर नही होता ..वैसे ही ....

आपको पता ही होगा ..कुकुर पागल हो जाए तो बहुत खतरनाक होता है..लेकिन यह भी मुमकिन नही कि इंसानों के कार्यालय में कोई कुकुर पागल कैसे न हो। इसीलिए मुझे पट्टा और दड्वे में डाल दिया गया है..और कभी कभी कोई हड्डी भी दे दी जाती है। हड्डी चूस चूस कर ही बफादार हुआ हूँ॥

मेरी कुकुर नज़र से ये कथा संभवता आगे भी आपको ऐसे ही सुनने को मिलती रहेगी॥ जाऊं ज़रा ...वोह ..उनका ...उम्म्म्म..... पीछा तो कर लूँ॥ अरे.... यह भी तो काम ही है न॥

मंगलवार, 18 नवंबर 2008

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट ८

पिछले आठ दिनों से मैं इस कशमकश में था कि आपको अब यह बताऊँ या वोः, आखिर हमारे कार्यालय इतना हप्पेनिंग जो है॥ फिर डिसाइड किया कि आज आपको साथियों को प्रोत्साहित किए जाने वाले तरीकों के बारे में बताऊँगा॥

यह तो आप मानेंगे ही कि पैसा, रुतबा और पॉवर से कोई प्रोत्साहित नही होता इसीलिए हमारे कार्यालय ने कई नायब तरीके खोज निकाले है हम सब को प्रोत्साहित करने के लिए॥

साल में कम से कम २-३ पार्टियों का आयोजन तो आम बात है, जैसा हर पार्टी का रिवाज़ होता है वैसे ही हमारे यहाँ भी धम्चिक्क डीजे जजूर आता है और एक ही गाने पर हमको कम से कम २० बार तो नाचता ही है॥ गाना भी याद हो जाता है और नाच का नाच भी॥ इन समारोहों में आपका परिवार भी आमंत्रित होता है। समारोह इतना सम्मोहक होता है कि आप अगर भूल भी जाएँ तो आपका परिवार आपको उसकी याद दिलाता रहता है॥ बताइए सिर्फ़ एक पार्टी से ही कार्यालय को पूरे परिवार कि लोयाल्टी मिल जाती है॥

इसी तरह हमारे यहाँ ऐसे साथियों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित भी किया जाता है। तरह तरह के सम्मान है ..जैसे कि - बॉस द्वारा सबको ईमेल का भेजा जाना कि अमुख साथी ने यह तीर मारा मेरी मदद से॥ साथी इस प्रोत्साहन से हवा में न उड़ने लगे इसको नियंत्रित करने के लिए बड़ाई के साथ साथ अगर २-३ सीख भी दे दी जाती है तो इसमे बुराई ही क्या है॥

सभी साथी एक से दिखे और प्रोत्साहित रहे इसके लिए भेश्भुषा का नियम भी काबिलेतारीफ है॥ अब आप आसानी से पुरूष और महिला में भेद कर सकते है॥ इस नियम से कुछ साथी तो इतने खुश दिखे कि पूछो मत आखिर अब वोः अपने प्राचीन वस्त्रों का उपयोग तो कर सकेंगे॥

हमारे कार्यालय का एक प्रयास है कि हर साथी स्वाभिमानी और देशभक्त बने इसी कारन हर साल हर साथी अपनी बड़ी हुई कमाई का एक बड़ा हिस्सा पहले टैक्स के रूप में देता है॥ आखिर देश तो घर परिवार से पहले ही आता है न॥

कितना फिट बैठता है न वोः गाना हमारे कार्यालय पर - दिल दिया है जान भी देंगे ये कार्यालय तेरे लिए॥

सोमवार, 10 नवंबर 2008

में और मेरी नौकरी -पार्ट 7

दोस्तों आज मैं आपको कार्यालय में ८.५ घंटे सफलतापूर्वक और बिजी लगते हुए कैसे बिताएं इसके कुछ गुर बाटूंगा॥

नियम : सदैव मीटिंग में दिखें, कभी बॉस के साथ या कभी टीम के साथ या कभी किसी के भी साथ। दो लोग जब कुर्सी दाल करआमने सामने जब बैठे है तो व्यस्त लगते है। अगर आपके हाथ में कॉपी पेन या लैपटॉप हुआ तब तो सोने पर सुहागा॥ अब कौन चेक करता है की आप कॉपी में क्या लिख रहे हो या लैपटॉप पर क्या देख रहे हो॥

नियम : छुट्टी के दिन को भी वर्क फ्रॉम होम की तरह दिखाएँ। चार पाँच ईमेल ज़रूर भेजे, जो आपके बॉस को कॉपी होनी चाहिए। अब अगर आप खुद बॉस है तो सारे मैनेजर्स को मेल ज़रूर भेजे॥ साथ में अगर २-३ फ़ोन भी चिपका दें साथियों को तो फिर तो सोने पर सुहागा॥ और यह दोनों काम तो आप झपकी लेते हुए या डेट पर होते हुए भी कर सकते है॥

नियम : ऑफिस में हमेशा तेज़ तेज़ चले, आपके जूतों की आवाज दूर तक सुनाई देनी चाहिए। सब काम तेज़ चलते हुए ही करने चाहिए। साथ में ४-५ बार हवा में छोड़ ही देना चाहिए की आज बहुत व्यस्त हूँ..साँस लेने की फुर्सत नही॥ आपको इतना तेज़ चलना चाहिए की आपकी टाई १८० ड़ेग्रीस पर झूमे...अरे अगर आप महिला है तो दुप्पटे या साड़ी से भी यह काम कर सकती है॥

नियम : बिजी दिखने के लिए बहुत ज़रूरी है ki आप टोफ्फी खाने भर की स्मिएल दें या सिर्फ़ १ उंगली से हेल्लो करें या २ उंगली से वेब करें॥ क्युकी नियम 3 के अनुसार आप तेज़ तेज़ चल रहे होंगे तो अगर आप नियम ४ की बातें फोल्लो करेंगे भी तो कोई कुछ कह न पायेगा क्युकी लोग यही समझेंगे की आप इतनी तेज़ी से निकल गए की वोह आकपी पूरी हँसी, हेल्लो या वेब नही देख पाये॥

नियम : ज्यादा से ज्यादा बोस्सेस की कंपनी में वक्त बिताएं..इससे बॉस को भी लगेगा की आप महनत कर रहे है और साथी समझेंगे की आप बहुत व्यस्त हो॥ ज़रा ज़रा सी बात भी बॉस से दिस्कुस्स करें और सीधे से समाधान को इतना घुमाएँ की २-३ घंटे तो दिन के इसी में बीत जाएँ॥

नियम : ज़रा सी बात कर बत्तान्गड़ बनाये॥ और यह बात अगर क्लाइंट ने कही तो फिर तो आप पूरा दिन इसी के सहारे बिता सकते है॥

नियम : अपने कंप्यूटर के स्क्रीन को हमेशा निहारते रहे..और बीच बीच में सोचने की मुद्रा धारण करें या कुछ लिखने या जोड़ने लगे॥ आप बिजी के बिजी भी और ऑफिस में भी चर्चा ..आखिर आप कितना काम करते हो॥ और हाँ आपके स्क्रीन पर कम से कम ८-१० विन्डोज़ तो एक बार में खुली ही होनी चाहिए॥ भले ही उनमे आप देख कुछ भी रहे हो॥

नियम : चाय, काफ़ी या पानी की मशीन पर जो टकरा जाए उससे बड़ीबड़ी ज्ञान की बातें कर दें, अगर आपका शिकार बहस के मूड में न भी हो तब भी बहस करें॥ समय कर समय बीतेगा और आपके ज्ञान के चर्चे भी दूर दूर तक फैलेंगे॥ इस काम को सफलता पूर्वक करने के लिए आपको दिन में कम से कम १०-१२ ऑनलाइन न्यूज़ साईटस तो चाट ही लेनी चाहिए॥

नियम : सीरियस हो कर फ़ोन पर लगे रहने से भी आप कम से कम १-२ घंटे तो बिता ही सकते है॥ जैसे ही कोई सामने पड़े बस आपको करना इतना है ..या या ... इ विल कम बेक तो यू.. या फिर ...लेट में रेविएव एंड रेस्पोंद बेक तो यू॥ ऐसे शब्दों के प्रयोग से आपकी अपनी बीवी/गर्लफ्रेंड से बात भी न टूटेगी और काम कर काम भी॥

नियम १० : सीट पर कम ही बैठे और ऊपर दिए गए नियमों के हिसाब से या तो फ़ोन पर या मीटिंग में या तेज़ तेज़ चलते मिलें॥ लोग हमेशा यही समझेंगे की आप कहीं न कहीं व्यस्त होगें॥

आशा है इन नियमो के पालन से आपका दिन आज से बहतर गुजरेगा॥

शुक्रवार, 7 नवंबर 2008

में और मेरी नौकरी -पार्ट ६

आपके फायदे के लिए आज मैं दुनिया भर में मची फिनान्सिअल त्राहि त्राहि और उसका हमारे कार्यालय पर असर का विश्लेषण करने का प्रयत्न करूंगा।

दुनिया में जब हर तरफ़ कोस्ट कटिंग हो रही है वही हमारे यहाँ दिवाली मनाई गई धूमधाम से और एक एक लड्डू खाने को भी दिया गया॥ दिवाली में हमने अपने यहाँ झालर भी लगे..अरे आपने नही देखी..अरे वही वाली जिसका ट्रेडमार्क हमारे पास है...दुराबिलिटी देखिये ...पिछले १० साल में एक भी बल्ब फुस नही हुआ...आप मोहल्लें में कहीं खड़े होहिये आपको हमारा कार्यालये अलग से दिख जायेगा। यह अनमोल डिजाइनर झालर है जिसको चलाना सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे यहाँ के बिजलीभाई को आता है॥ ..अरे भइया कहने का मतलब यह है ..कि हमने दिवाली पर बिजली पर एक्स्ट्रा खर्च किया ...बताइए कहाँ है कोस्ट कटिंग॥

हमारे कई साथी जो सालों से शिकायत कर रहे थे कि आप हमको अलग गाड़ी से बुलाते हो इस कारन हम लोग मेल जोल नही बढ़ा पा रहे..आखिर साथियों कि सुन ही ली...अब सब लोग बस से राजी खुशी एक साथ आते है॥ अब आप हैरान होंगे ही न ..कि हम इस कठिन समय में भी कही कोस्ट कटिंग नही कर रहे बल्कि साथियों कि मांगो को और मान रहे हैं॥

ऐसी ही कुछ रोषखाने लो लेकर भी था ॥ सब साथी कह रहे थे कि आप हमें फ्री या कम कीमत पर खाना क्यों देते हो..अब कोई लंगर तो हैं नही...बड़ी मुश्किल से यह माना गया कि चलो आप लोग कुछ दे दो ..जिससे आप सबको हीन भावना न आए लेकिन ..कार्यालय के यह साफ़ कर दिया कि आधा पैसा तो हम ही देंगे, चाहे आपलोग माने या न माने॥ अब बताइए ...यह फालतू खर्च हैं के नही।

कई साथियों के बच्चों ने उनको टोका कि पापा/मम्मी आप यह रोज बिस्कुइत/ नमकीन कहाँ से लाते हो। रात में तो कोई दुकान खुली नही होती...क्या चोरी की हैं आपने॥ अब बच्चे तो बच्चे ही हैं न वोः कहाँ समझेंगे की कार्यालय मेंन यह भी फ्री मिलता हैं॥ जब यह ताने प्रतिदिन आने लगे तो साथियों ने साफ़ बोल दिया हम यह नही लेंगे फ्री के बिस्कुइत/नमकीन...अगर खाना होगा तो खरीद के लेंगे...अब एम्प्लोयीस के आगे तो मैनेजमेंट को झुकना ही पड़ता हैं न ॥

देखिये.. इस कठिन समय में भी हम कितने खुश हैं॥

बुधवार, 5 नवंबर 2008

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट ५

आईये आज आपको अपने कार्यालय में उपयोग में आने वाले महत्पुरण शब्दों का बोध करता हूँ॥

फायर फिघ्तिंग : यह संभवता हमारे यहाँ का हर घंटे इस्तेमाल आने वाला शब्द है। फायर डिपार्टमेन्ट भी क्या इतना इस्तेमाल करता होगा। हर साथी पानी लिए आग बुझाने में ही जुटा रहता है। आफ्टर आल क्लाइंट का काम करने में आग निकलती ही इतनी है। वैसे हमने आग बुझाने का भी एक प्रोसेस बना रखा है, जिसमे पॉइंट नम्बर ४ के अनुसार ..जब भी आग लगे ..बस आग ...आग....आग चिल्लाओ और भागो...कोई न कोई तो बुझा ही देगा।

पुल : भाई यह हिन्दी वाला पुल नही बल्कि खींचने वाला पुल है। यह शब्द आपको दिन मैं अगर १०-१२ बार न सुनाई दे तो समझ लो उस दिन कुछ ठीक नही है॥ इस शब्द को सिखाने के लिए हमने प्रक्टिकाल्स भी बनाये है -आपको काम पुल करके सारे काम करने होते है ..जैसे पानी और काफी पीने के लिए ग्लास का ज़ोर लगाकर पुल करना, या फिर वाशरूम मैं तिस्सुए पेपर का पुल करना। बस एक प्रोजेक्ट समय सारणी ही पुल नही हो पाती।

आउटसोर्स : इस शब्द ने तो क्या माया जाल फैलाया हुआ है, पूरे ऑफिस में फैला है। हम शरिंग में बिश्वास करते है इसलिए जब भी काम करने का मन नही करता तो उसको दूसरे को थमा देते है और हो गई आउटसोर्सिंग। इस विधा में तो हर साथी ओल्य्म्पिक मैडल जीत सकता है॥ हो भी क्यों न हमें तो जन्म से आउटसोर्सिंग सिखाई जाती है...नाप्पी बदलवाने से लेकर करियर का डिसीजन लेने तक सब ओउत्सौर्सद है।

लेट्स discuss : बड़ा महिमामयी शब्द है यह, जब कुछ समझ न आए तो लेट्स दिस्कुस्स या फिर काम करने का दिल न करे तो लेट्स दिस्कुस्स, इतना ही नही अगर किस्सी को हड़काना हो तो भी लेट्स दिस्कुस्स॥ और इस शब्द के इस्तेमाल के लिए आपको एकांत चाहिए होता है ..सिर्फ़ आप और आपका लेट्स दिस्कुस्स का साथी॥ वैसे इस लेट्स दिस्कुस्स के परिणाम के बारे में आजतक कोई भी मैनेजमेंट गुरु कुछ बता नही पाया कि फिनाल्ली रिजल्ट क्या निकला॥

कल : अगर यह शब्द न होता तो हमारे क्लिएंट्स को आज ही कितना काम करना पड़ता इसीलिए हम हर चीज़ कल देते है जिससे उन पर बोझ न पड़े। हमें इस पर गर्व है कि हमारा हर साथी इस शब्द का भरपूर उपयोग अपने रोल में करता है।

लेट मी काम बेक तो यू : यह तो हर समस्या का निदान है ...जब कुछ समझ न आए या उत्तर न आता हो तो इस वाक्य का धल्लले के इस्तेमाल करें। किसी को तर्न्काने में भी यह बहुत काम आता है..क्युकी कब काम बेक होगा ..यह तो भगवान् ही जाने॥

आशा है आप इन शब्दों को रट लिए होंगे और तोते कि तरह इनका जाम करते होंगे...लेट मी काम बेक तो यू ऐसे ही नए शब्दों के साथ ।

मंगलवार, 4 नवंबर 2008

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट 4

चार दिन बाद फिर से हाज़िर हूँ....हिमेश भाई की कर्जज्ज्ज़ देखी वीकएंड पर, बस उसके ही सुरूर के कारन लेट हो गया...वैसे हिमेश भाई ने क्या पिक्चर बने है ..वाह वाह....दिल खुश हो गया॥

हमारी कंपनी भी हिमेश भाई से बहुत इन्स्पिरेड है - उदहारण के लिए -जैसे हिमेश भाई consistency में बिस्वास रखते है और एक टाइप के ही गाने बनते है वैसे ही हमारी कंपनी भी एक ही टाइप के प्रोदुक्ट्स बनती है चाहे सुब्जेक्ट एरिया और औडिएंस कोई भी क्यों न हो। अब हमारी कैंटीन के खाने को ही लीजिये ...एक ही टाइप का लगेगा चाहे मेनू में कुछ भी लिखा हो और कुछ भी बना हो। ब्रांड बिल्डिंग का इससे अच्छा तरीका भला क्या हो सकता है।

अब जैसे हिमेश भाई सारे गाने ख़ुद जाते है अपनी पिक्चर के, आखिरकार एक्सपेरिएंस मत्तेर्स!! बिल्कुल उसी तरह हमारे पुराने लोग भी सारे कामों में शामिल होते है। और जैसे हिमेश भाई के गाने में एक दो कूकें कोई दूसरा नया सिंगर भी कर देता है और ट्रेन हो जाता है वैसे ही हमारे नए रेसौर्सस भी॥

हिमेश भाई की एवेरचंगिंग विग की तरह हमारे प्रोदुक्ट्स का भी बाहरी स्वरुप बहुत आसानी के बदल जाता है बगैर अंदरूनी ताम झाम को छेड़े हुए॥ जैसे हिमेश भाई अपने म्यूजिक नोट्स को इधर उधर reuse करते रहते है वैसे ही हम भी अपने कोड तो इधर उधर बही सफाई से फिट कर लेते है॥ रयूसबिलिटी इस इन थिंग ...मेरे दोस्त॥

जैसे हिमेश भाई अपनी पिक्चर में नई हेरोइन को हमेशा लाते है और प्रमोट करते है ठीक उसी तरह हम भी अपने बिल्कुल नए साथियों को नए प्रोजेक्ट्स पर लगा देते है, और उनका हौसला बदते है॥ हिमेश भाई की पिक्चर का म्यूजिक बहुत पहले आता है और मूवी ४-६ महीने बाद ठीक उसी तरह हमारी भी क्लाइंट को पर्ची तुंरत जाती है और प्रोडक्ट ४-६ महीने बाद..

शुक्रिया हिमेश भाई इतनी सारी मैनेजमेंट ज्ञान के लिए ..मैं और मेरी कंपनी आपके हार्दिक आभारी है॥

शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट 3

हमारी कंपनी बहुत ही दूरदर्शी है, जब से दूरदर्शन पर महाभारत देखी, और विशेषता वोह अभिमन्यु का माँ के पेट में चक्रव्हूय तोड़ना सीखना; तब से ठान लिया कि जो जहाँ है उसको वही पढायेंगे बस फिर क्या था यह ट्रेनिंग कंटेंट का बिज़नस खोल लिया। कितनी समानता है अभिमन्यु कि ट्रेनिंग और हमारी ट्रेनिंग में - पढ़ तो लेते है पर दिया गया कार्य बस पूरा नही कर पाते। फिर से न आप .....अरे यह स्टुडेंट कि प्रॉब्लम है।

हम बहुत ही प्रोसेस ओरिएंतेद कंपनी है, कोई भी काम जो ऑनलाइन हो सकता है उसकी हार्ड कॉपी ज़रूर मांगते है आखिर इस इन्टरनेट का क्या भरोसा कब बंद हो जाए इसलिए हार्ड कॉपी टीओ होनी ही चाहिए...उसमे तो सिर्फ़ फटने और आग लगने का ही डर है।

हमारे प्रोसस्सेस कि तो मिसाल दुनिया में कम ही मिलती है, अब आप इस ओये पंगा मत ले (OPM) टूल को ही लीजिये, इससे क्लाइंट कभी भी यह पता नही लगा सकता कि उसके प्रोजेक्ट में चल क्या रहा है...अरे....हम क्लिएंट्स को दर्द कम देना चाहते है। सुना नही आपने ...जितना कम जानोगे उतना खुश रहोगे।

हम ओंन दा जॉब तालीम में विश्वास रखते है...कहते है इससे एक्सपेरिएंस मिलता है..तभी तो हमारे सारे साथी सीधे क्लाइंट के काम पर हाथ साफ़ करते है, इसका फायदा यह भी होता है कि क्लाइंट को भी हमारे साथियों के साथ ज्यादा वक़्त बिताने को मिलता है। अब वोह रिलेशनशिप ही क्या ..जिसमे कुछ खट पट न हो...मतलब learning।

गुरुवार, 30 अक्तूबर 2008

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट 2

रसातल मिला कर हमारे यहाँ ५ माले हैं। रसातल जैसा नाम है वैसा ही है ...बरसात में सर्वर रूम के कंप्यूटर बेचारे मेंडक बन के अपनी जान बचाते है। भाई अब जब बारिश होगी तो पानी कही न कहीं तो जायेगा ही, सड़क पर भरने के बाद तो रूम्स में ही तो जायेगा न। अब हम कोई नगर निगम तो है नही तो पम्प लगा के पानी बहार फेंक देंगे। वैसे रेसन्त्ली हमारी लीडरशिप टीम की मीटिंग में यह मुद्दा उठा था, हम लोग अपने कार्यालय को एनवायरनमेंट फ्रीएंद्ली बनाने का सोच रहे है ...शायद अगली साल तक वाटर-हार्वेस्टिंग प्लांट लगा देंगे। इससे आए दिन शौचालयों में होने वाली पानी की किल्लत भी मिट जायेगी।

हमारा सारा कार्यालय वातानुकूलित है। बस हम कार्बन क्रेडिट्स एअर्ण करने के कारन चलते नही। वैसे पाये तो फायर एक्ष्तिउन्गुइशेर्स भी है और स्मोके देतेक्टोर्स भी लेकिन हम उनको बंद ही रखते है क्युकी चलने से पैनिक फैलता है।

मैं और मेरी नौकरी

आज बैठे बैठे यह ख्याल आया कि थोड़ा टाइम ही बरबाद किया जाए, इसलिए खोपडी पर कम होते बालों को खुजाते हुए सोचा चलो कुछ अपनी नौकरी के बारे में ही लिख दिया जाए। नौकरी वैसे बड़ा ही अजीब सब्द है, मुझे आज तक न पता चला कि इसके सही मायने क्या है। पर मुझे क्या मुझे तो कुछ बकवास करनी है तो कर रहा हूँ।

सुना है हमारे कार्यालय मैं ७०० लोग काम करते hain लेकिन आप मेरा यकीन जानिए मैं सिर्फ़ २०-३० से ही मिल पाया हूँ पिछले ६ साल में (आप भी सोच रहे होंगे कि मैं कितना आलसी हूँ....सही सोचा !!)। अब आप यह पूछिएगा कि इन २०-३० में कितने पुरूष और कितनी महिलएं हैं। कैसा प्रशन है - मैं कोई जनसँख्या अधिकारी हूँ !

चलिए अब आपको कार्यालय के अंदर ले चलता हूँ, अरे अंदर कैसे पहले बहार का वर्णन तो कर दूँ। जैसे ही आप हमारे कार्यालय के बाहर कदम रहेंगे आपको ट्रैफिक जाम का सा अनुभव होगा और हमारे अदमिन के लोग बिल्ला लटकाए जाम को निहार रहे होंगे साथ में सिक्यूरिटी गौर्ड लिए। अरे आप भी न - भाई उनका काम ऑफिस का एडमिनिस्ट्रेशन देखने का है न कि ट्रैफिक जाम देखने का। हमारे यहाँ के एम्प्लोयीस भी बड़े अच्कोमोदातिंग है और २० कार कि पार्किंग में १०० कार लगा देते है (आखिर दूसरे ओफ्फिसस कि खली ज़मीन है किसलिए)।

जैसे ही आप कदम गेट के अंदर रखेंगे आपका सामना २ काले काले यंत्रों से होगा जिसमे आपको आपकी ऊँगली डालनी होती है, जैसे ही आप ऐसा करते है यह यन्त्र कुछ अंग्रेज़ी में बोलते है और फिर कहते है ...पहचाना नही ... कोई नही ....हमारे अदमिन वाले नाम कॉपी में लिख लेते है ...मैं समझ गया ...मशीन आदमी कि जगह कभी नही ले सकती ।

अब बारी आती है आपकी तलाशी की, अपना झोला चेक करना होता है हमारी मुस्तैद सिक्यूरिटी को ...सुना है महिलाओं को इस पर बड़ी आपत्ति है - आज तक समझ न आया यह महिलाएं अपने झोले में लाती क्या है? बसता चेक्किंग के बाद आप सीधे पहुँचते है एक ऐसे एरिया में जहाँ लगता है जैसे पहारगंज के होटल पहुँच गए - आख़िर सोफा, भरे पानी के गिलास आपको वहां कि याद तो दिलाएंगे ही!