पिछले दो दिन से भोजन नही किया न घर में किसी को करने दिया इसी उम्मीद पर की सोमबार को बजट के त्यौहार में कहीं कुछ ऐसा न हो जाए जिससे हमको तीन दिन में एक बार रोटी खानी पड़े॥ सुबह से ही अपने टेक्सला के १४ इंच ब्लैक एंड व्हाइट टीवी के आगे दीदे गडा के बैठ गया इस उम्मीद पर की शायद इस बार मुझ जैसे छोटे कर्मचारियों / देहादी मजदूरों का कुछ भला हो जाए॥
खैर जैसे तैसे ११ बजा और संसंद भवन से जीवित प्रसारण आने लगा ... वित्त मंत्री पर ऐसी टकटकी लगायी (जैसी कभी प्रेमिका को भी नही लगायी थी ) इसी उम्मीद में की आज कुछ तो हाथ आएगा॥ जैसे ही भाषण शुरू हुआ तो पता चला वित्त मंत्री जी की आज नाक चल रही है ..समझ आया मेरा टीवी बार बार व्हाइट आउट क्यों हो रहा था॥
अब संसंद में तो किसी ने खायी या न खायी हो मैंने तो तुंरत सवाइएन फ्लू की दवा डकार ली ..लेता क्यों नही मंत्री जी ने लाइफ सेविंग दवाएं सस्ती जो कर दी॥ अब हम छोटे लोग आराम से बड़ी बड़ी बीमारी पाल सकते हैं॥
एल सी दी टीवी सस्ता करके और सेट टॉप बॉक्स मंहगा करके मंत्री जी ने उत्तम काम किया है, अब हम जैसे लोग रंगीन छवि बिल्कुल साफ़ साफ़ देख पाएंगे॥ अब बच्चे भी नही बिगाडेंगे क्युकी मंहगा सेट टॉप बॉक्स तो हम लगवा पाएंगे ही नही॥ हर महीने केबल वाले की शकल भी नही देखनी पड़ेगी॥
अब नैनो नही लेना सीधे बी ऍम डब्लू या मर्क ही लेंगे ..सस्ती जो हो गई है॥ सोच रहा हूँ ३-३ लाख का कृषि लोन पुरे परिवार के नाम दिलवा के ७% के व्याज पर सवारी ले ही लूँ॥ अब रानी मुखर्जी और ऐ बी किसान हो सकते है तो मैं क्यों नही॥ वैसे भी कृषि लोन वापस थोड़े करना होता है सिर्फ़ आत्महत्या ही करनी होती है॥ sunane में आया पेट्रोल की कीमत को बाज़ार निर्धारित करेगा... चलो कोई नही गाड़ी को ऑफिस में टैक्सी की जगह लगा दूँगा॥ अपना भी आना जाना हो जाएगा और कुछ आमदनी भी॥
मोबाइल लेने का दशकों से मन है .. इस बार कवर ले लेते है मोबाइल अगली बार॥ मोबाइल के साथ लगने वाली चीजे सस्ती जो हो गई है॥
मुझ बी पि अल कार्ड धारक को महती प्रसन्नता हुई जानकर की अब भूखा नही सोना पड़ेगा क्यों २५ किलो अनाज ३ रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलेगा॥ लेकिन सोचने की बात यह है २५ किलो अनाज रखने के लिए २०० रुपये का डिब्बा कहाँ से आयेगा॥ कोई नही खुले बाज़ार में २० रुपये प्रति किलो बेच के कुछ कमाई ही हो जायेगी॥
साल में १४० दिन काम करने वाला और १०० रुपये प्रति दिन पाने वाला मैं डायरेक्ट और इन-डायरेक्ट टेक्स को तो समझ नही पाया की उसका मुझ पर क्या प्रभाव पड़ेगा परन्तु ऊपर दिए गए सपनो अर्थात फ्रींज बेनेफिट से आज मेरा पेट अपने आप भर गया॥
सोमवार, 6 जुलाई 2009
बुधवार, 24 जून 2009
मैं और मेरी नौकरी -पार्ट १५
दोस्तों हम सबका मन उस सीईओ वाली कुर्सी पर बैठने का करता ही है॥ वोह अलग बात है कि हममें वोह गुन पाये जाते हों या न...अब देखने से तो येही लगता ही है कि यह कार्य तो कोई भी कर लेगा॥ आपकी इस अबधारना को ग़लत साबित करने के लिए आज मैं आपको सीईओ द्वारा सहे और किए जाने वाले असहनीय कार्यों के बारे में बताऊंगा॥
सीईओ एक ऐसा ओहदा है जिसका भारीपन आपको कभी भी चैन से नही बैठने देता॥ बेचारा सीईओ खुद कि भारी तनख्वाह को सही साबित करने के चक्कर में रात हो या दिन ईमेल, समस और फ़ोन करता और झेलता रहता है॥ ऊपर से यह सब करने के कारन जो उसकी अपने घर पर जो रोज जूता पै मार होती है उसका दर्द बेचारा किसी को नही बता पाता॥
हम सब तो अपनी तनख्वाह परफॉर्मेंस अप्प्रैसल के टाइम लड़ झगड़ के बढ़वा ही लेते है परन्तु बेचारा सीईओ..वोह किससे लड़े अपनी तनख्वाह को लेके..उसके पास तो बस एक ही तरीका होता है कि कंपनी बोर्ड को हर बुरी बात भी अच्छी करके बताओ..किसका दिल गवाही देगा ऐसा झूठ बोलने को। उदहारण स्वरुप अगर किसी को निकला या कोई खुद निकल गया उसको कोस्ट सेविंग कि तरह दिखाना। या फिर टीम कि अचिएवेमेंट को अपनी लीडरशिप क्वाल्तीस कि तरह दिखाना.. मैं समझ सकता हूँ कितना दर्द होता होगा सीईओ को ऐसे झूठ बोलते हुए॥ ऊपर से कई बार तो ऐसा भी होता है की तनख्वाह बढ़ने की जगह पर्क्स और बोनस बड़ा दिया जाता है, बताइए कहाँ का इन्साफ है॥
हर छोटा बड़ा एम्प्लोयी सीईओ को अपने घरेलु फंक्शन्स में बुलाना अपनी शान समझता है और बेचारा सीईओ न चाहते हुए भी सपरिवार पहुँचता भी है इन फंक्शन्स में॥ ठीक है अब गिफ्ट और पेट्रोल का पैसा तो कंपनी के एम्प्लोयी वेलफेयर फंड से ले लेगा बेचारा सीईओ लेकिन ..टाइम कि भी तो कीमत होती है न॥
टाइम कि कीमत से याद आया अब पार्टी में अगर मन करे कि जल्दी से ४-५ पैग चडा लो पर नही एक कि पैग में पुरी रात काटनी पड़ती है धीरे धीरे सिप करते हुए और हर आए गवाहे से बात करते हुए॥ अब जिसने पार्टी पर बुलाया है वोह तो इस बेचारे को सबसे मिलवा के ही छोडेगा न॥
रोज रोज पाँच सितारा होटल में रहना और खाना किसको अच्छा लगता है..लेकिन इस बेचारे कि किस्स्मत देखिये इसको तो वही रहना और खाना पड़ेगा..कंपनी कि इज्ज़त का सवाल जो है॥ इसी तरह हर साल आपको कार, घर, लैपटॉप और फ़ोन बदलने के लिए विबश किया जाए तो आपको कैसा लगेगा॥
सीईओ को न चाहते हुए भी चमचे पालने पड़ते है जिससे कि उसको कंपनी में हो रही गातविधियों के बारे में पता चलता रहे॥ आखिर कंपनी में हो रही हर छोटी बड़ी बात जानने का उसको हक है न ॥ तरस खाईये बेचारे पर ..क्या आप इनती सारी छोटी छोटी बातों को कभी सुन और पचा पायंगे॥
एक आम नागरिक कि तरह घर का बिजली पानी का बिल या बच्चों कि फीस खुद जा के भरने का मन करे भी तो यह चमचे करने नही देते, सोचने से पहले ही काम निपटा आते है॥ कितनी कोफ्त होती होगी न सीईओ को कि वोह अपने बच्चों को जीवन कि इन छोटी छोटी चीज़ों से अवगत नही करा पा रहा॥
बेचारे का खुद काम करने का कभी मन करे तब भी यह दिन भर कि बाहियात मीटिंग्स कुछ करने ही नही देती॥ अब ११ - ५ बजे के ऑफिस में आप सिर्फ़ मीटिंग्स ही करते रहे वोह भी हाई-टी, लंच या काफ़ी पर, बोरियत तो होगी ही न ॥
हर रोज़ दिन के अंत में सीईओ येही हिसाब करता होगा आज कितना झूठ बोला, कितनी इधर कि उधर करायी, कितना वक्त बरबाद किया मीटिंग्स में आदि॥ अब बताईये क्या अब भी आप इस पोस्ट के लिए लालायित है?
सीईओ एक ऐसा ओहदा है जिसका भारीपन आपको कभी भी चैन से नही बैठने देता॥ बेचारा सीईओ खुद कि भारी तनख्वाह को सही साबित करने के चक्कर में रात हो या दिन ईमेल, समस और फ़ोन करता और झेलता रहता है॥ ऊपर से यह सब करने के कारन जो उसकी अपने घर पर जो रोज जूता पै मार होती है उसका दर्द बेचारा किसी को नही बता पाता॥
हम सब तो अपनी तनख्वाह परफॉर्मेंस अप्प्रैसल के टाइम लड़ झगड़ के बढ़वा ही लेते है परन्तु बेचारा सीईओ..वोह किससे लड़े अपनी तनख्वाह को लेके..उसके पास तो बस एक ही तरीका होता है कि कंपनी बोर्ड को हर बुरी बात भी अच्छी करके बताओ..किसका दिल गवाही देगा ऐसा झूठ बोलने को। उदहारण स्वरुप अगर किसी को निकला या कोई खुद निकल गया उसको कोस्ट सेविंग कि तरह दिखाना। या फिर टीम कि अचिएवेमेंट को अपनी लीडरशिप क्वाल्तीस कि तरह दिखाना.. मैं समझ सकता हूँ कितना दर्द होता होगा सीईओ को ऐसे झूठ बोलते हुए॥ ऊपर से कई बार तो ऐसा भी होता है की तनख्वाह बढ़ने की जगह पर्क्स और बोनस बड़ा दिया जाता है, बताइए कहाँ का इन्साफ है॥
हर छोटा बड़ा एम्प्लोयी सीईओ को अपने घरेलु फंक्शन्स में बुलाना अपनी शान समझता है और बेचारा सीईओ न चाहते हुए भी सपरिवार पहुँचता भी है इन फंक्शन्स में॥ ठीक है अब गिफ्ट और पेट्रोल का पैसा तो कंपनी के एम्प्लोयी वेलफेयर फंड से ले लेगा बेचारा सीईओ लेकिन ..टाइम कि भी तो कीमत होती है न॥
टाइम कि कीमत से याद आया अब पार्टी में अगर मन करे कि जल्दी से ४-५ पैग चडा लो पर नही एक कि पैग में पुरी रात काटनी पड़ती है धीरे धीरे सिप करते हुए और हर आए गवाहे से बात करते हुए॥ अब जिसने पार्टी पर बुलाया है वोह तो इस बेचारे को सबसे मिलवा के ही छोडेगा न॥
रोज रोज पाँच सितारा होटल में रहना और खाना किसको अच्छा लगता है..लेकिन इस बेचारे कि किस्स्मत देखिये इसको तो वही रहना और खाना पड़ेगा..कंपनी कि इज्ज़त का सवाल जो है॥ इसी तरह हर साल आपको कार, घर, लैपटॉप और फ़ोन बदलने के लिए विबश किया जाए तो आपको कैसा लगेगा॥
सीईओ को न चाहते हुए भी चमचे पालने पड़ते है जिससे कि उसको कंपनी में हो रही गातविधियों के बारे में पता चलता रहे॥ आखिर कंपनी में हो रही हर छोटी बड़ी बात जानने का उसको हक है न ॥ तरस खाईये बेचारे पर ..क्या आप इनती सारी छोटी छोटी बातों को कभी सुन और पचा पायंगे॥
एक आम नागरिक कि तरह घर का बिजली पानी का बिल या बच्चों कि फीस खुद जा के भरने का मन करे भी तो यह चमचे करने नही देते, सोचने से पहले ही काम निपटा आते है॥ कितनी कोफ्त होती होगी न सीईओ को कि वोह अपने बच्चों को जीवन कि इन छोटी छोटी चीज़ों से अवगत नही करा पा रहा॥
बेचारे का खुद काम करने का कभी मन करे तब भी यह दिन भर कि बाहियात मीटिंग्स कुछ करने ही नही देती॥ अब ११ - ५ बजे के ऑफिस में आप सिर्फ़ मीटिंग्स ही करते रहे वोह भी हाई-टी, लंच या काफ़ी पर, बोरियत तो होगी ही न ॥
हर रोज़ दिन के अंत में सीईओ येही हिसाब करता होगा आज कितना झूठ बोला, कितनी इधर कि उधर करायी, कितना वक्त बरबाद किया मीटिंग्स में आदि॥ अब बताईये क्या अब भी आप इस पोस्ट के लिए लालायित है?
सोमवार, 8 जून 2009
मैं और मेरी नौकरी - पार्ट १४
अब आप कार्यालय में एक साथ काम करते है तो मेल मिलाप होता ही है। अगर यह मेल मिलाप थोड़ा आगे भी बाद जाए तो बुरा ही क्या है॥ परन्तु ज्यादातर यह मेल मिलाप दुसरे पर चेप होने वाला होता है ...वरना हर कार्यालय में सिर्फ़ जोड़े ही नही काम करते क्या? अब सबको पेर्सोनाल्ली तो इन चेप लोगों से मिलवा नही सकता लेकिन आपको आइना ज़रूर दिखा सकता हूँ॥
आप अपनी सीट से उठकर अगर पानी और चाय लेने जाएँ और पीछे पीछे कोई और भी आ जाए, और ऐसा बार बार हो तो आप समझ जाईये आप डिमांड में है॥ आप जब भी ऑफिस में घुसे और जब भी निकले, अगर कोई आपको रोज़ अपना चेहरा दिखाए तो समझ लो भइया ट्रेन छूट पड़ी है॥ बगैर काम के भी काम निकाल कर अगर वोह मिलने की चेष्टा करें तो केस पका समझिये॥
वोह आपके सामने बैठते ही डेस्क, कॉपी, या कीबोर्ड को वाशरूम की दीवाल समझ कर उस पर स्याही पोतने लगे और लिखा क्या वोह खुद उसको न समझ पायें तो समझ लो इबारत शुरू॥ ऑरकुट, फसबुक , मसन, याहू यादी पर आपको मित्रता के आमंत्रण आने लगे और आपकी हर एक्टिविटी पर उनके पास कोई कमेन्ट हो तो जान लीजिये मित्र, वोह आपको अपने बारे में सोचने पर मजबूर कर रहे है॥
आपकी ईमेल पर रोज़ फोर्वार्देद मेसेज आने लगे जो आपको बाहियात लगें पर उन पर सुब्जेक्टलाइन हो ..रीड इट इट्स वैरी फुन्नी॥ आप जैसे तैसे वोह पड़ते है और मन ही मन खुद को कोसते है की क्यों ईमेल दिया, तभी दूसरा ईमेल या फ़ोन आ जाता है पूछने के लिए ..पड़ा न ...सो ट्रू एंड फुन्नी न ॥
आपसे आपका पसंदीदा रंग पूछा जाए और अगले ही दिन से आपको वोह उसी रंग की ड्रेस में दिखने लगे तो ....ठीक इसी तरह आपसे यह पूछना ...आपकी होब्बिएस क्या है ?..हॉबी सुनते ही तुर्रंत बोलें .. हाय येही तो मेरी भी होब्बिएस है..वी हव कोम्मोन इन्तेरेस्ट्स। यानी सौ आने की बात यह की वोह आपके पीछे हाथ धो के पड़ गए है॥
ऑफिस की पार्टी में अगर वोह आपके इर्द गिर्द ही नाचे और पार्टी में आते और जाते टाइम पिक्क और ड्राप भी घर से कराएँ तो भइया आप् तो गंभीर संकट में है..आप आज से चार पहिया चालक भी बन गए है॥ ज़रा ज़रा सी बात पर पार्टी करने या घटिया से घटिया मूवी देखने का बुलावा, तो समझ लो टका आपका ही लगना है॥ अब मूवी के बाद डांस करने का मन भी करता है अगर डिस्क वही हो तो ..फिर डांस के बाद पीने और खाने का तो बनता ही है न॥ अब उनके लिए आपका पैसा उनके हाथ का तो मैल हैं ही न॥
सुबह उठते ही यह पूछने को फ़ोन आए ..उ कमिंग टु ऑफिस न, ई नीद तो दिस्कुस्स सोमेथिंग वैरी इम्पोर्तंत विथ उ ? तो समझ जाओ यह फ़ोन नही आया था यह अलार्म था जो अब से रोज दिन में १० बार बजेगा यह पूछने को ...क्या कर रहे हो? खाना खाया? मेरी मेल देखि? मेरा कॉल क्यों नही ले रहे? समस का जवाब क्यों नही दीया? ऑनलाइन क्यों नही आ रहे? .. इत्यादि इत्यादि॥ लेकिन दिन के अंत में आपको हैरानी होगी सोच के कि इस १० काल में और न ही एक बार भी ऑफिस में वोह इम्पोर्तांत बात तो की ही नहीं॥
आप अगर अपना जन्मदिन भूल भी जाएँ यह ज़रूर याद रखते है और आपको चवन्नि का गिफ्ट दे कर हज़ार का रिटर्न गिफ्ट लेते हैं और साथ में पार्टी भी॥ इतना ही नहीं अपना जन्म दिन तो आपके मोबाइल के अलार्म में ही डलवा के दम लेते है उसके ऊपर से एक महीने पहले से ही आपको याद दिलाना शुरू हो जाता है ..तुमको याद है न २० तारीख को क्या है? आप चाह कर भी यह नहीं बोल पाते ..मेरा ज़नाज़ा निकलेगा ..चलना है क्या?
उम्मीद है दोस्तों मेरे इन विचारों से आपको चेप लोगों से निजात पाने में मदद तो मिलेगी ही और सच्चा प्यार दुन्दने में भी॥
आप अपनी सीट से उठकर अगर पानी और चाय लेने जाएँ और पीछे पीछे कोई और भी आ जाए, और ऐसा बार बार हो तो आप समझ जाईये आप डिमांड में है॥ आप जब भी ऑफिस में घुसे और जब भी निकले, अगर कोई आपको रोज़ अपना चेहरा दिखाए तो समझ लो भइया ट्रेन छूट पड़ी है॥ बगैर काम के भी काम निकाल कर अगर वोह मिलने की चेष्टा करें तो केस पका समझिये॥
वोह आपके सामने बैठते ही डेस्क, कॉपी, या कीबोर्ड को वाशरूम की दीवाल समझ कर उस पर स्याही पोतने लगे और लिखा क्या वोह खुद उसको न समझ पायें तो समझ लो इबारत शुरू॥ ऑरकुट, फसबुक , मसन, याहू यादी पर आपको मित्रता के आमंत्रण आने लगे और आपकी हर एक्टिविटी पर उनके पास कोई कमेन्ट हो तो जान लीजिये मित्र, वोह आपको अपने बारे में सोचने पर मजबूर कर रहे है॥
आपकी ईमेल पर रोज़ फोर्वार्देद मेसेज आने लगे जो आपको बाहियात लगें पर उन पर सुब्जेक्टलाइन हो ..रीड इट इट्स वैरी फुन्नी॥ आप जैसे तैसे वोह पड़ते है और मन ही मन खुद को कोसते है की क्यों ईमेल दिया, तभी दूसरा ईमेल या फ़ोन आ जाता है पूछने के लिए ..पड़ा न ...सो ट्रू एंड फुन्नी न ॥
आपसे आपका पसंदीदा रंग पूछा जाए और अगले ही दिन से आपको वोह उसी रंग की ड्रेस में दिखने लगे तो ....ठीक इसी तरह आपसे यह पूछना ...आपकी होब्बिएस क्या है ?..हॉबी सुनते ही तुर्रंत बोलें .. हाय येही तो मेरी भी होब्बिएस है..वी हव कोम्मोन इन्तेरेस्ट्स। यानी सौ आने की बात यह की वोह आपके पीछे हाथ धो के पड़ गए है॥
ऑफिस की पार्टी में अगर वोह आपके इर्द गिर्द ही नाचे और पार्टी में आते और जाते टाइम पिक्क और ड्राप भी घर से कराएँ तो भइया आप् तो गंभीर संकट में है..आप आज से चार पहिया चालक भी बन गए है॥ ज़रा ज़रा सी बात पर पार्टी करने या घटिया से घटिया मूवी देखने का बुलावा, तो समझ लो टका आपका ही लगना है॥ अब मूवी के बाद डांस करने का मन भी करता है अगर डिस्क वही हो तो ..फिर डांस के बाद पीने और खाने का तो बनता ही है न॥ अब उनके लिए आपका पैसा उनके हाथ का तो मैल हैं ही न॥
सुबह उठते ही यह पूछने को फ़ोन आए ..उ कमिंग टु ऑफिस न, ई नीद तो दिस्कुस्स सोमेथिंग वैरी इम्पोर्तंत विथ उ ? तो समझ जाओ यह फ़ोन नही आया था यह अलार्म था जो अब से रोज दिन में १० बार बजेगा यह पूछने को ...क्या कर रहे हो? खाना खाया? मेरी मेल देखि? मेरा कॉल क्यों नही ले रहे? समस का जवाब क्यों नही दीया? ऑनलाइन क्यों नही आ रहे? .. इत्यादि इत्यादि॥ लेकिन दिन के अंत में आपको हैरानी होगी सोच के कि इस १० काल में और न ही एक बार भी ऑफिस में वोह इम्पोर्तांत बात तो की ही नहीं॥
आप अगर अपना जन्मदिन भूल भी जाएँ यह ज़रूर याद रखते है और आपको चवन्नि का गिफ्ट दे कर हज़ार का रिटर्न गिफ्ट लेते हैं और साथ में पार्टी भी॥ इतना ही नहीं अपना जन्म दिन तो आपके मोबाइल के अलार्म में ही डलवा के दम लेते है उसके ऊपर से एक महीने पहले से ही आपको याद दिलाना शुरू हो जाता है ..तुमको याद है न २० तारीख को क्या है? आप चाह कर भी यह नहीं बोल पाते ..मेरा ज़नाज़ा निकलेगा ..चलना है क्या?
उम्मीद है दोस्तों मेरे इन विचारों से आपको चेप लोगों से निजात पाने में मदद तो मिलेगी ही और सच्चा प्यार दुन्दने में भी॥
बुधवार, 27 मई 2009
मैं और मेरी नौकरी -पार्ट १३
दोस्तों आज मैं आपको विभिन्ह तरह के बोस्सेस से दो -चार करना चाहता हूँ॥ हर साथी की यह दिल से ख्वाइश होती है की वोह अपने बॉस को अच्छी तरह से जाने पहचाने। आपकी इस इक्छा को आज मैं पुरा करने की कोशिश करूंगा॥
१) टंगडी बाज़ : यह सभी जगह पायी जाने वाली वोह प्रजाति है जिसका एक ही काम है ..टीम के काम मैं अड़ंगा लगना। इस प्रजाति के बॉस हमेशा एक ही वाक्य का प्रयोग करते है .."यह नही चलेगा..मैनेजमेंट विल नॉट अप्प्रूव इट"॥
२) लाफ्फेबाज़ : हर कार्यालय मैं यह महाशय तो पाये ही पाये जाते है॥ यह लोग कहानी गड़ने मे तो गोल्ड मेडलिस्ट होते है॥ कहीं कोई भी कैसा भी डिस्कशन चल रहा हो इनके पास एक किस्सा तो होता ही है बताने को॥ इनकी एक और खूबी होती है आप चाहे इनकी बात को अनसुना भी करे तब भी यह आपको पुरी बात बता के ही छोड़ते है॥
३) खाऊ : ज़िन्दगी मे एक ही मंत्र है इनका ..खाओ, खाते रहो वोह भी टीम के पैसों से॥ छोटी छोटी बात पर यह आपको पकड़ लेंगे ..यार इस बात पर तो पार्टी होनी चाहिए॥ मान न मान मैं तेरा मेहमान वाली कहावत पर अमल करना तो कोई इनसे सीखे ...अकेले नही खाते ..पुरी टीम को भी आमंत्रण दे डालते है विथ अ स्माल स्पीच - हई फ्रिएंड्स मिस्टर ..... आज हम सब को पार्टी दे रहे है ..टॉप बॉस से पहली बार मिलने की खुशी मे॥ आपका खून जल कर आधा हो जाता है जब आपके पैसे की पार्टी मे बॉस हई नही टॉप बॉस भी शामिल हो जाता है॥
४) कबूतर : बड़ी आराम से पायी जाने वाली प्रजाति है यह..इनका बस एक ही काम ...कबूतर की तरह ..इधर की चिट्ठी उधर और उधर की इधर॥ अब इधर की उधर मे कुछ मसाला अपने आप लग जाता है तो इसमे इनकी क्या गलती..सब तरफ़ पोल्लुशन है ही इतना॥
५) चाची : इनके पास तो घर की बातों के अलावा कुछ होता ही नही॥ आप अगर ऐसे बॉस के टीम मेंबर हैं तो तैयार हो जाईये कि बॉस के घर क्या बना, क्या क्या नया खरीदा, बच्चे क्या कर रहे है, सासू माँ के क्या हाल है इत्यादि॥ बस इनकी प्रॉब्लम इतनी है कि यह आपके बारे मे भी येही सब जानना चाहते है॥ अरे भाई ..डिस्कशन आगे कैसे बढेगा वरना॥
६) नादान : इस बॉस को कुछ भी पता नही होता और हर चीज़ के लिए आपको एक ही जवाब मिलता है - लेट मी कम बेक टो यू॥ अब इसमे बिचारे बॉस कि क्या गलती ..उसको भी तो अपने बॉस के पास जाना होता है जवाब के लिए॥
७) एक्स अल : इस प्राणी का एक ही काम होता है । एक्स अल शीट्स और रिपोर्ट्स तैयार करते रहना ..आपका काम न भी हो तो ठीक है पर रिपोर्ट समय पर और सही जानी चाहिए॥ रिपोर्ट से क्या होता है यह जानना आपका काम नही है ..भाई यह बॉस का काम होता है॥
८) टोपीबाज़ : यह बॉस कभी ख़ुद कुछ काम नही करता सिर्फ़ काम को इधर से उधर करता है॥ वैसे मुझे लगता है यह हमारी नासमझी है बॉस के प्रोफाइल के बारे मे ..क्युकी शायद बॉस का काम येही तो होता है॥
९) सांप : यह बड़ी खतरनाक तरीके के बॉस होते है। सारा काम और इन्फोर्मेशन अपनी कुंडली के नीचे दबा के रखते है आप कुछ भी मांगे आपको फुंफकार के सिवा कुछ और नही मिलता...हाँ एक दो छींटे विष के मिल जाए तो आप अपने आप को धन्य ही समझे॥
१०) टेडी : टेडी बेर की तरह इसका काम सिर्फ़ प्यार पाना होता है। कौन, किससे, कहाँ, कैसे, कब, जैसे शब्द इनके लिए निराधार होते है॥
अभी अनेक प्रकार के बोस्सेस बचे है मेरी लिस्ट मे ..पर वोह फिर कभी .आप तब तक इनसे तो निपट लें।
१) टंगडी बाज़ : यह सभी जगह पायी जाने वाली वोह प्रजाति है जिसका एक ही काम है ..टीम के काम मैं अड़ंगा लगना। इस प्रजाति के बॉस हमेशा एक ही वाक्य का प्रयोग करते है .."यह नही चलेगा..मैनेजमेंट विल नॉट अप्प्रूव इट"॥
२) लाफ्फेबाज़ : हर कार्यालय मैं यह महाशय तो पाये ही पाये जाते है॥ यह लोग कहानी गड़ने मे तो गोल्ड मेडलिस्ट होते है॥ कहीं कोई भी कैसा भी डिस्कशन चल रहा हो इनके पास एक किस्सा तो होता ही है बताने को॥ इनकी एक और खूबी होती है आप चाहे इनकी बात को अनसुना भी करे तब भी यह आपको पुरी बात बता के ही छोड़ते है॥
३) खाऊ : ज़िन्दगी मे एक ही मंत्र है इनका ..खाओ, खाते रहो वोह भी टीम के पैसों से॥ छोटी छोटी बात पर यह आपको पकड़ लेंगे ..यार इस बात पर तो पार्टी होनी चाहिए॥ मान न मान मैं तेरा मेहमान वाली कहावत पर अमल करना तो कोई इनसे सीखे ...अकेले नही खाते ..पुरी टीम को भी आमंत्रण दे डालते है विथ अ स्माल स्पीच - हई फ्रिएंड्स मिस्टर ..... आज हम सब को पार्टी दे रहे है ..टॉप बॉस से पहली बार मिलने की खुशी मे॥ आपका खून जल कर आधा हो जाता है जब आपके पैसे की पार्टी मे बॉस हई नही टॉप बॉस भी शामिल हो जाता है॥
४) कबूतर : बड़ी आराम से पायी जाने वाली प्रजाति है यह..इनका बस एक ही काम ...कबूतर की तरह ..इधर की चिट्ठी उधर और उधर की इधर॥ अब इधर की उधर मे कुछ मसाला अपने आप लग जाता है तो इसमे इनकी क्या गलती..सब तरफ़ पोल्लुशन है ही इतना॥
५) चाची : इनके पास तो घर की बातों के अलावा कुछ होता ही नही॥ आप अगर ऐसे बॉस के टीम मेंबर हैं तो तैयार हो जाईये कि बॉस के घर क्या बना, क्या क्या नया खरीदा, बच्चे क्या कर रहे है, सासू माँ के क्या हाल है इत्यादि॥ बस इनकी प्रॉब्लम इतनी है कि यह आपके बारे मे भी येही सब जानना चाहते है॥ अरे भाई ..डिस्कशन आगे कैसे बढेगा वरना॥
६) नादान : इस बॉस को कुछ भी पता नही होता और हर चीज़ के लिए आपको एक ही जवाब मिलता है - लेट मी कम बेक टो यू॥ अब इसमे बिचारे बॉस कि क्या गलती ..उसको भी तो अपने बॉस के पास जाना होता है जवाब के लिए॥
७) एक्स अल : इस प्राणी का एक ही काम होता है । एक्स अल शीट्स और रिपोर्ट्स तैयार करते रहना ..आपका काम न भी हो तो ठीक है पर रिपोर्ट समय पर और सही जानी चाहिए॥ रिपोर्ट से क्या होता है यह जानना आपका काम नही है ..भाई यह बॉस का काम होता है॥
८) टोपीबाज़ : यह बॉस कभी ख़ुद कुछ काम नही करता सिर्फ़ काम को इधर से उधर करता है॥ वैसे मुझे लगता है यह हमारी नासमझी है बॉस के प्रोफाइल के बारे मे ..क्युकी शायद बॉस का काम येही तो होता है॥
९) सांप : यह बड़ी खतरनाक तरीके के बॉस होते है। सारा काम और इन्फोर्मेशन अपनी कुंडली के नीचे दबा के रखते है आप कुछ भी मांगे आपको फुंफकार के सिवा कुछ और नही मिलता...हाँ एक दो छींटे विष के मिल जाए तो आप अपने आप को धन्य ही समझे॥
१०) टेडी : टेडी बेर की तरह इसका काम सिर्फ़ प्यार पाना होता है। कौन, किससे, कहाँ, कैसे, कब, जैसे शब्द इनके लिए निराधार होते है॥
अभी अनेक प्रकार के बोस्सेस बचे है मेरी लिस्ट मे ..पर वोह फिर कभी .आप तब तक इनसे तो निपट लें।
गुरुवार, 14 मई 2009
मैं और मेरी नौकरी -पार्ट १२
दोस्तों, चुनाव का मौसम है, आइये आपको अपनी कार्यालय रूपी डेमोक्रेसी से आपको दो चार करता हूँ॥
भारत की तरह हमारे कार्यालय में भी डेमोक्रेसी है बस सिर्फ़ सरकार का बदलाव ५ साल की जगह हर पाँच महीने में ही होता है॥ भारत के चुनाव में हर १८ साल से बड़ा व्यक्ति मतदान कर सकता है परन्तु हमारे यहाँ यह अधिकार ४० साल से ज्यादा वाले लोगों को ही प्राप्त है॥
पार्लियामेंट के हर चुनाव के साथ जनसँख्या वृधि के कारन कुल सीट बड़ा दी जाती है परन्तु सारे संसद सदस्य उसी पार्लियामेंट में आ जाते है वैसे ही हमारे कार्यालय में भी कितने भी लोग क्यों न हो समां ही जाते है॥
जितने भारत में राज्य है तकरीबन उतने ही हमारे यहाँ विभाग है॥ हर विभाग राज्यों की तरह केन्द्र की सहायता पर निर्भर रहता है॥ इसी कारन विभागों की सरकार गिराने में भी केन्द्र का महत्तपूर्ण योगदान रहता है॥ केन्द्र की घटबंधन की सरकार की तरह हमारे यह विभाग भी एक दुसरे को पटकने के लिए सदा तत्पर रहते है॥ जैसे केन्द्र कि सरकार में सारे महत्वपूर्ण विभाग सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ लोगो को मिलते है वैसे ही हमारे यहाँ...
जैसे सरकार में जितने संसद सदस्य उतने ही मंत्री वैसे ही हमारे यहाँ जितने एम्प्लोयीस वोह सारे ही मेनेजर। कई बार तो सरकार की तरह ही बिना विभाग के मेनेजर भी पाये जाते है॥ अलबत्ता मुझे कहते हुए गर्व होता है कि नारी शशक्तिकरण के मामले में हमारा कार्यालय भारत सरकार से बहुत आगे है॥ ज्यादातर मेनेजर महिलाये ही है॥
केन्द्र के हर मंत्री को सुरक्षा मुहैया करायी जाती है वैसे ही हमारे कार्यालय में हम सभी ने एक सुरक्षानामे पर हस्ताक्षर करके अपने आप को सुरक्षित कर लिया है॥ कार्यालय में किसी तरह ही हिंसा न हो इसलिए सिक्यूरिटी गौर्ड्स के हथियार भी वापस करा दिए गए है॥
संसद एक हरिटेज बिल्डिंग में गिनी जाती है ठीक हमारे कार्यालय के समान। आपको तो पता ही है किसी भी हेरिटेज बिल्डिंग में कुछ जीर्नौधार कराने से पहले अर्चेओलोगिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया कि अनुमति लेनी पड़ती है वैसे ही हमारे यहाँ भी...। पुराने हुए या टूटे हुए हिस्सों कि मर्रम्मत में हमेशा यह ध्यान रखा जाता है कि मरम्मत भी आर्ट वर्क ही लगे॥
संसद में पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद एक दूसरे पर उंगली उठा सकते है आपने देखा ही होगा उसका परिणाम यह होता है कि लोग संसद में काम ही नही करते॥ इसीलिए उंगली उठाने का अधिकार हमारे यहाँ सिर्फ़ सत्ता पक्ष को दिया गया है...अब इस प्रयोग के बाद लोग काम करते है या नही यह अभी तय नही हो पा रहा॥
संसदीय परंपरा में हर समस्या के लिए एक कमटी का गठन किया जाता है, हम भी इस परम्परा का पालन बखूबी करते है और हर कमटी कि रिपोर्ट या तो निकल ही नही पाती या उसमे यही निकलता है ...गलती दुसरे (क्लाइंट) की ही थी॥
चुनाव ख़तम हो गए है इसलिए यह पोस्ट भी ख़तम कर रहा हूँ॥ नई सरकार के बारे में लिखूंगा १६ मई के बाद॥ तब तक ... :)
भारत की तरह हमारे कार्यालय में भी डेमोक्रेसी है बस सिर्फ़ सरकार का बदलाव ५ साल की जगह हर पाँच महीने में ही होता है॥ भारत के चुनाव में हर १८ साल से बड़ा व्यक्ति मतदान कर सकता है परन्तु हमारे यहाँ यह अधिकार ४० साल से ज्यादा वाले लोगों को ही प्राप्त है॥
पार्लियामेंट के हर चुनाव के साथ जनसँख्या वृधि के कारन कुल सीट बड़ा दी जाती है परन्तु सारे संसद सदस्य उसी पार्लियामेंट में आ जाते है वैसे ही हमारे कार्यालय में भी कितने भी लोग क्यों न हो समां ही जाते है॥
जितने भारत में राज्य है तकरीबन उतने ही हमारे यहाँ विभाग है॥ हर विभाग राज्यों की तरह केन्द्र की सहायता पर निर्भर रहता है॥ इसी कारन विभागों की सरकार गिराने में भी केन्द्र का महत्तपूर्ण योगदान रहता है॥ केन्द्र की घटबंधन की सरकार की तरह हमारे यह विभाग भी एक दुसरे को पटकने के लिए सदा तत्पर रहते है॥ जैसे केन्द्र कि सरकार में सारे महत्वपूर्ण विभाग सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ लोगो को मिलते है वैसे ही हमारे यहाँ...
जैसे सरकार में जितने संसद सदस्य उतने ही मंत्री वैसे ही हमारे यहाँ जितने एम्प्लोयीस वोह सारे ही मेनेजर। कई बार तो सरकार की तरह ही बिना विभाग के मेनेजर भी पाये जाते है॥ अलबत्ता मुझे कहते हुए गर्व होता है कि नारी शशक्तिकरण के मामले में हमारा कार्यालय भारत सरकार से बहुत आगे है॥ ज्यादातर मेनेजर महिलाये ही है॥
केन्द्र के हर मंत्री को सुरक्षा मुहैया करायी जाती है वैसे ही हमारे कार्यालय में हम सभी ने एक सुरक्षानामे पर हस्ताक्षर करके अपने आप को सुरक्षित कर लिया है॥ कार्यालय में किसी तरह ही हिंसा न हो इसलिए सिक्यूरिटी गौर्ड्स के हथियार भी वापस करा दिए गए है॥
संसद एक हरिटेज बिल्डिंग में गिनी जाती है ठीक हमारे कार्यालय के समान। आपको तो पता ही है किसी भी हेरिटेज बिल्डिंग में कुछ जीर्नौधार कराने से पहले अर्चेओलोगिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया कि अनुमति लेनी पड़ती है वैसे ही हमारे यहाँ भी...। पुराने हुए या टूटे हुए हिस्सों कि मर्रम्मत में हमेशा यह ध्यान रखा जाता है कि मरम्मत भी आर्ट वर्क ही लगे॥
संसद में पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद एक दूसरे पर उंगली उठा सकते है आपने देखा ही होगा उसका परिणाम यह होता है कि लोग संसद में काम ही नही करते॥ इसीलिए उंगली उठाने का अधिकार हमारे यहाँ सिर्फ़ सत्ता पक्ष को दिया गया है...अब इस प्रयोग के बाद लोग काम करते है या नही यह अभी तय नही हो पा रहा॥
संसदीय परंपरा में हर समस्या के लिए एक कमटी का गठन किया जाता है, हम भी इस परम्परा का पालन बखूबी करते है और हर कमटी कि रिपोर्ट या तो निकल ही नही पाती या उसमे यही निकलता है ...गलती दुसरे (क्लाइंट) की ही थी॥
चुनाव ख़तम हो गए है इसलिए यह पोस्ट भी ख़तम कर रहा हूँ॥ नई सरकार के बारे में लिखूंगा १६ मई के बाद॥ तब तक ... :)
बुधवार, 18 फ़रवरी 2009
मैं और मेरी नौकरी -पार्ट 11
आदरणीय पाठकों,
पिछले २ माह से न लिखने के लिए खेद प्रकट करता हूँ। अब औपचारिकता तो निभानी ही पड़ती है। वरना आप सभी तो सोच ही रहे होंगे अच्छा हुआ ...एक पकाऊ लेखक से छुटकारा तो मिला। अब आपने पकाऊ कह ही दिया है तो झेलिये फिर से॥
विगत ३-४ माह से इस स्लोदोउन, रेसेसन, लेओफ्फ़ जैसे सब्दो ने तो नाक में दम कर दिया है। विचार आया की आप सबको लेओफ्फ़ से बचाना मेरा धर्म है सो नुस्खे बयां कर रहा हूँ ...
नुस्खा # १ : इतनी मंदी में जब काम है ही नही तो आप काम करने का दिखावा करके तो नौकरी बचा नही सकते सो आप मैनेजमेंट को यह ज़रूर दर्शायें की आप कोस्ट-कटिंग में उनके साथ है। छोटे छोटे आंकडे अपने पास रखे और रोज़ गाये जैसे की - आज अपने कितने वाट बिजली बचायी..(चिंता न करें ...यह कोई नही जान पायेगा की आप बिजली बंद करके सो रहे थे), आज आपने कितनी छोटी छोटी बात की फ़ोन पर (अब यह किसे पता की हर बार क्लाइंट ने फ़ोन आप पर पटक दिया), आज आपने कोई प्रिंट-आउट नही निकला (अरे ..प्रिंटर की स्याही तो कल के २०० पेज के पर्सनल प्रिंट आउट में ख़तम जो हो गई थी) ॥
नुस्खा # २: टॉप मैनेजमेंट के टॉमी बन जाएँ कुछ समय के लिए, और हमेशा दुम हिलाते रहे आगे पीछे॥ किसी भी काम को न ना कहें॥ इसके साथ साथ बार बार यह बताते रहे मैनेजमेंट को ..मंदी बस जाने ही वाली है॥
नुस्खा #३ : कोई स्कान्देल पकड़ लें या कर दें आपने कार्यालय में ..लेकिन होना इतना बड़ा चाहिए की कार्यालय को आपको निकालने में ही डर लगे॥ उदाहरण स्वरुप ..मैनेजमेंट में किसी के साथ डेट मार लें और डेट की ट्रांसक्रिप्ट आड़े समय के लिए सहेज कर रखे॥
नुस्खा #४ : अन्दर की बातों के भागी बने..जैसे की HR और एक्कोउन्ट्स वाले होते है॥ आपने शायद ही सुना हो इन लोगों की नौकरी पहले जाते हुए॥
नुस्खा # ५ : यह बात आग की तरह फैलाये पुरे ऑफिस में की मंदी है.. लेकिन आपकी स्किल्लस और एक्सपेरिएंस वाले रेसौर्सस का ज़बरदस्त टोटा है मार्केट में॥ यह तो आप का आपने काम ,से और कंपनी से लगाव है जिसकी वजह से आप रुके हुए है बरना आपको तो दसियों नौकरी के ओफ्फेर्स हैं॥
नुस्खा # ६ : मंदी की मार से बचने के लिए मैनेजमेंट को पैसे बनाने के नए नए जुगाड़ बताएं॥ लेकिन यह ध्यान रहे की इस जुगाड़ पर काम करना सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको ही आता हो॥ अगर आपका जुगाड़ काम न भी करे तो क्या ..आप मंदी का रोना फिर रो दे और एक नया जुगाड़ पेश कर दें॥
नुस्खा # ७ : जिनको आपसे ज्यादा इम्पोरतांस मिलती हो या ज्यादा ज्ञान हो या ज्यादा पैसे मिलते हो ...यह सही समय है अपनी खुनस निकलने का ..मैनेजमेंट को रोज़ आग लगायें... इस रोल की आज ज़रूरत नही है ...उस बन्दे का काम तो आप ही कर सकते है...ऐसा रोज़ करने से आपके रस्ते का कांटा भी साफ़ और आपकी नौकरी और भी पक्की॥
नुस्खा # ८ : अगर तनख्वाह में कमी की बात उठे तो आप सबसे पहले हाँ करें। यह कदम उठाने के बाद मैनेजमेंट मजबूर हो जायेगा आपको पुरी मंदी के दौरान झेलने को॥ इससे अच्छा क्या होगा -- न काम करना और ठीक ठाक पैसे भी॥
नुस्खा # ९ : जैसे ही आपको आपने HR वाले सूत्रों से पता चले कि आपका नाम भी छटनी वाली लिस्ट में हैं ..आप तुंरत ही एक ऐसा बिज़नस केस पेश कर दें जिसमे अरबों डोल्लार्स का सपना हो॥ कंपनी इस सपने में जीते हुए आपको कम से कम ४-५ महीने तो झेल ही जायेगी॥
नुस्खा # १० : वैसे तो ऊपर दिए नुस्खे राम बाड़ है लेकिन हमारी मिस्सिएल्स कि तरह कभी न चले तो इसकी तैयारी स्वरुप आप ऑफिस के प्रिंटर, पन्नों, इन्टरनेट और डाटाबेस का भरपूर उपयोग करें आपने लिए एक नया घरोंदा ढूँढने के लिए॥
चलिए आप इन नुस्खों पर अमल करना सीखिए तब तक मैं ज़रा अपनी नौकरी बचा के आता हूँ॥
पिछले २ माह से न लिखने के लिए खेद प्रकट करता हूँ। अब औपचारिकता तो निभानी ही पड़ती है। वरना आप सभी तो सोच ही रहे होंगे अच्छा हुआ ...एक पकाऊ लेखक से छुटकारा तो मिला। अब आपने पकाऊ कह ही दिया है तो झेलिये फिर से॥
विगत ३-४ माह से इस स्लोदोउन, रेसेसन, लेओफ्फ़ जैसे सब्दो ने तो नाक में दम कर दिया है। विचार आया की आप सबको लेओफ्फ़ से बचाना मेरा धर्म है सो नुस्खे बयां कर रहा हूँ ...
नुस्खा # १ : इतनी मंदी में जब काम है ही नही तो आप काम करने का दिखावा करके तो नौकरी बचा नही सकते सो आप मैनेजमेंट को यह ज़रूर दर्शायें की आप कोस्ट-कटिंग में उनके साथ है। छोटे छोटे आंकडे अपने पास रखे और रोज़ गाये जैसे की - आज अपने कितने वाट बिजली बचायी..(चिंता न करें ...यह कोई नही जान पायेगा की आप बिजली बंद करके सो रहे थे), आज आपने कितनी छोटी छोटी बात की फ़ोन पर (अब यह किसे पता की हर बार क्लाइंट ने फ़ोन आप पर पटक दिया), आज आपने कोई प्रिंट-आउट नही निकला (अरे ..प्रिंटर की स्याही तो कल के २०० पेज के पर्सनल प्रिंट आउट में ख़तम जो हो गई थी) ॥
नुस्खा # २: टॉप मैनेजमेंट के टॉमी बन जाएँ कुछ समय के लिए, और हमेशा दुम हिलाते रहे आगे पीछे॥ किसी भी काम को न ना कहें॥ इसके साथ साथ बार बार यह बताते रहे मैनेजमेंट को ..मंदी बस जाने ही वाली है॥
नुस्खा #३ : कोई स्कान्देल पकड़ लें या कर दें आपने कार्यालय में ..लेकिन होना इतना बड़ा चाहिए की कार्यालय को आपको निकालने में ही डर लगे॥ उदाहरण स्वरुप ..मैनेजमेंट में किसी के साथ डेट मार लें और डेट की ट्रांसक्रिप्ट आड़े समय के लिए सहेज कर रखे॥
नुस्खा #४ : अन्दर की बातों के भागी बने..जैसे की HR और एक्कोउन्ट्स वाले होते है॥ आपने शायद ही सुना हो इन लोगों की नौकरी पहले जाते हुए॥
नुस्खा # ५ : यह बात आग की तरह फैलाये पुरे ऑफिस में की मंदी है.. लेकिन आपकी स्किल्लस और एक्सपेरिएंस वाले रेसौर्सस का ज़बरदस्त टोटा है मार्केट में॥ यह तो आप का आपने काम ,से और कंपनी से लगाव है जिसकी वजह से आप रुके हुए है बरना आपको तो दसियों नौकरी के ओफ्फेर्स हैं॥
नुस्खा # ६ : मंदी की मार से बचने के लिए मैनेजमेंट को पैसे बनाने के नए नए जुगाड़ बताएं॥ लेकिन यह ध्यान रहे की इस जुगाड़ पर काम करना सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको ही आता हो॥ अगर आपका जुगाड़ काम न भी करे तो क्या ..आप मंदी का रोना फिर रो दे और एक नया जुगाड़ पेश कर दें॥
नुस्खा # ७ : जिनको आपसे ज्यादा इम्पोरतांस मिलती हो या ज्यादा ज्ञान हो या ज्यादा पैसे मिलते हो ...यह सही समय है अपनी खुनस निकलने का ..मैनेजमेंट को रोज़ आग लगायें... इस रोल की आज ज़रूरत नही है ...उस बन्दे का काम तो आप ही कर सकते है...ऐसा रोज़ करने से आपके रस्ते का कांटा भी साफ़ और आपकी नौकरी और भी पक्की॥
नुस्खा # ८ : अगर तनख्वाह में कमी की बात उठे तो आप सबसे पहले हाँ करें। यह कदम उठाने के बाद मैनेजमेंट मजबूर हो जायेगा आपको पुरी मंदी के दौरान झेलने को॥ इससे अच्छा क्या होगा -- न काम करना और ठीक ठाक पैसे भी॥
नुस्खा # ९ : जैसे ही आपको आपने HR वाले सूत्रों से पता चले कि आपका नाम भी छटनी वाली लिस्ट में हैं ..आप तुंरत ही एक ऐसा बिज़नस केस पेश कर दें जिसमे अरबों डोल्लार्स का सपना हो॥ कंपनी इस सपने में जीते हुए आपको कम से कम ४-५ महीने तो झेल ही जायेगी॥
नुस्खा # १० : वैसे तो ऊपर दिए नुस्खे राम बाड़ है लेकिन हमारी मिस्सिएल्स कि तरह कभी न चले तो इसकी तैयारी स्वरुप आप ऑफिस के प्रिंटर, पन्नों, इन्टरनेट और डाटाबेस का भरपूर उपयोग करें आपने लिए एक नया घरोंदा ढूँढने के लिए॥
चलिए आप इन नुस्खों पर अमल करना सीखिए तब तक मैं ज़रा अपनी नौकरी बचा के आता हूँ॥
सदस्यता लें
संदेश (Atom)