रोकेट सिंह देखी पिछले दिनों - देखते ही लग गया की यह तो अपनी ही कहानी है॥ तो दोस्तों आईये आज अपने ही धंधे की तीन पांच की जाए॥
किसी संत ने ठीक ही कहा है की अगर आपको कुछ न आता हो, नंबर अच्छे न आये हो या अपने ऊपर भरोसा न हो तो आपको सोचना कुछ नहीं है बस सेल्स पकड़ लीजिये॥ और विडावना यह देखिये कि हर कार्यालय बस सेल्स सेल्स ही करता रहता है..यानि इस लाइन में नौकरी कि तो कमी नहीं है॥ अब अगर आप किसी और लाइन में हो और खली बैठे हो तो सोचिये मत सेल्स में कूद पड़िए..करना बस इतना है ...मार्केट विसिट पर जाईये और पूरा दिन किसी हप्पेनिंग जोइंट पर बितायिये ...बस शाम को ऑफिस आके रिपोर्ट बनाना मत भूलना...वोह भी १०- १२ विसिटिंग कार्ड्स के साथ में॥ मैं तो माल में खड़ा होके बस लोगो के विसिटिंग कार्ड्स ही इक्कट्ठा करता रहता था...इस तरीके आप कम से कम २-३ महीने तो आराम से तन्क्वाह पा ही सकते है॥
सेल्स वाले कंपनी के आँख के तारे होते है जब तक कंपनी के लिए पैसे लाते है॥ परन्तु अगर इसका कहीं उल्टा हो जाए तब तो भैया बहार का रास्ता दिखाने में भी कंपनी ज़रा देर नहीं लगाती॥ लेकिन डरने कि कोई बात नहीं ...जो पिछली कंपनी का धंधा है उसको सब अपना लाया हुआ बोल के नयी कंपनी में नौकरी तो आराम से मिल ही जायेगी॥ केस को और सच्चा बनाने के लिए पुरानी कंपनी का डाटाबेस तो कंपनी में जाते ही अंटी कर लेना चाहिए॥
सेल्समैन सदा कहता है कि सेल्स एक कला है जो सिर्फ उसे आती है और उसके उलट उसकी कंपनी हमेशा येही एस्ताब्लिश करने में लगी रहती है कि सेल्स एक विज्ञानं है॥ इसी द्वंद के चलते कितनी ही कंपनियों ने अपनी रोटी सेंक ली -सेल्स फोर्स ऑटोमेसन या सी आर ऍम जैसे टूल्स बनाके॥ इस द्वंद में भी सेल्समैन ही बाजी मारता है क्युकी जब उसके कंपनी छोड़ने के बाद कोई दूसरा जब उस केस पर काम करता है तो पता चलता है कि इस नाम क़ी कंपनी ही नहीं है और वोह जो १०० - १०० डेली मेल्स जाती थी वोह तो उस कंपनी में बिज़नस को नहीं बल्कि गर्लफ्रेंड या बॉय फ्रेंड को थी॥
जबसे यह आउट सोर्सिंग का चलन बड़ा है तब से सेल्स क़ी नौकरी भी बदल गयी है ..पहले ऑफिस ऑफिस जाके बेचना होता था अब सीट पर बैठ के सैकड़ों मील दूर बैठे लोगों को चूना लगाना होता है॥ पर यह सेल्स कोम ही ऐसी है कि बाहर वालों से ज्यादा अपने घरवालों से प्यार करती है इसीलिए आरामदायक सीट पर विराजमान होकर इन्टरनेट और फ़ोन का भरपूर उपयोग अपने अपनों से सम्बन्ध सुधारने में होता हैं॥
सेल्स का गुरु मंत्र है ..कभी भी ज्यादा मेहनत मत करो और ज्यादा बिज़नस मत लाओ...जितना ज्यादा लाओगे टारगेट्स उतने ही बढ जायेंगे॥ बस महीने में एक केस क्लोस करो फिर पूरा महिना बैठ के खाओ॥ अगर कोई धंधा इस महीने आने भी वाला हो तो उसको अगले महीने खिसका दो..भैया अगले महीने भी तो नौकरी बचानी है॥
चलो भाईया अगर अगले महीने नौकरी बची तो अपने कच्चे चिट्ठे और खोलूँगा ...तब तक .....सेल्स (आराम)
सोमवार, 8 फ़रवरी 2010
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