दोस्तों हाज़िर हूँ पूरे ८ सालों बाद अपनी नयी पोस्ट लेके!!!
यह श्रृंखला हम हिन्दुस्तानियों की कार्य सम्बंधित विदेश यात्राओं पर आधारित है|
सर्दी की पैकिंग : हमारे घर वाले, दोस्त और जानकार भूगोल में इतने पारंगत होते है कि हमारे देश से बहार जाने की बात सुन कर ही हमको वेदर चैनल की तरह दुनिया के किसी भी कोने में भयंकर सर्दी होने का न सिर्फ आभास कराते हैं बल्कि हमको मनवा भी देते हैं| परिणाम यह होता है की २३ किलो का बैगेज अलाउंस ओवर वेट की केटेगरी में आ जाता हैं और हम एयरपोर्ट पर अकेले ऐसे प्राणी प्रदर्शित होते है जो ३-३ बैग लिए दिख रहे रहे होते है और फिर भी यह कन्फर्म नहीं होता कि कुछ छूटा तो नहीं| और विदेश में सर्दी का आलम यह होता है कि आप निक्कर और बनियान में ही सर्दी में भी गर्मी का अहसास करते हो (भला हो उन अंडरवियर और बनियान बनाने वालो का )| उफ़ हमारे पहुँचते ही ग्लोबल वार्मिंग आ गयी |
घर का खाना : हमको तो पैदा होते ही पता होता है कि सिर्फ भारतीय खाना ही सात्विक और स्वास्थयप्रद होता है बाकी सारी दुनिया के लोग तो बस जंक फ़ूड खा खा कर मोटे हो रहे है | हमारे पूरी, परांठे, पकोड़ी, कचौड़ी, लड्डू, अचार, खाकडे, फाफड़े, नमकीन में ही तो सिर्फ परिवार का प्यार और सेहत होती है.....वैसे हल्दीराम, ऍम. टी. आर. और आई .टी.सी भी तो आजकल हमारे परिवार वाले ही तो हैं | इसी प्यार और सेहत को समेटे होता है हमारा एक पूरा २३ किलो का बैग | बनता है भाई! अब १५ दिन के ट्रेवल में हम अपनी सेहत से खिलवाड़ थोड़े कर सकते है विदेशी खाना खाके|
असाधारण आवभगत : अथिति देवो भव: का पूर्ण अहसास तो हमको विदेश आकर ही पता चलता है जहाँ पर हमारी पुरज़ोर आवभगत की आदत का बदला हिंदुस्तानी देवो भव: के रूप में पूर्णतया सूद के साथ वापस किया जाता है| आवभगत का जनाब आलम यह है कि हमारे लिए पूरी-पूरी हिंदुस्तानी आदमी देखने वाली मशीनें लगा दी है इन विदेशियों ने एयरपोर्ट्स पर | ज़रूर ये लोग हमारे अंदर छुपा हुआ ज्ञान और सेहत का कोष स्कैन करके चुरा रहे है! तभी तो .... हमको इस मशीन से भला न निकाले यह तो हो ही नहीं सकता!!!
हमारे वी. आई. पी. आवभगत में कोई कमी न रह जाए इसीलिए हमारे ३-३ बस्तों को भी पूरी तब्बजो दी जाती है| इसको आप सम्मान और स्नेह की इन्तेहााँ ही कहेंगे कि हमारी पाकशैली समझने के लिए पूरी की पूरी यंत्रों और विद्वानो की पूरी टोली लगा दी जाती है | हर बार यह बेचारे हमारी पाककला को लेकर इतने विस्मित हो जाते है कि सब सामान हमसे मांग लेते है और अपने पास रख लेते है आगे के अनुसन्धान के लिए | अब हम इनको कैसे समझाएं कि.... रहने ही देते है यह लोग न समझ पाएंगे हमको |
इस बिग डाटा और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के ज़माने से दशकों पहले ही, हमने अपने विदेश यात्रा पर आये हुए हिंदुस्तानी होने के सूचक दुनिया को थमा दिए थे| कुछ वैज्ञानिक तथ्य प्रस्तुत है :
१. आप किसी व्यावसायिक मीटिंग में किसी को अगर "यस, वी कैन दू थिस ", "यस, वी हैव डन इट", "वी कैन मैनेज सच बिग एंड काम्प्लेक्स प्रोजेक्ट्स विथ आवर प्रोवेन प्रोसेसेस" जैसे भारी भरकम सांत्वना दायी वाक्यों का प्रयोग करते देखें तो दो पल भी न सोचिये, यह हम ही है| अब वह अलग बात है कि सब प्रोजेक्ट्स में प्रोवेन प्रोसेसेज में बस थोड़ी कमी रह जाती है, क्या भाई, हम हिंदुस्तानी इंसान नहीं है?
२. अगर कोई काम के वक़्त भी हर बिल्डिंग, मोन्यूमेंट, ट्रैन और बस में सेल्फी लेता दिखे तो भाई पहचान लेना हमको, आखिर व्हाट्सप्प, इंस्टा, एफबी पर भी तो बताना होता है न सबको कि हम विदेश यात्रा पर हैं |
३. अगर कोई दोपहर के भोजन में चमकता हुआ लाल या हरा एप्पल और बड़ा सा केला खाता दिखे तो समझ जाइये हम विदेश यात्रा पर हैं | अब होटल में सुबह के नाश्ते से दोपहर के भोजन का भी काम हो जाए तो बुराई क्या है, बताइये? एक, दो फल बस ज़्यादा ही तो रखे थे लैपटॉप बैग में! वैसे फ्लेवर्ड दही, मफिन, जैम-ब्रेड वगैरह भी कई बार पता नहीं क्यों बैग में चले ही जाते है?
४. होटल का कमरा, बस्ता या सार्वजनिक स्थान जब तेल, मसाला, हल्दी, लहसुन, प्याज की खुसबू से ज़ोर शोर से वातावरण को सुगन्धित करें को बस समझ जाओ हम यात्रा पर है|
५. कैज़ुअल भेषभूषा अपनाने वाले देशों में भी जब कोई सर्दी का या शादी वाला सूट और टाई लगा के निकले तो समझ जाओ कि वी हिंदुस्तानीस मीन बिज़नेस!!
६. डाउनटाउन में अगर कोई इधर उधर भटकती या जी. पी. यस. को पीती हुई कोई आत्मा दिखे तो दो बार सोचियेगा भी मत क्युकी हम या तो इंडियन रेस्ट्रॉन्ट की तलाश में हैं या फिर कवेयन्स के पैसे जोड़ रहे है एन्ड ऑफ़ बिज़नेस ट्रिप ख़रीददारी के लिए |
७. शॉपिंग के वक़्त या टिप देते वक़्त अगर कोई मेन्टल मैथ्स (यह कौन करता है आजकल??)… माने फ़ोन पर कैलकुलेटर का इस्तेमाल करता दिखे तो समझ लो हम करेंसी कन्वर्शन कर रहे है| कॉक्स एंड किंग्स क्या ही हराएगा हमको इस महारत में|
८. टैक्सी, ट्रैन, रेस्ट्रॉन्ट या किसी भी दूकान पर अगर कोई एक्स्ट्रा या खाली बिल्स मांग रहा हो तो समझ जाओ कि वह हम ही है! आखिर कार्यालय में वापस आकर खर्चे का हिसाब भी तो देना होता है |
९. लौटते वक़्त अगर हमारे बस्ते में ड्यूटी फ्री की दो बोतल, एक नया लैपटॉप, फ़ोन, गेमिंग स्टेशन या डी. यस. एल. आर. न मिले तो हमारा नाम बदल दीजिये| आखिर ट्रिप से बची विदेशी मुद्रा हम देश थोड़े ले जायेंगे, देशभक्ति भी कोई चीज़ होती है|
१०. वापस आने के बाद अगर २ महीने बाद तक हमसे विदेशी शैम्पू, बॉडी लोशन और कंडीशनर की महक आये तो भाई समझ लेना तुम्हारा भाई अभी हाल ही में व्यावसायिक विदेश यात्रा करके लौटा है|