बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट 11

आदरणीय पाठकों,

पिछले २ माह से न लिखने के लिए खेद प्रकट करता हूँ। अब औपचारिकता तो निभानी ही पड़ती है। वरना आप सभी तो सोच ही रहे होंगे अच्छा हुआ ...एक पकाऊ लेखक से छुटकारा तो मिला। अब आपने पकाऊ कह ही दिया है तो झेलिये फिर से॥

विगत ३-४ माह से इस स्लोदोउन, रेसेसन, लेओफ्फ़ जैसे सब्दो ने तो नाक में दम कर दिया है। विचार आया की आप सबको लेओफ्फ़ से बचाना मेरा धर्म है सो नुस्खे बयां कर रहा हूँ ...

नुस्खा # : इतनी मंदी में जब काम है ही नही तो आप काम करने का दिखावा करके तो नौकरी बचा नही सकते सो आप मैनेजमेंट को यह ज़रूर दर्शायें की आप कोस्ट-कटिंग में उनके साथ है। छोटे छोटे आंकडे अपने पास रखे और रोज़ गाये जैसे की - आज अपने कितने वाट बिजली बचायी..(चिंता न करें ...यह कोई नही जान पायेगा की आप बिजली बंद करके सो रहे थे), आज आपने कितनी छोटी छोटी बात की फ़ोन पर (अब यह किसे पता की हर बार क्लाइंट ने फ़ोन आप पर पटक दिया), आज आपने कोई प्रिंट-आउट नही निकला (अरे ..प्रिंटर की स्याही तो कल के २०० पेज के पर्सनल प्रिंट आउट में ख़तम जो हो गई थी) ॥

नुस्खा # : टॉप मैनेजमेंट के टॉमी बन जाएँ कुछ समय के लिए, और हमेशा दुम हिलाते रहे आगे पीछे॥ किसी भी काम को न ना कहें॥ इसके साथ साथ बार बार यह बताते रहे मैनेजमेंट को ..मंदी बस जाने ही वाली है॥

नुस्खा # : कोई स्कान्देल पकड़ लें या कर दें आपने कार्यालय में ..लेकिन होना इतना बड़ा चाहिए की कार्यालय को आपको निकालने में ही डर लगे॥ उदाहरण स्वरुप ..मैनेजमेंट में किसी के साथ डेट मार लें और डेट की ट्रांसक्रिप्ट आड़े समय के लिए सहेज कर रखे॥

नुस्खा # : अन्दर की बातों के भागी बने..जैसे की HR और एक्कोउन्ट्स वाले होते है॥ आपने शायद ही सुना हो इन लोगों की नौकरी पहले जाते हुए॥

नुस्खा # : यह बात आग की तरह फैलाये पुरे ऑफिस में की मंदी है.. लेकिन आपकी स्किल्लस और एक्सपेरिएंस वाले रेसौर्सस का ज़बरदस्त टोटा है मार्केट में॥ यह तो आप का आपने काम ,से और कंपनी से लगाव है जिसकी वजह से आप रुके हुए है बरना आपको तो दसियों नौकरी के ओफ्फेर्स हैं॥

नुस्खा # : मंदी की मार से बचने के लिए मैनेजमेंट को पैसे बनाने के नए नए जुगाड़ बताएं॥ लेकिन यह ध्यान रहे की इस जुगाड़ पर काम करना सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको ही आता हो॥ अगर आपका जुगाड़ काम न भी करे तो क्या ..आप मंदी का रोना फिर रो दे और एक नया जुगाड़ पेश कर दें॥

नुस्खा # : जिनको आपसे ज्यादा इम्पोरतांस मिलती हो या ज्यादा ज्ञान हो या ज्यादा पैसे मिलते हो ...यह सही समय है अपनी खुनस निकलने का ..मैनेजमेंट को रोज़ आग लगायें... इस रोल की आज ज़रूरत नही है ...उस बन्दे का काम तो आप ही कर सकते है...ऐसा रोज़ करने से आपके रस्ते का कांटा भी साफ़ और आपकी नौकरी और भी पक्की॥

नुस्खा # : अगर तनख्वाह में कमी की बात उठे तो आप सबसे पहले हाँ करें। यह कदम उठाने के बाद मैनेजमेंट मजबूर हो जायेगा आपको पुरी मंदी के दौरान झेलने को॥ इससे अच्छा क्या होगा -- न काम करना और ठीक ठाक पैसे भी॥

नुस्खा # : जैसे ही आपको आपने HR वाले सूत्रों से पता चले कि आपका नाम भी छटनी वाली लिस्ट में हैं ..आप तुंरत ही एक ऐसा बिज़नस केस पेश कर दें जिसमे अरबों डोल्लार्स का सपना हो॥ कंपनी इस सपने में जीते हुए आपको कम से कम ४-५ महीने तो झेल ही जायेगी॥

नुस्खा # १० : वैसे तो ऊपर दिए नुस्खे राम बाड़ है लेकिन हमारी मिस्सिएल्स कि तरह कभी न चले तो इसकी तैयारी स्वरुप आप ऑफिस के प्रिंटर, पन्नों, इन्टरनेट और डाटाबेस का भरपूर उपयोग करें आपने लिए एक नया घरोंदा ढूँढने के लिए॥

चलिए आप इन नुस्खों पर अमल करना सीखिए तब तक मैं ज़रा अपनी नौकरी बचा के आता हूँ॥

मंगलवार, 2 दिसंबर 2008

में और मेरी नौकरी -पार्ट १०

आप सोच रहे होगे की पिछले १० दिन से कहाँ लापता हो गया मैं। बड़ी उधेड़बुन में था...जब से यह मुंबई में थैंक्स गिविंग का उत्सव २ बड़े बड़े होटलों में मनाया गया। जानकार इस उत्सव को आतंकबाद कह रहे है है॥ पहले लगा की यह आतंकबाद कोई शहर का नाम है जैसे गज़िअबाद, हैदराबाद आदि। पर बाद में मेरी मोटी बुद्दि में अटा की भइया यह तो कुछ और ही है॥

तुंरत विचार कुलाचें मारने लगे कि हमारा कार्यालय इस आतंकबाद से निपटने के लिए कितना तैयार है॥ आईये आपको इससे अवगत कराता हूँ॥

जैसा कि आपको पहले समझा चुका हूँ कि हमारे कार्यालय में घुसने पर एक तो आतंकवादी तो अपनी उंगली काली मशीन में डाल कर पहचान करनी होगी..जैसा आपको पता है मशीन पहली या दूसरी बार में तो किसी तो नही पहचानती सो आतंवादी भाई तो रजिस्टर में एंट्री करनी होगी और वोह पकड़ा जाएगा॥ अगर इससे भी काम न बना तो बसता चेक्किंग में तो ज़रूर ही धर लिया जायेगा...अब छुपा के तो हम लोग भी रोज जाने कितनी वर्जित चीजे लाते और ले जाते है है॥ सोचिये इतनी सघन जांच के बाद बेचारा आतंकवादी विसिटर का बिल्ला गले में लटकाएं अंदर दाखिल होगा...फिर उसकी मुसीबत ...विसिटर तो लोबी के आगे अलावुद ही नही है। लोबी में तो उससे बड़े धुरंदर हैं॥

जैसे तैसे बेचारा सबकी नज़र बचा के कही रसातल में पहुच भी गया तो उसके द्वारा किए गए नुक्सान पर भी टी डी एस काटने के लिए हमारा अच्कोउन्ट्स डिपार्टमेन्ट तो है ही॥ बिचारा आतंकवादी... ज़िन्दगी गुज़र जायेगी पर यह न समझ पायेगा कि क्या पाया क्या खोया॥

वहां से बचा तो सीधे सर्वर रूम में जा फंसेगा..वहां तो पहले से ही ऐसे लोगों को पकड़ने के बड़ी बड़ी जाली वाली रेक्स लगायी गई है ..कि आतंकवादी आए और हम उसको बंद करें॥ इसीलिए तो उनको खाली रखा है..अब सर्वर ज्यादा ज़रूरी है या सुरक्षा..आप ही बताइए॥ अगर गलती से आतंकवादी ने एक दो धमाके किए तो समझो वोह तो गया काम से... सी डी , सी डी या हार्डडिस्क हार्डडिस्क या सर्वर सर्वर फेंक फेंक कर चलनी कर देंगे॥ आखिर दूरदर्शिता इसी को कहते है...सारा सामान लोहा लाट पुराने ज़माने का रखा है...कि चोट लगे तो ज़रा धमक आतंकवादी के आकाओं तक जाए॥

सुना यह आतंकवादी लोग हमले के टाइम अपने कार्यालय के संपर्क में निरंतर रहते है॥ अब यहाँ भी हमारी दूरदर्शिता देखिये ..आईएसडी तो किसी फ़ोन से मिलेगी ही नही..अगर फ़ोन लगेगा भी तो सिर्फ़ अमरीका ...जहाँ इन बेचारों के दुश्मन आँख गडाये पहले ही बैठे है॥ ऊपर से इन लोग कि कोड वर्ड वाली भाषा का भी अर्थ का अनर्थ होते देर न लगेगी हमारी टेलीफोन लाइन पर...भाई पूछेगा ..हमला कर दूँ...उधर उसके आका को समझ आएगा हाँ मेल कर दो.... हो गया सत्यानाश... आया था नाश करने और फंस गया हमारे ईमेल सर्वर के जाल में॥

अब मान लीजिये कहीं धमाके से आग लग भी गई तो उसका भी पूरा प्रबंध है...उस पर फायर बुझाने वाले यन्त्र का इस्तेमाल करेंगे॥ सुना है इस यन्त्र से फोम निकलता है..बताओ आग कि आग बुझाये और साथ में नहाने और शव बनाने के लिए फोम भी। वैसे इसको चलने कि विधि का फ अ क्यू बोर्ड पर चिपका है..सो पढ़ के अवश्य चला ही लेंगे॥

यह लोग सुना बंधक भी बनाते हैं अपनी बात मनवाने के लिए॥ सोचिये हमारे यहाँ अगर महिलाएं बंधक बनी तो बेचारा पागल हो जायेगा..एक तो उनकी बातें और दूसरा हर घंटे वाशरूम का चक्कर देखने को कि कहीं लिपपेंट बिगाडा तो नही॥ आखिर पूरा इवेंट टेलिविज़न पर लाइव जो आह रहा है॥ और पुरूष भाई लोग तो उससे भी खतरनाक..वोह तो तुंरत बोलेंगे आज कि फ्री में पगार दिलाने के लिए धन्यवाद् आतंकवादी भाई॥ कहते है कि बंधक के लिए यह लोग पैसे मांगते है...पैसे और यहाँ...मैनेजमेंट यही बोलेगा..भाई इन सब को रख लो वैसे भी कोस्ट-कटिंग में अगला नम्बर इन सब का ही था॥ बेचारा ज्यादा देर तक बंधक न रखेगा क्युकी टीवी पर भी सिर्फ़ दूरदर्शन ही आह रहा होगा...कैसे टाइम कटेगा उसका॥

यानि सौ आने कि बात यह है कि हमारा कार्यालय पूरी तरह तैयार है इन आतंकवादियों के लिए॥

बुधवार, 19 नवंबर 2008

मैं और मेरी नौकरी - पार्ट ९

पिछले वीकएंड रोद्साईद रोमियो देखी, देखने के बाद ऊपर वाले से दुआ मांगी कि एक दिन के लिए मुझे प्लीस कुकुर बना दो॥ सुबह जागा तो पता चला बिस्तर से बंधा हूँ, काले रंग के कुकुर में बदल जो गया था॥ जैसे तैसे पत्नी को समझाया कि आपका ही पति हूँ - एक दिन के अड्वेंचर के लिए कुकुर बना हूँ॥ अड्वेंचर का नाम सुनते ही बीवी तो बिदक गई (भइया कौन बीवी न बिदकेगी)॥ खैर जैसे तैसे उसको समझा के कार्यालय के लिए तैयार हुआ॥ अब फोर्मल्स तो मैं पहनता नही तो आज भी क्यों पहनूगा सो जींस को अपने पैने दांतों से कुत्रा और निक्कर बना के पहन लिया, पीछे वाली दो टांगो पर॥ भइया कुकुर जो बन गया था॥ गैस कि लो कट टी-शर्ट आगे वाली टांगो में दाल कर पहनी और बन गया रोमियो॥ लेकिन मुझे जूते २ अलग अलग जोड़ी पहहने पड़ गए..आखिर पैर ४ जो हो गए थे॥

गले में ऑफिस का पट्टा डाल के फट से ऑफिस के गेट पर पहुँच गया॥ आप भी हैरान होंगे उस दिन जब मैंने काली मशीन में जब उंगली डाली तो तुंरत पहचान गई (शायद कुकुर के लिए इन्वेंशन रहा होगा)॥ शान से दुम हिलाता हुआ लाबी में पहुँचा तो धर लिया गया॥ मैडम तो अड़ गई कि , तुम तुम हो ही नही ...शायद पहले मुझे वोह इंसान समझती थी (कितनी ग़लतफ़हमी है न)॥ उनको चकमा दे के जा पहुँचा अपने दड्वे में..और दुम तो कुर्सी के पीछे लटका के बैठ गया और लैपटॉप खोल के बैठ गया॥ तरह तरह कि हड्डी वाली साईट देखने लगा..इंसानी आदत से मजबूर हूँ न ;)। जैसे ही सही हड्डी दिखती मेरी जीभ और विचार दोनों रस के भर जाते॥ बस एक पोल नही दिया ऑफिस वालों ने इसीलिए इस ब्लॉग को ही पोल समझ लिया॥

तभी फ़ोन बजा और ज्ञात हुआ कि आज तो हर हफ्ते होने वाला सम्मलेन है - बस फिर क्या था पहुँच गया। हर बार कि तरह ही सवाल हुआ - क्या लाये हो? निक्कर में हाथ डाला और हड्डी टेबल पर रख दी और अपनी जीभ लपलपाने लगा॥ फिर सवाल हुआ - बस एक ही? और क्या ला रहे हो? जुबान से फिसल ही गया ..दूसरी लाने के लिए एक और क्लाइंट को काटना पड़ेगा॥ आप जानते ही है ..हड्डी निकलने के बाद किसी में क्या जान बचती है॥

सम्मलेन ख़तम हुआ तो अपने दड्वे में आ के पसर गया और रोज़ कि तरह आँखें बंद करके बिचारों में तल्लीन हो गया॥ वाकई कुकुर और मुझ में बहुत समानता है॥ बीच में अगर किसी ने आके कुछ बोला या फ़ोन आया तो बगैर आँख खोले या एक पलक १५ देग्रीस उठा के बात सुनी और फिर से अपने बिचारों में तल्लीन हो गया॥ आखिर थोट लीडर हूँ न..सबके नही तो अपने तो बिचार तो लीड कर ही सकता हूँ॥ रात में जैसे हम कुकुर हर एक दिशा से आवाज़ लगाते है वैसे ही हमारे सम्मलेन में भी होता है...भोर होने तक भी यह देसिएद नही हो पाता कि सम्मलेन हुआ क्यों था। शायद एक साथ सबके आवाज़ लगाने से कभी कोई तो आवाज़ सुन ही लेगा न ॥

तभी किसी क्लाइंट के मधुर सब्द आ गए किसी प्रोजेक्ट पर..बस फिर क्या था ...बूफ बूफ ..भौं भौं ...कभी सीढ़ी के ऊपर कभी नीचे ..जो मिला उसको काट खाया॥ अब १४ इंजेक्शन पेट में लगने के बाद कोई मेरा क्या हश्र करेगा यह तो आप समझ ही गए होंगे॥ बूफ बूफ...भौं भौं करने में मैं इंसान योनी में भी कुकुर कि बराबरी कर सकता हूँ॥ रात होते ही जहरीले इमेल्स, समस और फोन्स करने लगता हूँ॥ कोई भी निकलता तो उसके पीछे भागने लगता भौंकते हुए..आपने मुझे कार का पीछा करते देखा है न॥ जैसे वहां कार और करवाले को असर नही होता ..वैसे ही ....

आपको पता ही होगा ..कुकुर पागल हो जाए तो बहुत खतरनाक होता है..लेकिन यह भी मुमकिन नही कि इंसानों के कार्यालय में कोई कुकुर पागल कैसे न हो। इसीलिए मुझे पट्टा और दड्वे में डाल दिया गया है..और कभी कभी कोई हड्डी भी दे दी जाती है। हड्डी चूस चूस कर ही बफादार हुआ हूँ॥

मेरी कुकुर नज़र से ये कथा संभवता आगे भी आपको ऐसे ही सुनने को मिलती रहेगी॥ जाऊं ज़रा ...वोह ..उनका ...उम्म्म्म..... पीछा तो कर लूँ॥ अरे.... यह भी तो काम ही है न॥

मंगलवार, 18 नवंबर 2008

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट ८

पिछले आठ दिनों से मैं इस कशमकश में था कि आपको अब यह बताऊँ या वोः, आखिर हमारे कार्यालय इतना हप्पेनिंग जो है॥ फिर डिसाइड किया कि आज आपको साथियों को प्रोत्साहित किए जाने वाले तरीकों के बारे में बताऊँगा॥

यह तो आप मानेंगे ही कि पैसा, रुतबा और पॉवर से कोई प्रोत्साहित नही होता इसीलिए हमारे कार्यालय ने कई नायब तरीके खोज निकाले है हम सब को प्रोत्साहित करने के लिए॥

साल में कम से कम २-३ पार्टियों का आयोजन तो आम बात है, जैसा हर पार्टी का रिवाज़ होता है वैसे ही हमारे यहाँ भी धम्चिक्क डीजे जजूर आता है और एक ही गाने पर हमको कम से कम २० बार तो नाचता ही है॥ गाना भी याद हो जाता है और नाच का नाच भी॥ इन समारोहों में आपका परिवार भी आमंत्रित होता है। समारोह इतना सम्मोहक होता है कि आप अगर भूल भी जाएँ तो आपका परिवार आपको उसकी याद दिलाता रहता है॥ बताइए सिर्फ़ एक पार्टी से ही कार्यालय को पूरे परिवार कि लोयाल्टी मिल जाती है॥

इसी तरह हमारे यहाँ ऐसे साथियों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित भी किया जाता है। तरह तरह के सम्मान है ..जैसे कि - बॉस द्वारा सबको ईमेल का भेजा जाना कि अमुख साथी ने यह तीर मारा मेरी मदद से॥ साथी इस प्रोत्साहन से हवा में न उड़ने लगे इसको नियंत्रित करने के लिए बड़ाई के साथ साथ अगर २-३ सीख भी दे दी जाती है तो इसमे बुराई ही क्या है॥

सभी साथी एक से दिखे और प्रोत्साहित रहे इसके लिए भेश्भुषा का नियम भी काबिलेतारीफ है॥ अब आप आसानी से पुरूष और महिला में भेद कर सकते है॥ इस नियम से कुछ साथी तो इतने खुश दिखे कि पूछो मत आखिर अब वोः अपने प्राचीन वस्त्रों का उपयोग तो कर सकेंगे॥

हमारे कार्यालय का एक प्रयास है कि हर साथी स्वाभिमानी और देशभक्त बने इसी कारन हर साल हर साथी अपनी बड़ी हुई कमाई का एक बड़ा हिस्सा पहले टैक्स के रूप में देता है॥ आखिर देश तो घर परिवार से पहले ही आता है न॥

कितना फिट बैठता है न वोः गाना हमारे कार्यालय पर - दिल दिया है जान भी देंगे ये कार्यालय तेरे लिए॥