दोस्तों आज मैं आपको कार्यालय में ८.५ घंटे सफलतापूर्वक और बिजी लगते हुए कैसे बिताएं इसके कुछ गुर बाटूंगा॥
नियम १ : सदैव मीटिंग में दिखें, कभी बॉस के साथ या कभी टीम के साथ या कभी किसी के भी साथ। दो लोग जब कुर्सी दाल करआमने सामने जब बैठे है तो व्यस्त लगते है। अगर आपके हाथ में कॉपी पेन या लैपटॉप हुआ तब तो सोने पर सुहागा॥ अब कौन चेक करता है की आप कॉपी में क्या लिख रहे हो या लैपटॉप पर क्या देख रहे हो॥
नियम २ : छुट्टी के दिन को भी वर्क फ्रॉम होम की तरह दिखाएँ। चार पाँच ईमेल ज़रूर भेजे, जो आपके बॉस को कॉपी होनी चाहिए। अब अगर आप खुद बॉस है तो सारे मैनेजर्स को मेल ज़रूर भेजे॥ साथ में अगर २-३ फ़ोन भी चिपका दें साथियों को तो फिर तो सोने पर सुहागा॥ और यह दोनों काम तो आप झपकी लेते हुए या डेट पर होते हुए भी कर सकते है॥
नियम ३ : ऑफिस में हमेशा तेज़ तेज़ चले, आपके जूतों की आवाज दूर तक सुनाई देनी चाहिए। सब काम तेज़ चलते हुए ही करने चाहिए। साथ में ४-५ बार हवा में छोड़ ही देना चाहिए की आज बहुत व्यस्त हूँ..साँस लेने की फुर्सत नही॥ आपको इतना तेज़ चलना चाहिए की आपकी टाई १८० ड़ेग्रीस पर झूमे...अरे अगर आप महिला है तो दुप्पटे या साड़ी से भी यह काम कर सकती है॥
नियम ४ : बिजी दिखने के लिए बहुत ज़रूरी है ki आप टोफ्फी खाने भर की स्मिएल दें या सिर्फ़ १ उंगली से हेल्लो करें या २ उंगली से वेब करें॥ क्युकी नियम 3 के अनुसार आप तेज़ तेज़ चल रहे होंगे तो अगर आप नियम ४ की बातें फोल्लो करेंगे भी तो कोई कुछ कह न पायेगा क्युकी लोग यही समझेंगे की आप इतनी तेज़ी से निकल गए की वोह आकपी पूरी हँसी, हेल्लो या वेब नही देख पाये॥
नियम ५ : ज्यादा से ज्यादा बोस्सेस की कंपनी में वक्त बिताएं..इससे बॉस को भी लगेगा की आप महनत कर रहे है और साथी समझेंगे की आप बहुत व्यस्त हो॥ ज़रा ज़रा सी बात भी बॉस से दिस्कुस्स करें और सीधे से समाधान को इतना घुमाएँ की २-३ घंटे तो दिन के इसी में बीत जाएँ॥
नियम ६ : ज़रा सी बात कर बत्तान्गड़ बनाये॥ और यह बात अगर क्लाइंट ने कही तो फिर तो आप पूरा दिन इसी के सहारे बिता सकते है॥
नियम ७ : अपने कंप्यूटर के स्क्रीन को हमेशा निहारते रहे..और बीच बीच में सोचने की मुद्रा धारण करें या कुछ लिखने या जोड़ने लगे॥ आप बिजी के बिजी भी और ऑफिस में भी चर्चा ..आखिर आप कितना काम करते हो॥ और हाँ आपके स्क्रीन पर कम से कम ८-१० विन्डोज़ तो एक बार में खुली ही होनी चाहिए॥ भले ही उनमे आप देख कुछ भी रहे हो॥
नियम ८ : चाय, काफ़ी या पानी की मशीन पर जो टकरा जाए उससे बड़ीबड़ी ज्ञान की बातें कर दें, अगर आपका शिकार बहस के मूड में न भी हो तब भी बहस करें॥ समय कर समय बीतेगा और आपके ज्ञान के चर्चे भी दूर दूर तक फैलेंगे॥ इस काम को सफलता पूर्वक करने के लिए आपको दिन में कम से कम १०-१२ ऑनलाइन न्यूज़ साईटस तो चाट ही लेनी चाहिए॥
नियम ९ : सीरियस हो कर फ़ोन पर लगे रहने से भी आप कम से कम १-२ घंटे तो बिता ही सकते है॥ जैसे ही कोई सामने पड़े बस आपको करना इतना है ..या या ... इ विल कम बेक तो यू.. या फिर ...लेट में रेविएव एंड रेस्पोंद बेक तो यू॥ ऐसे शब्दों के प्रयोग से आपकी अपनी बीवी/गर्लफ्रेंड से बात भी न टूटेगी और काम कर काम भी॥
नियम १० : सीट पर कम ही बैठे और ऊपर दिए गए नियमों के हिसाब से या तो फ़ोन पर या मीटिंग में या तेज़ तेज़ चलते मिलें॥ लोग हमेशा यही समझेंगे की आप कहीं न कहीं व्यस्त होगें॥
आशा है इन नियमो के पालन से आपका दिन आज से बहतर गुजरेगा॥
सोमवार, 10 नवंबर 2008
शुक्रवार, 7 नवंबर 2008
में और मेरी नौकरी -पार्ट ६
आपके फायदे के लिए आज मैं दुनिया भर में मची फिनान्सिअल त्राहि त्राहि और उसका हमारे कार्यालय पर असर का विश्लेषण करने का प्रयत्न करूंगा।
दुनिया में जब हर तरफ़ कोस्ट कटिंग हो रही है वही हमारे यहाँ दिवाली मनाई गई धूमधाम से और एक एक लड्डू खाने को भी दिया गया॥ दिवाली में हमने अपने यहाँ झालर भी लगे..अरे आपने नही देखी..अरे वही वाली जिसका ट्रेडमार्क हमारे पास है...दुराबिलिटी देखिये ...पिछले १० साल में एक भी बल्ब फुस नही हुआ...आप मोहल्लें में कहीं खड़े होहिये आपको हमारा कार्यालये अलग से दिख जायेगा। यह अनमोल डिजाइनर झालर है जिसको चलाना सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे यहाँ के बिजलीभाई को आता है॥ ..अरे भइया कहने का मतलब यह है ..कि हमने दिवाली पर बिजली पर एक्स्ट्रा खर्च किया ...बताइए कहाँ है कोस्ट कटिंग॥
हमारे कई साथी जो सालों से शिकायत कर रहे थे कि आप हमको अलग गाड़ी से बुलाते हो इस कारन हम लोग मेल जोल नही बढ़ा पा रहे..आखिर साथियों कि सुन ही ली...अब सब लोग बस से राजी खुशी एक साथ आते है॥ अब आप हैरान होंगे ही न ..कि हम इस कठिन समय में भी कही कोस्ट कटिंग नही कर रहे बल्कि साथियों कि मांगो को और मान रहे हैं॥
ऐसी ही कुछ रोषखाने लो लेकर भी था ॥ सब साथी कह रहे थे कि आप हमें फ्री या कम कीमत पर खाना क्यों देते हो..अब कोई लंगर तो हैं नही...बड़ी मुश्किल से यह माना गया कि चलो आप लोग कुछ दे दो ..जिससे आप सबको हीन भावना न आए लेकिन ..कार्यालय के यह साफ़ कर दिया कि आधा पैसा तो हम ही देंगे, चाहे आपलोग माने या न माने॥ अब बताइए ...यह फालतू खर्च हैं के नही।
कई साथियों के बच्चों ने उनको टोका कि पापा/मम्मी आप यह रोज बिस्कुइत/ नमकीन कहाँ से लाते हो। रात में तो कोई दुकान खुली नही होती...क्या चोरी की हैं आपने॥ अब बच्चे तो बच्चे ही हैं न वोः कहाँ समझेंगे की कार्यालय मेंन यह भी फ्री मिलता हैं॥ जब यह ताने प्रतिदिन आने लगे तो साथियों ने साफ़ बोल दिया हम यह नही लेंगे फ्री के बिस्कुइत/नमकीन...अगर खाना होगा तो खरीद के लेंगे...अब एम्प्लोयीस के आगे तो मैनेजमेंट को झुकना ही पड़ता हैं न ॥
देखिये.. इस कठिन समय में भी हम कितने खुश हैं॥
दुनिया में जब हर तरफ़ कोस्ट कटिंग हो रही है वही हमारे यहाँ दिवाली मनाई गई धूमधाम से और एक एक लड्डू खाने को भी दिया गया॥ दिवाली में हमने अपने यहाँ झालर भी लगे..अरे आपने नही देखी..अरे वही वाली जिसका ट्रेडमार्क हमारे पास है...दुराबिलिटी देखिये ...पिछले १० साल में एक भी बल्ब फुस नही हुआ...आप मोहल्लें में कहीं खड़े होहिये आपको हमारा कार्यालये अलग से दिख जायेगा। यह अनमोल डिजाइनर झालर है जिसको चलाना सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे यहाँ के बिजलीभाई को आता है॥ ..अरे भइया कहने का मतलब यह है ..कि हमने दिवाली पर बिजली पर एक्स्ट्रा खर्च किया ...बताइए कहाँ है कोस्ट कटिंग॥
हमारे कई साथी जो सालों से शिकायत कर रहे थे कि आप हमको अलग गाड़ी से बुलाते हो इस कारन हम लोग मेल जोल नही बढ़ा पा रहे..आखिर साथियों कि सुन ही ली...अब सब लोग बस से राजी खुशी एक साथ आते है॥ अब आप हैरान होंगे ही न ..कि हम इस कठिन समय में भी कही कोस्ट कटिंग नही कर रहे बल्कि साथियों कि मांगो को और मान रहे हैं॥
ऐसी ही कुछ रोषखाने लो लेकर भी था ॥ सब साथी कह रहे थे कि आप हमें फ्री या कम कीमत पर खाना क्यों देते हो..अब कोई लंगर तो हैं नही...बड़ी मुश्किल से यह माना गया कि चलो आप लोग कुछ दे दो ..जिससे आप सबको हीन भावना न आए लेकिन ..कार्यालय के यह साफ़ कर दिया कि आधा पैसा तो हम ही देंगे, चाहे आपलोग माने या न माने॥ अब बताइए ...यह फालतू खर्च हैं के नही।
कई साथियों के बच्चों ने उनको टोका कि पापा/मम्मी आप यह रोज बिस्कुइत/ नमकीन कहाँ से लाते हो। रात में तो कोई दुकान खुली नही होती...क्या चोरी की हैं आपने॥ अब बच्चे तो बच्चे ही हैं न वोः कहाँ समझेंगे की कार्यालय मेंन यह भी फ्री मिलता हैं॥ जब यह ताने प्रतिदिन आने लगे तो साथियों ने साफ़ बोल दिया हम यह नही लेंगे फ्री के बिस्कुइत/नमकीन...अगर खाना होगा तो खरीद के लेंगे...अब एम्प्लोयीस के आगे तो मैनेजमेंट को झुकना ही पड़ता हैं न ॥
देखिये.. इस कठिन समय में भी हम कितने खुश हैं॥
बुधवार, 5 नवंबर 2008
मैं और मेरी नौकरी -पार्ट ५
आईये आज आपको अपने कार्यालय में उपयोग में आने वाले महत्पुरण शब्दों का बोध करता हूँ॥
फायर फिघ्तिंग : यह संभवता हमारे यहाँ का हर घंटे इस्तेमाल आने वाला शब्द है। फायर डिपार्टमेन्ट भी क्या इतना इस्तेमाल करता होगा। हर साथी पानी लिए आग बुझाने में ही जुटा रहता है। आफ्टर आल क्लाइंट का काम करने में आग निकलती ही इतनी है। वैसे हमने आग बुझाने का भी एक प्रोसेस बना रखा है, जिसमे पॉइंट नम्बर ४ के अनुसार ..जब भी आग लगे ..बस आग ...आग....आग चिल्लाओ और भागो...कोई न कोई तो बुझा ही देगा।
पुल : भाई यह हिन्दी वाला पुल नही बल्कि खींचने वाला पुल है। यह शब्द आपको दिन मैं अगर १०-१२ बार न सुनाई दे तो समझ लो उस दिन कुछ ठीक नही है॥ इस शब्द को सिखाने के लिए हमने प्रक्टिकाल्स भी बनाये है -आपको काम पुल करके सारे काम करने होते है ..जैसे पानी और काफी पीने के लिए ग्लास का ज़ोर लगाकर पुल करना, या फिर वाशरूम मैं तिस्सुए पेपर का पुल करना। बस एक प्रोजेक्ट समय सारणी ही पुल नही हो पाती।
आउटसोर्स : इस शब्द ने तो क्या माया जाल फैलाया हुआ है, पूरे ऑफिस में फैला है। हम शरिंग में बिश्वास करते है इसलिए जब भी काम करने का मन नही करता तो उसको दूसरे को थमा देते है और हो गई आउटसोर्सिंग। इस विधा में तो हर साथी ओल्य्म्पिक मैडल जीत सकता है॥ हो भी क्यों न हमें तो जन्म से आउटसोर्सिंग सिखाई जाती है...नाप्पी बदलवाने से लेकर करियर का डिसीजन लेने तक सब ओउत्सौर्सद है।
लेट्स discuss : बड़ा महिमामयी शब्द है यह, जब कुछ समझ न आए तो लेट्स दिस्कुस्स या फिर काम करने का दिल न करे तो लेट्स दिस्कुस्स, इतना ही नही अगर किस्सी को हड़काना हो तो भी लेट्स दिस्कुस्स॥ और इस शब्द के इस्तेमाल के लिए आपको एकांत चाहिए होता है ..सिर्फ़ आप और आपका लेट्स दिस्कुस्स का साथी॥ वैसे इस लेट्स दिस्कुस्स के परिणाम के बारे में आजतक कोई भी मैनेजमेंट गुरु कुछ बता नही पाया कि फिनाल्ली रिजल्ट क्या निकला॥
कल : अगर यह शब्द न होता तो हमारे क्लिएंट्स को आज ही कितना काम करना पड़ता इसीलिए हम हर चीज़ कल देते है जिससे उन पर बोझ न पड़े। हमें इस पर गर्व है कि हमारा हर साथी इस शब्द का भरपूर उपयोग अपने रोल में करता है।
लेट मी काम बेक तो यू : यह तो हर समस्या का निदान है ...जब कुछ समझ न आए या उत्तर न आता हो तो इस वाक्य का धल्लले के इस्तेमाल करें। किसी को तर्न्काने में भी यह बहुत काम आता है..क्युकी कब काम बेक होगा ..यह तो भगवान् ही जाने॥
आशा है आप इन शब्दों को रट लिए होंगे और तोते कि तरह इनका जाम करते होंगे...लेट मी काम बेक तो यू ऐसे ही नए शब्दों के साथ ।
फायर फिघ्तिंग : यह संभवता हमारे यहाँ का हर घंटे इस्तेमाल आने वाला शब्द है। फायर डिपार्टमेन्ट भी क्या इतना इस्तेमाल करता होगा। हर साथी पानी लिए आग बुझाने में ही जुटा रहता है। आफ्टर आल क्लाइंट का काम करने में आग निकलती ही इतनी है। वैसे हमने आग बुझाने का भी एक प्रोसेस बना रखा है, जिसमे पॉइंट नम्बर ४ के अनुसार ..जब भी आग लगे ..बस आग ...आग....आग चिल्लाओ और भागो...कोई न कोई तो बुझा ही देगा।
पुल : भाई यह हिन्दी वाला पुल नही बल्कि खींचने वाला पुल है। यह शब्द आपको दिन मैं अगर १०-१२ बार न सुनाई दे तो समझ लो उस दिन कुछ ठीक नही है॥ इस शब्द को सिखाने के लिए हमने प्रक्टिकाल्स भी बनाये है -आपको काम पुल करके सारे काम करने होते है ..जैसे पानी और काफी पीने के लिए ग्लास का ज़ोर लगाकर पुल करना, या फिर वाशरूम मैं तिस्सुए पेपर का पुल करना। बस एक प्रोजेक्ट समय सारणी ही पुल नही हो पाती।
आउटसोर्स : इस शब्द ने तो क्या माया जाल फैलाया हुआ है, पूरे ऑफिस में फैला है। हम शरिंग में बिश्वास करते है इसलिए जब भी काम करने का मन नही करता तो उसको दूसरे को थमा देते है और हो गई आउटसोर्सिंग। इस विधा में तो हर साथी ओल्य्म्पिक मैडल जीत सकता है॥ हो भी क्यों न हमें तो जन्म से आउटसोर्सिंग सिखाई जाती है...नाप्पी बदलवाने से लेकर करियर का डिसीजन लेने तक सब ओउत्सौर्सद है।
लेट्स discuss : बड़ा महिमामयी शब्द है यह, जब कुछ समझ न आए तो लेट्स दिस्कुस्स या फिर काम करने का दिल न करे तो लेट्स दिस्कुस्स, इतना ही नही अगर किस्सी को हड़काना हो तो भी लेट्स दिस्कुस्स॥ और इस शब्द के इस्तेमाल के लिए आपको एकांत चाहिए होता है ..सिर्फ़ आप और आपका लेट्स दिस्कुस्स का साथी॥ वैसे इस लेट्स दिस्कुस्स के परिणाम के बारे में आजतक कोई भी मैनेजमेंट गुरु कुछ बता नही पाया कि फिनाल्ली रिजल्ट क्या निकला॥
कल : अगर यह शब्द न होता तो हमारे क्लिएंट्स को आज ही कितना काम करना पड़ता इसीलिए हम हर चीज़ कल देते है जिससे उन पर बोझ न पड़े। हमें इस पर गर्व है कि हमारा हर साथी इस शब्द का भरपूर उपयोग अपने रोल में करता है।
लेट मी काम बेक तो यू : यह तो हर समस्या का निदान है ...जब कुछ समझ न आए या उत्तर न आता हो तो इस वाक्य का धल्लले के इस्तेमाल करें। किसी को तर्न्काने में भी यह बहुत काम आता है..क्युकी कब काम बेक होगा ..यह तो भगवान् ही जाने॥
आशा है आप इन शब्दों को रट लिए होंगे और तोते कि तरह इनका जाम करते होंगे...लेट मी काम बेक तो यू ऐसे ही नए शब्दों के साथ ।
मंगलवार, 4 नवंबर 2008
मैं और मेरी नौकरी -पार्ट 4
चार दिन बाद फिर से हाज़िर हूँ....हिमेश भाई की कर्जज्ज्ज़ देखी वीकएंड पर, बस उसके ही सुरूर के कारन लेट हो गया...वैसे हिमेश भाई ने क्या पिक्चर बने है ..वाह वाह....दिल खुश हो गया॥
हमारी कंपनी भी हिमेश भाई से बहुत इन्स्पिरेड है - उदहारण के लिए -जैसे हिमेश भाई consistency में बिस्वास रखते है और एक टाइप के ही गाने बनते है वैसे ही हमारी कंपनी भी एक ही टाइप के प्रोदुक्ट्स बनती है चाहे सुब्जेक्ट एरिया और औडिएंस कोई भी क्यों न हो। अब हमारी कैंटीन के खाने को ही लीजिये ...एक ही टाइप का लगेगा चाहे मेनू में कुछ भी लिखा हो और कुछ भी बना हो। ब्रांड बिल्डिंग का इससे अच्छा तरीका भला क्या हो सकता है।
अब जैसे हिमेश भाई सारे गाने ख़ुद जाते है अपनी पिक्चर के, आखिरकार एक्सपेरिएंस मत्तेर्स!! बिल्कुल उसी तरह हमारे पुराने लोग भी सारे कामों में शामिल होते है। और जैसे हिमेश भाई के गाने में एक दो कूकें कोई दूसरा नया सिंगर भी कर देता है और ट्रेन हो जाता है वैसे ही हमारे नए रेसौर्सस भी॥
हिमेश भाई की एवेरचंगिंग विग की तरह हमारे प्रोदुक्ट्स का भी बाहरी स्वरुप बहुत आसानी के बदल जाता है बगैर अंदरूनी ताम झाम को छेड़े हुए॥ जैसे हिमेश भाई अपने म्यूजिक नोट्स को इधर उधर reuse करते रहते है वैसे ही हम भी अपने कोड तो इधर उधर बही सफाई से फिट कर लेते है॥ रयूसबिलिटी इस इन थिंग ...मेरे दोस्त॥
जैसे हिमेश भाई अपनी पिक्चर में नई हेरोइन को हमेशा लाते है और प्रमोट करते है ठीक उसी तरह हम भी अपने बिल्कुल नए साथियों को नए प्रोजेक्ट्स पर लगा देते है, और उनका हौसला बदते है॥ हिमेश भाई की पिक्चर का म्यूजिक बहुत पहले आता है और मूवी ४-६ महीने बाद ठीक उसी तरह हमारी भी क्लाइंट को पर्ची तुंरत जाती है और प्रोडक्ट ४-६ महीने बाद..
शुक्रिया हिमेश भाई इतनी सारी मैनेजमेंट ज्ञान के लिए ..मैं और मेरी कंपनी आपके हार्दिक आभारी है॥
हमारी कंपनी भी हिमेश भाई से बहुत इन्स्पिरेड है - उदहारण के लिए -जैसे हिमेश भाई consistency में बिस्वास रखते है और एक टाइप के ही गाने बनते है वैसे ही हमारी कंपनी भी एक ही टाइप के प्रोदुक्ट्स बनती है चाहे सुब्जेक्ट एरिया और औडिएंस कोई भी क्यों न हो। अब हमारी कैंटीन के खाने को ही लीजिये ...एक ही टाइप का लगेगा चाहे मेनू में कुछ भी लिखा हो और कुछ भी बना हो। ब्रांड बिल्डिंग का इससे अच्छा तरीका भला क्या हो सकता है।
अब जैसे हिमेश भाई सारे गाने ख़ुद जाते है अपनी पिक्चर के, आखिरकार एक्सपेरिएंस मत्तेर्स!! बिल्कुल उसी तरह हमारे पुराने लोग भी सारे कामों में शामिल होते है। और जैसे हिमेश भाई के गाने में एक दो कूकें कोई दूसरा नया सिंगर भी कर देता है और ट्रेन हो जाता है वैसे ही हमारे नए रेसौर्सस भी॥
हिमेश भाई की एवेरचंगिंग विग की तरह हमारे प्रोदुक्ट्स का भी बाहरी स्वरुप बहुत आसानी के बदल जाता है बगैर अंदरूनी ताम झाम को छेड़े हुए॥ जैसे हिमेश भाई अपने म्यूजिक नोट्स को इधर उधर reuse करते रहते है वैसे ही हम भी अपने कोड तो इधर उधर बही सफाई से फिट कर लेते है॥ रयूसबिलिटी इस इन थिंग ...मेरे दोस्त॥
जैसे हिमेश भाई अपनी पिक्चर में नई हेरोइन को हमेशा लाते है और प्रमोट करते है ठीक उसी तरह हम भी अपने बिल्कुल नए साथियों को नए प्रोजेक्ट्स पर लगा देते है, और उनका हौसला बदते है॥ हिमेश भाई की पिक्चर का म्यूजिक बहुत पहले आता है और मूवी ४-६ महीने बाद ठीक उसी तरह हमारी भी क्लाइंट को पर्ची तुंरत जाती है और प्रोडक्ट ४-६ महीने बाद..
शुक्रिया हिमेश भाई इतनी सारी मैनेजमेंट ज्ञान के लिए ..मैं और मेरी कंपनी आपके हार्दिक आभारी है॥
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