दोस्तों आज मैं आपको विभिन्ह तरह के बोस्सेस से दो -चार करना चाहता हूँ॥ हर साथी की यह दिल से ख्वाइश होती है की वोह अपने बॉस को अच्छी तरह से जाने पहचाने। आपकी इस इक्छा को आज मैं पुरा करने की कोशिश करूंगा॥
१) टंगडी बाज़ : यह सभी जगह पायी जाने वाली वोह प्रजाति है जिसका एक ही काम है ..टीम के काम मैं अड़ंगा लगना। इस प्रजाति के बॉस हमेशा एक ही वाक्य का प्रयोग करते है .."यह नही चलेगा..मैनेजमेंट विल नॉट अप्प्रूव इट"॥
२) लाफ्फेबाज़ : हर कार्यालय मैं यह महाशय तो पाये ही पाये जाते है॥ यह लोग कहानी गड़ने मे तो गोल्ड मेडलिस्ट होते है॥ कहीं कोई भी कैसा भी डिस्कशन चल रहा हो इनके पास एक किस्सा तो होता ही है बताने को॥ इनकी एक और खूबी होती है आप चाहे इनकी बात को अनसुना भी करे तब भी यह आपको पुरी बात बता के ही छोड़ते है॥
३) खाऊ : ज़िन्दगी मे एक ही मंत्र है इनका ..खाओ, खाते रहो वोह भी टीम के पैसों से॥ छोटी छोटी बात पर यह आपको पकड़ लेंगे ..यार इस बात पर तो पार्टी होनी चाहिए॥ मान न मान मैं तेरा मेहमान वाली कहावत पर अमल करना तो कोई इनसे सीखे ...अकेले नही खाते ..पुरी टीम को भी आमंत्रण दे डालते है विथ अ स्माल स्पीच - हई फ्रिएंड्स मिस्टर ..... आज हम सब को पार्टी दे रहे है ..टॉप बॉस से पहली बार मिलने की खुशी मे॥ आपका खून जल कर आधा हो जाता है जब आपके पैसे की पार्टी मे बॉस हई नही टॉप बॉस भी शामिल हो जाता है॥
४) कबूतर : बड़ी आराम से पायी जाने वाली प्रजाति है यह..इनका बस एक ही काम ...कबूतर की तरह ..इधर की चिट्ठी उधर और उधर की इधर॥ अब इधर की उधर मे कुछ मसाला अपने आप लग जाता है तो इसमे इनकी क्या गलती..सब तरफ़ पोल्लुशन है ही इतना॥
५) चाची : इनके पास तो घर की बातों के अलावा कुछ होता ही नही॥ आप अगर ऐसे बॉस के टीम मेंबर हैं तो तैयार हो जाईये कि बॉस के घर क्या बना, क्या क्या नया खरीदा, बच्चे क्या कर रहे है, सासू माँ के क्या हाल है इत्यादि॥ बस इनकी प्रॉब्लम इतनी है कि यह आपके बारे मे भी येही सब जानना चाहते है॥ अरे भाई ..डिस्कशन आगे कैसे बढेगा वरना॥
६) नादान : इस बॉस को कुछ भी पता नही होता और हर चीज़ के लिए आपको एक ही जवाब मिलता है - लेट मी कम बेक टो यू॥ अब इसमे बिचारे बॉस कि क्या गलती ..उसको भी तो अपने बॉस के पास जाना होता है जवाब के लिए॥
७) एक्स अल : इस प्राणी का एक ही काम होता है । एक्स अल शीट्स और रिपोर्ट्स तैयार करते रहना ..आपका काम न भी हो तो ठीक है पर रिपोर्ट समय पर और सही जानी चाहिए॥ रिपोर्ट से क्या होता है यह जानना आपका काम नही है ..भाई यह बॉस का काम होता है॥
८) टोपीबाज़ : यह बॉस कभी ख़ुद कुछ काम नही करता सिर्फ़ काम को इधर से उधर करता है॥ वैसे मुझे लगता है यह हमारी नासमझी है बॉस के प्रोफाइल के बारे मे ..क्युकी शायद बॉस का काम येही तो होता है॥
९) सांप : यह बड़ी खतरनाक तरीके के बॉस होते है। सारा काम और इन्फोर्मेशन अपनी कुंडली के नीचे दबा के रखते है आप कुछ भी मांगे आपको फुंफकार के सिवा कुछ और नही मिलता...हाँ एक दो छींटे विष के मिल जाए तो आप अपने आप को धन्य ही समझे॥
१०) टेडी : टेडी बेर की तरह इसका काम सिर्फ़ प्यार पाना होता है। कौन, किससे, कहाँ, कैसे, कब, जैसे शब्द इनके लिए निराधार होते है॥
अभी अनेक प्रकार के बोस्सेस बचे है मेरी लिस्ट मे ..पर वोह फिर कभी .आप तब तक इनसे तो निपट लें।
बुधवार, 27 मई 2009
गुरुवार, 14 मई 2009
मैं और मेरी नौकरी -पार्ट १२
दोस्तों, चुनाव का मौसम है, आइये आपको अपनी कार्यालय रूपी डेमोक्रेसी से आपको दो चार करता हूँ॥
भारत की तरह हमारे कार्यालय में भी डेमोक्रेसी है बस सिर्फ़ सरकार का बदलाव ५ साल की जगह हर पाँच महीने में ही होता है॥ भारत के चुनाव में हर १८ साल से बड़ा व्यक्ति मतदान कर सकता है परन्तु हमारे यहाँ यह अधिकार ४० साल से ज्यादा वाले लोगों को ही प्राप्त है॥
पार्लियामेंट के हर चुनाव के साथ जनसँख्या वृधि के कारन कुल सीट बड़ा दी जाती है परन्तु सारे संसद सदस्य उसी पार्लियामेंट में आ जाते है वैसे ही हमारे कार्यालय में भी कितने भी लोग क्यों न हो समां ही जाते है॥
जितने भारत में राज्य है तकरीबन उतने ही हमारे यहाँ विभाग है॥ हर विभाग राज्यों की तरह केन्द्र की सहायता पर निर्भर रहता है॥ इसी कारन विभागों की सरकार गिराने में भी केन्द्र का महत्तपूर्ण योगदान रहता है॥ केन्द्र की घटबंधन की सरकार की तरह हमारे यह विभाग भी एक दुसरे को पटकने के लिए सदा तत्पर रहते है॥ जैसे केन्द्र कि सरकार में सारे महत्वपूर्ण विभाग सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ लोगो को मिलते है वैसे ही हमारे यहाँ...
जैसे सरकार में जितने संसद सदस्य उतने ही मंत्री वैसे ही हमारे यहाँ जितने एम्प्लोयीस वोह सारे ही मेनेजर। कई बार तो सरकार की तरह ही बिना विभाग के मेनेजर भी पाये जाते है॥ अलबत्ता मुझे कहते हुए गर्व होता है कि नारी शशक्तिकरण के मामले में हमारा कार्यालय भारत सरकार से बहुत आगे है॥ ज्यादातर मेनेजर महिलाये ही है॥
केन्द्र के हर मंत्री को सुरक्षा मुहैया करायी जाती है वैसे ही हमारे कार्यालय में हम सभी ने एक सुरक्षानामे पर हस्ताक्षर करके अपने आप को सुरक्षित कर लिया है॥ कार्यालय में किसी तरह ही हिंसा न हो इसलिए सिक्यूरिटी गौर्ड्स के हथियार भी वापस करा दिए गए है॥
संसद एक हरिटेज बिल्डिंग में गिनी जाती है ठीक हमारे कार्यालय के समान। आपको तो पता ही है किसी भी हेरिटेज बिल्डिंग में कुछ जीर्नौधार कराने से पहले अर्चेओलोगिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया कि अनुमति लेनी पड़ती है वैसे ही हमारे यहाँ भी...। पुराने हुए या टूटे हुए हिस्सों कि मर्रम्मत में हमेशा यह ध्यान रखा जाता है कि मरम्मत भी आर्ट वर्क ही लगे॥
संसद में पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद एक दूसरे पर उंगली उठा सकते है आपने देखा ही होगा उसका परिणाम यह होता है कि लोग संसद में काम ही नही करते॥ इसीलिए उंगली उठाने का अधिकार हमारे यहाँ सिर्फ़ सत्ता पक्ष को दिया गया है...अब इस प्रयोग के बाद लोग काम करते है या नही यह अभी तय नही हो पा रहा॥
संसदीय परंपरा में हर समस्या के लिए एक कमटी का गठन किया जाता है, हम भी इस परम्परा का पालन बखूबी करते है और हर कमटी कि रिपोर्ट या तो निकल ही नही पाती या उसमे यही निकलता है ...गलती दुसरे (क्लाइंट) की ही थी॥
चुनाव ख़तम हो गए है इसलिए यह पोस्ट भी ख़तम कर रहा हूँ॥ नई सरकार के बारे में लिखूंगा १६ मई के बाद॥ तब तक ... :)
भारत की तरह हमारे कार्यालय में भी डेमोक्रेसी है बस सिर्फ़ सरकार का बदलाव ५ साल की जगह हर पाँच महीने में ही होता है॥ भारत के चुनाव में हर १८ साल से बड़ा व्यक्ति मतदान कर सकता है परन्तु हमारे यहाँ यह अधिकार ४० साल से ज्यादा वाले लोगों को ही प्राप्त है॥
पार्लियामेंट के हर चुनाव के साथ जनसँख्या वृधि के कारन कुल सीट बड़ा दी जाती है परन्तु सारे संसद सदस्य उसी पार्लियामेंट में आ जाते है वैसे ही हमारे कार्यालय में भी कितने भी लोग क्यों न हो समां ही जाते है॥
जितने भारत में राज्य है तकरीबन उतने ही हमारे यहाँ विभाग है॥ हर विभाग राज्यों की तरह केन्द्र की सहायता पर निर्भर रहता है॥ इसी कारन विभागों की सरकार गिराने में भी केन्द्र का महत्तपूर्ण योगदान रहता है॥ केन्द्र की घटबंधन की सरकार की तरह हमारे यह विभाग भी एक दुसरे को पटकने के लिए सदा तत्पर रहते है॥ जैसे केन्द्र कि सरकार में सारे महत्वपूर्ण विभाग सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ लोगो को मिलते है वैसे ही हमारे यहाँ...
जैसे सरकार में जितने संसद सदस्य उतने ही मंत्री वैसे ही हमारे यहाँ जितने एम्प्लोयीस वोह सारे ही मेनेजर। कई बार तो सरकार की तरह ही बिना विभाग के मेनेजर भी पाये जाते है॥ अलबत्ता मुझे कहते हुए गर्व होता है कि नारी शशक्तिकरण के मामले में हमारा कार्यालय भारत सरकार से बहुत आगे है॥ ज्यादातर मेनेजर महिलाये ही है॥
केन्द्र के हर मंत्री को सुरक्षा मुहैया करायी जाती है वैसे ही हमारे कार्यालय में हम सभी ने एक सुरक्षानामे पर हस्ताक्षर करके अपने आप को सुरक्षित कर लिया है॥ कार्यालय में किसी तरह ही हिंसा न हो इसलिए सिक्यूरिटी गौर्ड्स के हथियार भी वापस करा दिए गए है॥
संसद एक हरिटेज बिल्डिंग में गिनी जाती है ठीक हमारे कार्यालय के समान। आपको तो पता ही है किसी भी हेरिटेज बिल्डिंग में कुछ जीर्नौधार कराने से पहले अर्चेओलोगिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया कि अनुमति लेनी पड़ती है वैसे ही हमारे यहाँ भी...। पुराने हुए या टूटे हुए हिस्सों कि मर्रम्मत में हमेशा यह ध्यान रखा जाता है कि मरम्मत भी आर्ट वर्क ही लगे॥
संसद में पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद एक दूसरे पर उंगली उठा सकते है आपने देखा ही होगा उसका परिणाम यह होता है कि लोग संसद में काम ही नही करते॥ इसीलिए उंगली उठाने का अधिकार हमारे यहाँ सिर्फ़ सत्ता पक्ष को दिया गया है...अब इस प्रयोग के बाद लोग काम करते है या नही यह अभी तय नही हो पा रहा॥
संसदीय परंपरा में हर समस्या के लिए एक कमटी का गठन किया जाता है, हम भी इस परम्परा का पालन बखूबी करते है और हर कमटी कि रिपोर्ट या तो निकल ही नही पाती या उसमे यही निकलता है ...गलती दुसरे (क्लाइंट) की ही थी॥
चुनाव ख़तम हो गए है इसलिए यह पोस्ट भी ख़तम कर रहा हूँ॥ नई सरकार के बारे में लिखूंगा १६ मई के बाद॥ तब तक ... :)
बुधवार, 18 फ़रवरी 2009
मैं और मेरी नौकरी -पार्ट 11
आदरणीय पाठकों,
पिछले २ माह से न लिखने के लिए खेद प्रकट करता हूँ। अब औपचारिकता तो निभानी ही पड़ती है। वरना आप सभी तो सोच ही रहे होंगे अच्छा हुआ ...एक पकाऊ लेखक से छुटकारा तो मिला। अब आपने पकाऊ कह ही दिया है तो झेलिये फिर से॥
विगत ३-४ माह से इस स्लोदोउन, रेसेसन, लेओफ्फ़ जैसे सब्दो ने तो नाक में दम कर दिया है। विचार आया की आप सबको लेओफ्फ़ से बचाना मेरा धर्म है सो नुस्खे बयां कर रहा हूँ ...
नुस्खा # १ : इतनी मंदी में जब काम है ही नही तो आप काम करने का दिखावा करके तो नौकरी बचा नही सकते सो आप मैनेजमेंट को यह ज़रूर दर्शायें की आप कोस्ट-कटिंग में उनके साथ है। छोटे छोटे आंकडे अपने पास रखे और रोज़ गाये जैसे की - आज अपने कितने वाट बिजली बचायी..(चिंता न करें ...यह कोई नही जान पायेगा की आप बिजली बंद करके सो रहे थे), आज आपने कितनी छोटी छोटी बात की फ़ोन पर (अब यह किसे पता की हर बार क्लाइंट ने फ़ोन आप पर पटक दिया), आज आपने कोई प्रिंट-आउट नही निकला (अरे ..प्रिंटर की स्याही तो कल के २०० पेज के पर्सनल प्रिंट आउट में ख़तम जो हो गई थी) ॥
नुस्खा # २: टॉप मैनेजमेंट के टॉमी बन जाएँ कुछ समय के लिए, और हमेशा दुम हिलाते रहे आगे पीछे॥ किसी भी काम को न ना कहें॥ इसके साथ साथ बार बार यह बताते रहे मैनेजमेंट को ..मंदी बस जाने ही वाली है॥
नुस्खा #३ : कोई स्कान्देल पकड़ लें या कर दें आपने कार्यालय में ..लेकिन होना इतना बड़ा चाहिए की कार्यालय को आपको निकालने में ही डर लगे॥ उदाहरण स्वरुप ..मैनेजमेंट में किसी के साथ डेट मार लें और डेट की ट्रांसक्रिप्ट आड़े समय के लिए सहेज कर रखे॥
नुस्खा #४ : अन्दर की बातों के भागी बने..जैसे की HR और एक्कोउन्ट्स वाले होते है॥ आपने शायद ही सुना हो इन लोगों की नौकरी पहले जाते हुए॥
नुस्खा # ५ : यह बात आग की तरह फैलाये पुरे ऑफिस में की मंदी है.. लेकिन आपकी स्किल्लस और एक्सपेरिएंस वाले रेसौर्सस का ज़बरदस्त टोटा है मार्केट में॥ यह तो आप का आपने काम ,से और कंपनी से लगाव है जिसकी वजह से आप रुके हुए है बरना आपको तो दसियों नौकरी के ओफ्फेर्स हैं॥
नुस्खा # ६ : मंदी की मार से बचने के लिए मैनेजमेंट को पैसे बनाने के नए नए जुगाड़ बताएं॥ लेकिन यह ध्यान रहे की इस जुगाड़ पर काम करना सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको ही आता हो॥ अगर आपका जुगाड़ काम न भी करे तो क्या ..आप मंदी का रोना फिर रो दे और एक नया जुगाड़ पेश कर दें॥
नुस्खा # ७ : जिनको आपसे ज्यादा इम्पोरतांस मिलती हो या ज्यादा ज्ञान हो या ज्यादा पैसे मिलते हो ...यह सही समय है अपनी खुनस निकलने का ..मैनेजमेंट को रोज़ आग लगायें... इस रोल की आज ज़रूरत नही है ...उस बन्दे का काम तो आप ही कर सकते है...ऐसा रोज़ करने से आपके रस्ते का कांटा भी साफ़ और आपकी नौकरी और भी पक्की॥
नुस्खा # ८ : अगर तनख्वाह में कमी की बात उठे तो आप सबसे पहले हाँ करें। यह कदम उठाने के बाद मैनेजमेंट मजबूर हो जायेगा आपको पुरी मंदी के दौरान झेलने को॥ इससे अच्छा क्या होगा -- न काम करना और ठीक ठाक पैसे भी॥
नुस्खा # ९ : जैसे ही आपको आपने HR वाले सूत्रों से पता चले कि आपका नाम भी छटनी वाली लिस्ट में हैं ..आप तुंरत ही एक ऐसा बिज़नस केस पेश कर दें जिसमे अरबों डोल्लार्स का सपना हो॥ कंपनी इस सपने में जीते हुए आपको कम से कम ४-५ महीने तो झेल ही जायेगी॥
नुस्खा # १० : वैसे तो ऊपर दिए नुस्खे राम बाड़ है लेकिन हमारी मिस्सिएल्स कि तरह कभी न चले तो इसकी तैयारी स्वरुप आप ऑफिस के प्रिंटर, पन्नों, इन्टरनेट और डाटाबेस का भरपूर उपयोग करें आपने लिए एक नया घरोंदा ढूँढने के लिए॥
चलिए आप इन नुस्खों पर अमल करना सीखिए तब तक मैं ज़रा अपनी नौकरी बचा के आता हूँ॥
पिछले २ माह से न लिखने के लिए खेद प्रकट करता हूँ। अब औपचारिकता तो निभानी ही पड़ती है। वरना आप सभी तो सोच ही रहे होंगे अच्छा हुआ ...एक पकाऊ लेखक से छुटकारा तो मिला। अब आपने पकाऊ कह ही दिया है तो झेलिये फिर से॥
विगत ३-४ माह से इस स्लोदोउन, रेसेसन, लेओफ्फ़ जैसे सब्दो ने तो नाक में दम कर दिया है। विचार आया की आप सबको लेओफ्फ़ से बचाना मेरा धर्म है सो नुस्खे बयां कर रहा हूँ ...
नुस्खा # १ : इतनी मंदी में जब काम है ही नही तो आप काम करने का दिखावा करके तो नौकरी बचा नही सकते सो आप मैनेजमेंट को यह ज़रूर दर्शायें की आप कोस्ट-कटिंग में उनके साथ है। छोटे छोटे आंकडे अपने पास रखे और रोज़ गाये जैसे की - आज अपने कितने वाट बिजली बचायी..(चिंता न करें ...यह कोई नही जान पायेगा की आप बिजली बंद करके सो रहे थे), आज आपने कितनी छोटी छोटी बात की फ़ोन पर (अब यह किसे पता की हर बार क्लाइंट ने फ़ोन आप पर पटक दिया), आज आपने कोई प्रिंट-आउट नही निकला (अरे ..प्रिंटर की स्याही तो कल के २०० पेज के पर्सनल प्रिंट आउट में ख़तम जो हो गई थी) ॥
नुस्खा # २: टॉप मैनेजमेंट के टॉमी बन जाएँ कुछ समय के लिए, और हमेशा दुम हिलाते रहे आगे पीछे॥ किसी भी काम को न ना कहें॥ इसके साथ साथ बार बार यह बताते रहे मैनेजमेंट को ..मंदी बस जाने ही वाली है॥
नुस्खा #३ : कोई स्कान्देल पकड़ लें या कर दें आपने कार्यालय में ..लेकिन होना इतना बड़ा चाहिए की कार्यालय को आपको निकालने में ही डर लगे॥ उदाहरण स्वरुप ..मैनेजमेंट में किसी के साथ डेट मार लें और डेट की ट्रांसक्रिप्ट आड़े समय के लिए सहेज कर रखे॥
नुस्खा #४ : अन्दर की बातों के भागी बने..जैसे की HR और एक्कोउन्ट्स वाले होते है॥ आपने शायद ही सुना हो इन लोगों की नौकरी पहले जाते हुए॥
नुस्खा # ५ : यह बात आग की तरह फैलाये पुरे ऑफिस में की मंदी है.. लेकिन आपकी स्किल्लस और एक्सपेरिएंस वाले रेसौर्सस का ज़बरदस्त टोटा है मार्केट में॥ यह तो आप का आपने काम ,से और कंपनी से लगाव है जिसकी वजह से आप रुके हुए है बरना आपको तो दसियों नौकरी के ओफ्फेर्स हैं॥
नुस्खा # ६ : मंदी की मार से बचने के लिए मैनेजमेंट को पैसे बनाने के नए नए जुगाड़ बताएं॥ लेकिन यह ध्यान रहे की इस जुगाड़ पर काम करना सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको ही आता हो॥ अगर आपका जुगाड़ काम न भी करे तो क्या ..आप मंदी का रोना फिर रो दे और एक नया जुगाड़ पेश कर दें॥
नुस्खा # ७ : जिनको आपसे ज्यादा इम्पोरतांस मिलती हो या ज्यादा ज्ञान हो या ज्यादा पैसे मिलते हो ...यह सही समय है अपनी खुनस निकलने का ..मैनेजमेंट को रोज़ आग लगायें... इस रोल की आज ज़रूरत नही है ...उस बन्दे का काम तो आप ही कर सकते है...ऐसा रोज़ करने से आपके रस्ते का कांटा भी साफ़ और आपकी नौकरी और भी पक्की॥
नुस्खा # ८ : अगर तनख्वाह में कमी की बात उठे तो आप सबसे पहले हाँ करें। यह कदम उठाने के बाद मैनेजमेंट मजबूर हो जायेगा आपको पुरी मंदी के दौरान झेलने को॥ इससे अच्छा क्या होगा -- न काम करना और ठीक ठाक पैसे भी॥
नुस्खा # ९ : जैसे ही आपको आपने HR वाले सूत्रों से पता चले कि आपका नाम भी छटनी वाली लिस्ट में हैं ..आप तुंरत ही एक ऐसा बिज़नस केस पेश कर दें जिसमे अरबों डोल्लार्स का सपना हो॥ कंपनी इस सपने में जीते हुए आपको कम से कम ४-५ महीने तो झेल ही जायेगी॥
नुस्खा # १० : वैसे तो ऊपर दिए नुस्खे राम बाड़ है लेकिन हमारी मिस्सिएल्स कि तरह कभी न चले तो इसकी तैयारी स्वरुप आप ऑफिस के प्रिंटर, पन्नों, इन्टरनेट और डाटाबेस का भरपूर उपयोग करें आपने लिए एक नया घरोंदा ढूँढने के लिए॥
चलिए आप इन नुस्खों पर अमल करना सीखिए तब तक मैं ज़रा अपनी नौकरी बचा के आता हूँ॥
मंगलवार, 2 दिसंबर 2008
में और मेरी नौकरी -पार्ट १०
आप सोच रहे होगे की पिछले १० दिन से कहाँ लापता हो गया मैं। बड़ी उधेड़बुन में था...जब से यह मुंबई में थैंक्स गिविंग का उत्सव २ बड़े बड़े होटलों में मनाया गया। जानकार इस उत्सव को आतंकबाद कह रहे है है॥ पहले लगा की यह आतंकबाद कोई शहर का नाम है जैसे गज़िअबाद, हैदराबाद आदि। पर बाद में मेरी मोटी बुद्दि में अटा की भइया यह तो कुछ और ही है॥
तुंरत विचार कुलाचें मारने लगे कि हमारा कार्यालय इस आतंकबाद से निपटने के लिए कितना तैयार है॥ आईये आपको इससे अवगत कराता हूँ॥
जैसा कि आपको पहले समझा चुका हूँ कि हमारे कार्यालय में घुसने पर एक तो आतंकवादी तो अपनी उंगली काली मशीन में डाल कर पहचान करनी होगी..जैसा आपको पता है मशीन पहली या दूसरी बार में तो किसी तो नही पहचानती सो आतंवादी भाई तो रजिस्टर में एंट्री करनी होगी और वोह पकड़ा जाएगा॥ अगर इससे भी काम न बना तो बसता चेक्किंग में तो ज़रूर ही धर लिया जायेगा...अब छुपा के तो हम लोग भी रोज जाने कितनी वर्जित चीजे लाते और ले जाते है है॥ सोचिये इतनी सघन जांच के बाद बेचारा आतंकवादी विसिटर का बिल्ला गले में लटकाएं अंदर दाखिल होगा...फिर उसकी मुसीबत ...विसिटर तो लोबी के आगे अलावुद ही नही है। लोबी में तो उससे बड़े धुरंदर हैं॥
जैसे तैसे बेचारा सबकी नज़र बचा के कही रसातल में पहुच भी गया तो उसके द्वारा किए गए नुक्सान पर भी टी डी एस काटने के लिए हमारा अच्कोउन्ट्स डिपार्टमेन्ट तो है ही॥ बिचारा आतंकवादी... ज़िन्दगी गुज़र जायेगी पर यह न समझ पायेगा कि क्या पाया क्या खोया॥
वहां से बचा तो सीधे सर्वर रूम में जा फंसेगा..वहां तो पहले से ही ऐसे लोगों को पकड़ने के बड़ी बड़ी जाली वाली रेक्स लगायी गई है ..कि आतंकवादी आए और हम उसको बंद करें॥ इसीलिए तो उनको खाली रखा है..अब सर्वर ज्यादा ज़रूरी है या सुरक्षा..आप ही बताइए॥ अगर गलती से आतंकवादी ने एक दो धमाके किए तो समझो वोह तो गया काम से... सी डी , सी डी या हार्डडिस्क हार्डडिस्क या सर्वर सर्वर फेंक फेंक कर चलनी कर देंगे॥ आखिर दूरदर्शिता इसी को कहते है...सारा सामान लोहा लाट पुराने ज़माने का रखा है...कि चोट लगे तो ज़रा धमक आतंकवादी के आकाओं तक जाए॥
सुना यह आतंकवादी लोग हमले के टाइम अपने कार्यालय के संपर्क में निरंतर रहते है॥ अब यहाँ भी हमारी दूरदर्शिता देखिये ..आईएसडी तो किसी फ़ोन से मिलेगी ही नही..अगर फ़ोन लगेगा भी तो सिर्फ़ अमरीका ...जहाँ इन बेचारों के दुश्मन आँख गडाये पहले ही बैठे है॥ ऊपर से इन लोग कि कोड वर्ड वाली भाषा का भी अर्थ का अनर्थ होते देर न लगेगी हमारी टेलीफोन लाइन पर...भाई पूछेगा ..हमला कर दूँ...उधर उसके आका को समझ आएगा हाँ मेल कर दो.... हो गया सत्यानाश... आया था नाश करने और फंस गया हमारे ईमेल सर्वर के जाल में॥
अब मान लीजिये कहीं धमाके से आग लग भी गई तो उसका भी पूरा प्रबंध है...उस पर फायर बुझाने वाले यन्त्र का इस्तेमाल करेंगे॥ सुना है इस यन्त्र से फोम निकलता है..बताओ आग कि आग बुझाये और साथ में नहाने और शव बनाने के लिए फोम भी। वैसे इसको चलने कि विधि का फ अ क्यू बोर्ड पर चिपका है..सो पढ़ के अवश्य चला ही लेंगे॥
यह लोग सुना बंधक भी बनाते हैं अपनी बात मनवाने के लिए॥ सोचिये हमारे यहाँ अगर महिलाएं बंधक बनी तो बेचारा पागल हो जायेगा..एक तो उनकी बातें और दूसरा हर घंटे वाशरूम का चक्कर देखने को कि कहीं लिपपेंट बिगाडा तो नही॥ आखिर पूरा इवेंट टेलिविज़न पर लाइव जो आह रहा है॥ और पुरूष भाई लोग तो उससे भी खतरनाक..वोह तो तुंरत बोलेंगे आज कि फ्री में पगार दिलाने के लिए धन्यवाद् आतंकवादी भाई॥ कहते है कि बंधक के लिए यह लोग पैसे मांगते है...पैसे और यहाँ...मैनेजमेंट यही बोलेगा..भाई इन सब को रख लो वैसे भी कोस्ट-कटिंग में अगला नम्बर इन सब का ही था॥ बेचारा ज्यादा देर तक बंधक न रखेगा क्युकी टीवी पर भी सिर्फ़ दूरदर्शन ही आह रहा होगा...कैसे टाइम कटेगा उसका॥
यानि सौ आने कि बात यह है कि हमारा कार्यालय पूरी तरह तैयार है इन आतंकवादियों के लिए॥
तुंरत विचार कुलाचें मारने लगे कि हमारा कार्यालय इस आतंकबाद से निपटने के लिए कितना तैयार है॥ आईये आपको इससे अवगत कराता हूँ॥
जैसा कि आपको पहले समझा चुका हूँ कि हमारे कार्यालय में घुसने पर एक तो आतंकवादी तो अपनी उंगली काली मशीन में डाल कर पहचान करनी होगी..जैसा आपको पता है मशीन पहली या दूसरी बार में तो किसी तो नही पहचानती सो आतंवादी भाई तो रजिस्टर में एंट्री करनी होगी और वोह पकड़ा जाएगा॥ अगर इससे भी काम न बना तो बसता चेक्किंग में तो ज़रूर ही धर लिया जायेगा...अब छुपा के तो हम लोग भी रोज जाने कितनी वर्जित चीजे लाते और ले जाते है है॥ सोचिये इतनी सघन जांच के बाद बेचारा आतंकवादी विसिटर का बिल्ला गले में लटकाएं अंदर दाखिल होगा...फिर उसकी मुसीबत ...विसिटर तो लोबी के आगे अलावुद ही नही है। लोबी में तो उससे बड़े धुरंदर हैं॥
जैसे तैसे बेचारा सबकी नज़र बचा के कही रसातल में पहुच भी गया तो उसके द्वारा किए गए नुक्सान पर भी टी डी एस काटने के लिए हमारा अच्कोउन्ट्स डिपार्टमेन्ट तो है ही॥ बिचारा आतंकवादी... ज़िन्दगी गुज़र जायेगी पर यह न समझ पायेगा कि क्या पाया क्या खोया॥
वहां से बचा तो सीधे सर्वर रूम में जा फंसेगा..वहां तो पहले से ही ऐसे लोगों को पकड़ने के बड़ी बड़ी जाली वाली रेक्स लगायी गई है ..कि आतंकवादी आए और हम उसको बंद करें॥ इसीलिए तो उनको खाली रखा है..अब सर्वर ज्यादा ज़रूरी है या सुरक्षा..आप ही बताइए॥ अगर गलती से आतंकवादी ने एक दो धमाके किए तो समझो वोह तो गया काम से... सी डी , सी डी या हार्डडिस्क हार्डडिस्क या सर्वर सर्वर फेंक फेंक कर चलनी कर देंगे॥ आखिर दूरदर्शिता इसी को कहते है...सारा सामान लोहा लाट पुराने ज़माने का रखा है...कि चोट लगे तो ज़रा धमक आतंकवादी के आकाओं तक जाए॥
सुना यह आतंकवादी लोग हमले के टाइम अपने कार्यालय के संपर्क में निरंतर रहते है॥ अब यहाँ भी हमारी दूरदर्शिता देखिये ..आईएसडी तो किसी फ़ोन से मिलेगी ही नही..अगर फ़ोन लगेगा भी तो सिर्फ़ अमरीका ...जहाँ इन बेचारों के दुश्मन आँख गडाये पहले ही बैठे है॥ ऊपर से इन लोग कि कोड वर्ड वाली भाषा का भी अर्थ का अनर्थ होते देर न लगेगी हमारी टेलीफोन लाइन पर...भाई पूछेगा ..हमला कर दूँ...उधर उसके आका को समझ आएगा हाँ मेल कर दो.... हो गया सत्यानाश... आया था नाश करने और फंस गया हमारे ईमेल सर्वर के जाल में॥
अब मान लीजिये कहीं धमाके से आग लग भी गई तो उसका भी पूरा प्रबंध है...उस पर फायर बुझाने वाले यन्त्र का इस्तेमाल करेंगे॥ सुना है इस यन्त्र से फोम निकलता है..बताओ आग कि आग बुझाये और साथ में नहाने और शव बनाने के लिए फोम भी। वैसे इसको चलने कि विधि का फ अ क्यू बोर्ड पर चिपका है..सो पढ़ के अवश्य चला ही लेंगे॥
यह लोग सुना बंधक भी बनाते हैं अपनी बात मनवाने के लिए॥ सोचिये हमारे यहाँ अगर महिलाएं बंधक बनी तो बेचारा पागल हो जायेगा..एक तो उनकी बातें और दूसरा हर घंटे वाशरूम का चक्कर देखने को कि कहीं लिपपेंट बिगाडा तो नही॥ आखिर पूरा इवेंट टेलिविज़न पर लाइव जो आह रहा है॥ और पुरूष भाई लोग तो उससे भी खतरनाक..वोह तो तुंरत बोलेंगे आज कि फ्री में पगार दिलाने के लिए धन्यवाद् आतंकवादी भाई॥ कहते है कि बंधक के लिए यह लोग पैसे मांगते है...पैसे और यहाँ...मैनेजमेंट यही बोलेगा..भाई इन सब को रख लो वैसे भी कोस्ट-कटिंग में अगला नम्बर इन सब का ही था॥ बेचारा ज्यादा देर तक बंधक न रखेगा क्युकी टीवी पर भी सिर्फ़ दूरदर्शन ही आह रहा होगा...कैसे टाइम कटेगा उसका॥
यानि सौ आने कि बात यह है कि हमारा कार्यालय पूरी तरह तैयार है इन आतंकवादियों के लिए॥
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