सोमवार, 8 फ़रवरी 2010

मैं और मेरी नौकरी - पार्ट १७

रोकेट सिंह देखी पिछले दिनों - देखते ही लग गया की यह तो अपनी ही कहानी है॥ तो दोस्तों आईये आज अपने ही धंधे की तीन पांच की जाए॥

किसी संत ने ठीक ही कहा है की अगर आपको कुछ न आता हो, नंबर अच्छे न आये हो या अपने ऊपर भरोसा न हो तो आपको सोचना कुछ नहीं है बस सेल्स पकड़ लीजिये॥ और विडावना यह देखिये कि हर कार्यालय बस सेल्स सेल्स ही करता रहता है..यानि इस लाइन में नौकरी कि तो कमी नहीं है॥ अब अगर आप किसी और लाइन में हो और खली बैठे हो तो सोचिये मत सेल्स में कूद पड़िए..करना बस इतना है ...मार्केट विसिट पर जाईये और पूरा दिन किसी हप्पेनिंग जोइंट पर बितायिये ...बस शाम को ऑफिस आके रिपोर्ट बनाना मत भूलना...वोह भी १०- १२ विसिटिंग कार्ड्स के साथ में॥ मैं तो माल में खड़ा होके बस लोगो के विसिटिंग कार्ड्स ही इक्कट्ठा करता रहता था...इस तरीके आप कम से कम २-३ महीने तो आराम से तन्क्वाह पा ही सकते है॥

सेल्स वाले कंपनी के आँख के तारे होते है जब तक कंपनी के लिए पैसे लाते है॥ परन्तु अगर इसका कहीं उल्टा हो जाए तब तो भैया बहार का रास्ता दिखाने में भी कंपनी ज़रा देर नहीं लगाती॥ लेकिन डरने कि कोई बात नहीं ...जो पिछली कंपनी का धंधा है उसको सब अपना लाया हुआ बोल के नयी कंपनी में नौकरी तो आराम से मिल ही जायेगी॥ केस को और सच्चा बनाने के लिए पुरानी कंपनी का डाटाबेस तो कंपनी में जाते ही अंटी कर लेना चाहिए॥

सेल्समैन सदा कहता है कि सेल्स एक कला है जो सिर्फ उसे आती है और उसके उलट उसकी कंपनी हमेशा येही एस्ताब्लिश करने में लगी रहती है कि सेल्स एक विज्ञानं है॥ इसी द्वंद के चलते कितनी ही कंपनियों ने अपनी रोटी सेंक ली -सेल्स फोर्स ऑटोमेसन या सी आर ऍम जैसे टूल्स बनाके॥ इस द्वंद में भी सेल्समैन ही बाजी मारता है क्युकी जब उसके कंपनी छोड़ने के बाद कोई दूसरा जब उस केस पर काम करता है तो पता चलता है कि इस नाम क़ी कंपनी ही नहीं है और वोह जो १०० - १०० डेली मेल्स जाती थी वोह तो उस कंपनी में बिज़नस को नहीं बल्कि गर्लफ्रेंड या बॉय फ्रेंड को थी॥

जबसे यह आउट सोर्सिंग का चलन बड़ा है तब से सेल्स क़ी नौकरी भी बदल गयी है ..पहले ऑफिस ऑफिस जाके बेचना होता था अब सीट पर बैठ के सैकड़ों मील दूर बैठे लोगों को चूना लगाना होता है॥ पर यह सेल्स कोम ही ऐसी है कि बाहर वालों से ज्यादा अपने घरवालों से प्यार करती है इसीलिए आरामदायक सीट पर विराजमान होकर इन्टरनेट और फ़ोन का भरपूर उपयोग अपने अपनों से सम्बन्ध सुधारने में होता हैं॥

सेल्स का गुरु मंत्र है ..कभी भी ज्यादा मेहनत मत करो और ज्यादा बिज़नस मत लाओ...जितना ज्यादा लाओगे टारगेट्स उतने ही बढ जायेंगे॥ बस महीने में एक केस क्लोस करो फिर पूरा महिना बैठ के खाओ॥ अगर कोई धंधा इस महीने आने भी वाला हो तो उसको अगले महीने खिसका दो..भैया अगले महीने भी तो नौकरी बचानी है॥

चलो भाईया अगर अगले महीने नौकरी बची तो अपने कच्चे चिट्ठे और खोलूँगा ...तब तक .....सेल्स (आराम)

सोमवार, 6 जुलाई 2009

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट १६

पिछले दो दिन से भोजन नही किया न घर में किसी को करने दिया इसी उम्मीद पर की सोमबार को बजट के त्यौहार में कहीं कुछ ऐसा न हो जाए जिससे हमको तीन दिन में एक बार रोटी खानी पड़े॥ सुबह से ही अपने टेक्सला के १४ इंच ब्लैक एंड व्हाइट टीवी के आगे दीदे गडा के बैठ गया इस उम्मीद पर की शायद इस बार मुझ जैसे छोटे कर्मचारियों / देहादी मजदूरों का कुछ भला हो जाए॥

खैर जैसे तैसे ११ बजा और संसंद भवन से जीवित प्रसारण आने लगा ... वित्त मंत्री पर ऐसी टकटकी लगायी (जैसी कभी प्रेमिका को भी नही लगायी थी ) इसी उम्मीद में की आज कुछ तो हाथ आएगा॥ जैसे ही भाषण शुरू हुआ तो पता चला वित्त मंत्री जी की आज नाक चल रही है ..समझ आया मेरा टीवी बार बार व्हाइट आउट क्यों हो रहा था॥
अब संसंद में तो किसी ने खायी या न खायी हो मैंने तो तुंरत सवाइएन फ्लू की दवा डकार ली ..लेता क्यों नही मंत्री जी ने लाइफ सेविंग दवाएं सस्ती जो कर दी॥ अब हम छोटे लोग आराम से बड़ी बड़ी बीमारी पाल सकते हैं॥

एल सी दी टीवी सस्ता करके और सेट टॉप बॉक्स मंहगा करके मंत्री जी ने उत्तम काम किया है, अब हम जैसे लोग रंगीन छवि बिल्कुल साफ़ साफ़ देख पाएंगे॥ अब बच्चे भी नही बिगाडेंगे क्युकी मंहगा सेट टॉप बॉक्स तो हम लगवा पाएंगे ही नही॥ हर महीने केबल वाले की शकल भी नही देखनी पड़ेगी॥

अब नैनो नही लेना सीधे बी ऍम डब्लू या मर्क ही लेंगे ..सस्ती जो हो गई है॥ सोच रहा हूँ ३-३ लाख का कृषि लोन पुरे परिवार के नाम दिलवा के ७% के व्याज पर सवारी ले ही लूँ॥ अब रानी मुखर्जी और ऐ बी किसान हो सकते है तो मैं क्यों नही॥ वैसे भी कृषि लोन वापस थोड़े करना होता है सिर्फ़ आत्महत्या ही करनी होती है॥ sunane में आया पेट्रोल की कीमत को बाज़ार निर्धारित करेगा... चलो कोई नही गाड़ी को ऑफिस में टैक्सी की जगह लगा दूँगा॥ अपना भी आना जाना हो जाएगा और कुछ आमदनी भी॥

मोबाइल लेने का दशकों से मन है .. इस बार कवर ले लेते है मोबाइल अगली बार॥ मोबाइल के साथ लगने वाली चीजे सस्ती जो हो गई है॥

मुझ बी पि अल कार्ड धारक को महती प्रसन्नता हुई जानकर की अब भूखा नही सोना पड़ेगा क्यों २५ किलो अनाज ३ रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलेगा॥ लेकिन सोचने की बात यह है २५ किलो अनाज रखने के लिए २०० रुपये का डिब्बा कहाँ से आयेगा॥ कोई नही खुले बाज़ार में २० रुपये प्रति किलो बेच के कुछ कमाई ही हो जायेगी॥

साल में १४० दिन काम करने वाला और १०० रुपये प्रति दिन पाने वाला मैं डायरेक्ट और इन-डायरेक्ट टेक्स को तो समझ नही पाया की उसका मुझ पर क्या प्रभाव पड़ेगा परन्तु ऊपर दिए गए सपनो अर्थात फ्रींज बेनेफिट से आज मेरा पेट अपने आप भर गया॥






बुधवार, 24 जून 2009

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट १५

दोस्तों हम सबका मन उस सीईओ वाली कुर्सी पर बैठने का करता ही है॥ वोह अलग बात है कि हममें वोह गुन पाये जाते हों या न...अब देखने से तो येही लगता ही है कि यह कार्य तो कोई भी कर लेगा॥ आपकी इस अबधारना को ग़लत साबित करने के लिए आज मैं आपको सीईओ द्वारा सहे और किए जाने वाले असहनीय कार्यों के बारे में बताऊंगा॥

सीईओ एक ऐसा ओहदा है जिसका भारीपन आपको कभी भी चैन से नही बैठने देता॥ बेचारा सीईओ खुद कि भारी तनख्वाह को सही साबित करने के चक्कर में रात हो या दिन ईमेल, समस और फ़ोन करता और झेलता रहता है॥ ऊपर से यह सब करने के कारन जो उसकी अपने घर पर जो रोज जूता पै मार होती है उसका दर्द बेचारा किसी को नही बता पाता॥

हम सब तो अपनी तनख्वाह परफॉर्मेंस अप्प्रैसल के टाइम लड़ झगड़ के बढ़वा ही लेते है परन्तु बेचारा सीईओ..वोह किससे लड़े अपनी तनख्वाह को लेके..उसके पास तो बस एक ही तरीका होता है कि कंपनी बोर्ड को हर बुरी बात भी अच्छी करके बताओ..किसका दिल गवाही देगा ऐसा झूठ बोलने को। उदहारण स्वरुप अगर किसी को निकला या कोई खुद निकल गया उसको कोस्ट सेविंग कि तरह दिखाना। या फिर टीम कि अचिएवेमेंट को अपनी लीडरशिप क्वाल्तीस कि तरह दिखाना.. मैं समझ सकता हूँ कितना दर्द होता होगा सीईओ को ऐसे झूठ बोलते हुए॥ ऊपर से कई बार तो ऐसा भी होता है की तनख्वाह बढ़ने की जगह पर्क्स और बोनस बड़ा दिया जाता है, बताइए कहाँ का इन्साफ है॥

हर छोटा बड़ा एम्प्लोयी सीईओ को अपने घरेलु फंक्शन्स में बुलाना अपनी शान समझता है और बेचारा सीईओ न चाहते हुए भी सपरिवार पहुँचता भी है इन फंक्शन्स में॥ ठीक है अब गिफ्ट और पेट्रोल का पैसा तो कंपनी के एम्प्लोयी वेलफेयर फंड से ले लेगा बेचारा सीईओ लेकिन ..टाइम कि भी तो कीमत होती है न॥

टाइम कि कीमत से याद आया अब पार्टी में अगर मन करे कि जल्दी से ४-५ पैग चडा लो पर नही एक कि पैग में पुरी रात काटनी पड़ती है धीरे धीरे सिप करते हुए और हर आए गवाहे से बात करते हुए॥ अब जिसने पार्टी पर बुलाया है वोह तो इस बेचारे को सबसे मिलवा के ही छोडेगा न॥

रोज रोज पाँच सितारा होटल में रहना और खाना किसको अच्छा लगता है..लेकिन इस बेचारे कि किस्स्मत देखिये इसको तो वही रहना और खाना पड़ेगा..कंपनी कि इज्ज़त का सवाल जो है॥ इसी तरह हर साल आपको कार, घर, लैपटॉप और फ़ोन बदलने के लिए विबश किया जाए तो आपको कैसा लगेगा॥

सीईओ को न चाहते हुए भी चमचे पालने पड़ते है जिससे कि उसको कंपनी में हो रही गातविधियों के बारे में पता चलता रहे॥ आखिर कंपनी में हो रही हर छोटी बड़ी बात जानने का उसको हक है न ॥ तरस खाईये बेचारे पर ..क्या आप इनती सारी छोटी छोटी बातों को कभी सुन और पचा पायंगे॥

एक आम नागरिक कि तरह घर का बिजली पानी का बिल या बच्चों कि फीस खुद जा के भरने का मन करे भी तो यह चमचे करने नही देते, सोचने से पहले ही काम निपटा आते है॥ कितनी कोफ्त होती होगी न सीईओ को कि वोह अपने बच्चों को जीवन कि इन छोटी छोटी चीज़ों से अवगत नही करा पा रहा॥

बेचारे का खुद काम करने का कभी मन करे तब भी यह दिन भर कि बाहियात मीटिंग्स कुछ करने ही नही देती॥ अब ११ - ५ बजे के ऑफिस में आप सिर्फ़ मीटिंग्स ही करते रहे वोह भी हाई-टी, लंच या काफ़ी पर, बोरियत तो होगी ही न ॥

हर रोज़ दिन के अंत में सीईओ येही हिसाब करता होगा आज कितना झूठ बोला, कितनी इधर कि उधर करायी, कितना वक्त बरबाद किया मीटिंग्स में आदि॥ अब बताईये क्या अब भी आप इस पोस्ट के लिए लालायित है?

सोमवार, 8 जून 2009

मैं और मेरी नौकरी - पार्ट १४

अब आप कार्यालय में एक साथ काम करते है तो मेल मिलाप होता ही है। अगर यह मेल मिलाप थोड़ा आगे भी बाद जाए तो बुरा ही क्या है॥ परन्तु ज्यादातर यह मेल मिलाप दुसरे पर चेप होने वाला होता है ...वरना हर कार्यालय में सिर्फ़ जोड़े ही नही काम करते क्या? अब सबको पेर्सोनाल्ली तो इन चेप लोगों से मिलवा नही सकता लेकिन आपको आइना ज़रूर दिखा सकता हूँ॥

आप अपनी सीट से उठकर अगर पानी और चाय लेने जाएँ और पीछे पीछे कोई और भी आ जाए, और ऐसा बार बार हो तो आप समझ जाईये आप डिमांड में है॥ आप जब भी ऑफिस में घुसे और जब भी निकले, अगर कोई आपको रोज़ अपना चेहरा दिखाए तो समझ लो भइया ट्रेन छूट पड़ी है॥ बगैर काम के भी काम निकाल कर अगर वोह मिलने की चेष्टा करें तो केस पका समझिये॥

वोह आपके सामने बैठते ही डेस्क, कॉपी, या कीबोर्ड को वाशरूम की दीवाल समझ कर उस पर स्याही पोतने लगे और लिखा क्या वोह खुद उसको न समझ पायें तो समझ लो इबारत शुरू॥ ऑरकुट, फसबुक , मसन, याहू यादी पर आपको मित्रता के आमंत्रण आने लगे और आपकी हर एक्टिविटी पर उनके पास कोई कमेन्ट हो तो जान लीजिये मित्र, वोह आपको अपने बारे में सोचने पर मजबूर कर रहे है॥

आपकी ईमेल पर रोज़ फोर्वार्देद मेसेज आने लगे जो आपको बाहियात लगें पर उन पर सुब्जेक्टलाइन हो ..रीड इट इट्स वैरी फुन्नी॥ आप जैसे तैसे वोह पड़ते है और मन ही मन खुद को कोसते है की क्यों ईमेल दिया, तभी दूसरा ईमेल या फ़ोन आ जाता है पूछने के लिए ..पड़ा न ...सो ट्रू एंड फुन्नी न ॥

आपसे आपका पसंदीदा रंग पूछा जाए और अगले ही दिन से आपको वोह उसी रंग की ड्रेस में दिखने लगे तो ....ठीक इसी तरह आपसे यह पूछना ...आपकी होब्बिएस क्या है ?..हॉबी सुनते ही तुर्रंत बोलें .. हाय येही तो मेरी भी होब्बिएस है..वी हव कोम्मोन इन्तेरेस्ट्स। यानी सौ आने की बात यह की वोह आपके पीछे हाथ धो के पड़ गए है॥

ऑफिस की पार्टी में अगर वोह आपके इर्द गिर्द ही नाचे और पार्टी में आते और जाते टाइम पिक्क और ड्राप भी घर से कराएँ तो भइया आप् तो गंभीर संकट में है..आप आज से चार पहिया चालक भी बन गए है॥ ज़रा ज़रा सी बात पर पार्टी करने या घटिया से घटिया मूवी देखने का बुलावा, तो समझ लो टका आपका ही लगना हैअब मूवी के बाद डांस करने का मन भी करता है अगर डिस्क वही हो तो ..फिर डांस के बाद पीने और खाने का तो बनता ही है अब उनके लिए आपका पैसा उनके हाथ का तो मैल हैं ही

सुबह उठते ही यह पूछने को फ़ोन आए ..उ कमिंग टु ऑफिस न, ई नीद तो दिस्कुस्स सोमेथिंग वैरी इम्पोर्तंत विथ उ ? तो समझ जाओ यह फ़ोन नही आया था यह अलार्म था जो अब से रोज दिन में १० बार बजेगा यह पूछने को ...क्या कर रहे हो? खाना खाया? मेरी मेल देखि? मेरा कॉल क्यों नही ले रहे? समस का जवाब क्यों नही दीया? ऑनलाइन क्यों नही आ रहे? .. इत्यादि इत्यादि॥ लेकिन दिन के अंत में आपको हैरानी होगी सोच के कि इस १० काल में और न ही एक बार भी ऑफिस में वोह इम्पोर्तांत बात तो की ही नहीं॥

आप अगर अपना जन्मदिन भूल भी जाएँ यह ज़रूर याद रखते है और आपको चवन्नि का गिफ्ट दे कर हज़ार का रिटर्न गिफ्ट लेते हैं और साथ में पार्टी भी॥ इतना ही नहीं अपना जन्म दिन तो आपके मोबाइल के अलार्म में ही डलवा के दम लेते है उसके ऊपर से एक महीने पहले से ही आपको याद दिलाना शुरू हो जाता है ..तुमको याद है न २० तारीख को क्या है? आप चाह कर भी यह नहीं बोल पाते ..मेरा ज़नाज़ा निकलेगा ..चलना है क्या?

उम्मीद है दोस्तों मेरे इन विचारों से आपको चेप लोगों से निजात पाने में मदद तो मिलेगी ही और सच्चा प्यार दुन्दने में भी॥