शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

टॉमी की अपील





सोसाइटी के प्रबुद्ध नागरिकों,

मैं टॉमी (जेंडर जज करने की आदत तो गयी नहीं आपकी ३७७ के जाने बाद भी), आपकी ही सोसाइटी में रहने वाला एक चार पैर वाला प्राणी| आप लोग बड़े बड़े मुद्दों का व्हाट्सप्प पर या कमिटी बना बना के चुटकी में समाधान निकल देते हो तो सोचा आज आपका ध्यान अपनी समस्याओं  की ओर भी आकर्षित किया जाए|

विगत कई वर्षों से आपके द्वारा मुझ पर लगाए जा रहे तरह तरह के आरोपों से बहुत आहत हूँ| हमारी  कुकुर कमिटी ने घंटों मंत्रणा की और कई बार आर सी एम और जी बी एम भी बुलाई परन्तु परिणाम आपके जैसा ही निकला| इसीलिए आज बाहरी सहायता के लिए आपको याद किया है|

हर सुबह या शाम आपमें से ही कोई न कोई मेरे द्वारा किये नित्य कार्य की तस्वीर भेज देता है या कोई भद्दी टिप्पड़ी, फिर आप घंटो उसी  बात पर विवाद करते रहते है| मेरा मेरी प्राइवेसी पर आपकी तरह कोई अधिकार है या नहीं? इतनी ही समस्या है तो आप अपना और मेरा डी एन ए मिलान कर लो (अपना बच्चा जो बोलते हो ) या ए आई और मशीन लर्निंग के ज़रिये समस्या का निस्तारण कर लो वैसे भी हर समस्या का हल आजकल तुम्हारे पास बायोटेक या ए आई ही है | अगर कुछ नहीं कर  सकते तो टॉमी रोबोट ले आओ| मुझसे अब यह रोज़ रोज़ की चिक चिक और बर्दाश्त नहीं होती|

मैं तो समय से सोता और उठता हूँ, रात में जाग जाग के आपके कहने पर आपके पडोसी की नींद भी हराम करता हूँ पर पता नहीं क्यों आप अपना टाइम मेरे हिसाब से कभी एडजस्ट ही न कर पाए| रात को देर से सोते हो फिर सुबह टाइम से उठ नहीं पाते या फिर जो भैया आपने मेरी सेवा में लगाए है उनका टाइम  मैनेजमेंट से दूर दूर का नाता ही नहीं है, तो आप मुझे क्यों ज़िम्मेदार मानते हो की मैं आपको ज़ोर से नीचे भगाता हूँ| जीने से जाने की ज़िद भी करता हूँ लेकिन आपका आलस मुझे लिफ्ट से जाने और उसको गन्दा करने पर मजबूर कर देता है| मुझे और मेरे साथ न भाग पाने के कारण आप मेरी रस्सी छोड़ देते हो और न चाहते हुए भी मैं आपके समाज के किसी नागरिक पर अपनी खुन्नस निकाल लेता हूँ| कुछ करिये अपने स्टेमिना का...प्लीज़ |

आप मुझे अपने बच्चे के जैसे घर पर रखते हो, कई लोग तो मुझे अपने बच्चों से भी ज़्यादा प्यार करते हैं और कईओ ने तो हमको ही बच्चा मान के देश की फॅमिली प्लानिंग में बहुत बड़ा योगदान दिया है - तो फिर आप इंसानी बच्चो के जैसे हमको पॉटी ट्रेनिंग दिलाकर अपने घर की मंहगी वाली पॉटी सीट पर हमको बैठने का सौभाग्य क्यों नहीं प्रदान करते? जब आपके द्वारा सिखाये शब्द और करतब सीख लिए तो यह तो छोटी सी विधा है| ऐसा करने से कम से कम, आपके सह निवासी जो आपको रोज कोसते है वो तो बंद कर देंगे!

इकॉनमी डाउन है और नौकरियां जा रही है तो क्या मेरा बिस्कुट और पेडीग्री का खरीदना और खाना रोक दोगे?जब देखो बोलते रहते हो कि अपना आज का देख लो पड़ोसी का वेस्ट सग्गरेगेट करके| अरे भाई समझो, जब हम पौष्टिक खाएंगे तभी तो इकॉनमी और हमारे पेट को स्टिमुलस मिलेगा और आपको सोसाइटी से बाहर तक मेरे साथ आराम से चल कर जाने का मौका| 

पहले मैं और मेरा परिवार मज़े से जंगल में रहते थे, फिर आप लोगों ने खाली जगह पर अपनी कोठियां बनायीं और मुझे सुरक्षा के लिए रखा पर अब न जाने क्या हुआ आपने सब जंगल काट के यह फ्लैट नुमा कोठरियां बना दी और मुझसे बोलते हो कि अब  इनमे रहो वह भी अपने परिवार के बिना| माना की इस टिंडर के ज़माने में आपका राइट स्वाइप हो नहीं रहा और आपका इमोशनल इम्बैलेंस अपने चरम पर है पर इसका मतलब यह तो नहीं की आप मुझे मेरी फॅमिली से अलग करके मेरा ही  मेन्टल और इमोशनल ब्रेकडाउन कर डालें| 

हमारे समाज में भेद भाव  भी आपकी ही देन हैं, पहले हम सब अलग अलग देशों में जलवायु के हिसाब से अपना ठिकाना बनाते थे पर आपके इस सेल्फी,  शेयरिंग और लाइक्स के नशे ने कहीं से उठा के कहीं ला पटका है| अपनी फोटो १० फ़िल्टर के बाद भी सही नहीं होती तो मेरी लगा के अपनी फोल्लोविंग बढ़ाने की कोशिश करते हो| 

आपके  लिए तो मैं बस एक आइस-ब्रेकर आइटम बन कर रह गया हूँ| जिनसे मिलने और बात करने की आपकी खुद तो हिम्मत होती नहीं उनसे "अअअ सो क्यूट" वाला कमेंट पाने के लिए ही तो मुझे घर ले आये| सच्ची मानो- होना आपका उस कमेंट से भी कुछ नहीं सो अच्छा होगा आप अपनी दुनिया में रहो और मैं अपनी|

भौं भौं भौं| सॉरी फॉर लॉन्ग रीड। … यही कहते है न तुम्हारी भाषा में|






बुधवार, 21 अगस्त 2019

नया युग आने वाला है!!!




"कलयुग जाने वाला है और सतयुग आने वाला है" गुरु जी ने हाल में ही गायतुंडे सर, सरताज सर और वात्स्या मेम को इस सच्चाई से अबगत कराया है| जैसे ही मुझे इस बात की भनक पड़ी तो सोचा सभी कार्यछेत्र के साथियों को भी आगाह कर दूँ, आखिर आपके लिए मेरी भी तो कोई जिम्मेदारी बनती है है न| 

श्रद्धेय गुरु  जी ने अपने ग्रन्थ में आड़ी टेढ़ी लकीरों और हाथ के छापों के जरिये हमको भविष्य में होने वाली घटनाओ और परिवर्तनों से दो चार होने के रहस्य बहुत ही सरलता से बताये है| जो मैं समझ पाया वो आपको भी परोस रहा हूँ| 

इस युग में बंजर होती धरती और बढ़ता प्रदूषण हम सब को तैयार कर रहा है कि हम नए ज़माने में पेड़ पौधों पर अपनी निर्भरता कम करें और गऊ माता और पीपल के पेड़ से प्रेरणा लेकर कार्बोन डाई ऑक्साइड से साँसे लेना सीखें| आप लिख लीजिये कुछ ही दिनों में नौकरी के विज्ञापनों में  कार्बोन डाई ऑक्साइड से सांस लेने वालों को बहुत प्राथमिकता मिलने वाली है| एयर प्यूरीफायर और इस युग के वर्कर्स और कार्यालय जो ऑक्सीजन पर काम चलाते है उन पर नये युग में विभन्न गंभीर धाराओं के अंतर्गत कार्यवाई की जा सकती है| 

सतयुग में बॉस एम्प्लोयी जैसी कोई रिलेशनशिप नहीं रहेगी सब सामान होंगे और "अहम् ब्रम्हास्मि" का मन्त्र सबको एक सामान दर्जा और ऊर्जा प्रदान करेगा | कोई भूख से नहीं तड़पेगा क्युकी गुरु जी द्वारा आविष्कारित गोली सबको भूख प्यास से निवृत कर देगी| और जब पेट में भूख की आग नहीं होगी तो इंसान काम करने या न करने के लिए पूर्णता स्वतंत्र होगा | हाँ इससे यह ज़रूर हो सकता है की फ एंड बी कम्पनीज को कुछ नया ही काम सोचना पड़े | 

नए युग में कुछ भी गलत या सही नहीं होगा तथा भाषा पर कोई रोक टोक नहीं होगी, सब एक दूसरे को उच्च श्रेणी के उदबोधनो एवं विशेषणों से बुला सकेंगे | संस्कार और सदाचार जैसे शब्दों की परिभाषा में आमूल चूल प्रतिवर्तन निश्चित है  | कार्य संभंधित पत्राचार और इन्टरपेर्सनल रिलेशन्स में भी नए शब्दों और वाक्यों का प्रयोग आम बात होगी| नयी व्याकरण सिखाने के लिए अनेकों अनेक अध्यापकों की ज़रूरत पड़ने वाली है| 

रिश्ते नाते, समाज, विश्व, यारी दोस्ती व रोजी रोटी जैसे बोझों का विनाश होना बहुत ही आवश्यक है, "अहम् ब्रम्हास्मि" के गुरुमंत्र को पूर्णता अंगीकार करने के लिए |  इस गूढ़ अर्थ को अनगिनत लोगों ने समझ कर अपनी दिनचर्या में शामिल भी कर लिया है तभी तो एक दूसरे का गला काटने पर तुले हैं| आखिर सतयुग में जाने की जल्दी सबको है| मैं तो रेडी हूँ और आप? 


शनिवार, 2 मार्च 2019

व्यावसायिक यात्रा

दोस्तों हाज़िर हूँ पूरे ८ सालों बाद अपनी नयी पोस्ट लेके!!!

यह श्रृंखला हम हिन्दुस्तानियों की कार्य सम्बंधित विदेश यात्राओं  पर आधारित है| 

सर्दी की पैकिंग : हमारे घर वाले, दोस्त और जानकार भूगोल में इतने पारंगत होते है कि हमारे देश से बहार जाने की बात सुन कर ही हमको वेदर चैनल की तरह दुनिया के किसी भी कोने में भयंकर सर्दी होने का न सिर्फ आभास कराते हैं बल्कि हमको मनवा भी देते हैं| परिणाम यह होता है की २३ किलो का बैगेज अलाउंस ओवर वेट की केटेगरी में आ जाता हैं और हम एयरपोर्ट पर अकेले ऐसे प्राणी प्रदर्शित होते है जो ३-३ बैग लिए दिख रहे रहे होते है और फिर भी यह कन्फर्म नहीं होता कि कुछ छूटा तो नहीं| और विदेश में सर्दी का आलम यह होता है कि आप निक्कर और बनियान में ही सर्दी में भी गर्मी का अहसास करते हो (भला हो उन अंडरवियर और बनियान बनाने वालो का )| उफ़ हमारे पहुँचते ही ग्लोबल वार्मिंग आ गयी | 

घर का खाना : हमको तो पैदा होते ही पता होता है कि सिर्फ भारतीय खाना ही सात्विक और स्वास्थयप्रद होता है बाकी सारी दुनिया के लोग तो बस जंक फ़ूड खा खा कर मोटे हो रहे है | हमारे पूरी, परांठे, पकोड़ी, कचौड़ी, लड्डू, अचार, खाकडे, फाफड़े, नमकीन में ही तो सिर्फ परिवार का प्यार और सेहत होती है.....वैसे हल्दीराम, ऍम. टी. आर. और आई .टी.सी भी तो आजकल हमारे परिवार वाले ही तो हैं | इसी प्यार और सेहत को समेटे होता है हमारा एक पूरा २३ किलो का बैग | बनता है भाई! अब १५ दिन के ट्रेवल में हम अपनी सेहत से खिलवाड़ थोड़े कर सकते है विदेशी खाना खाके| 

असाधारण आवभगत : अथिति देवो भव: का पूर्ण अहसास तो हमको विदेश आकर ही पता चलता है जहाँ पर हमारी पुरज़ोर आवभगत की आदत का बदला हिंदुस्तानी देवो भव: के रूप में पूर्णतया सूद के साथ वापस  किया जाता है| आवभगत का जनाब आलम यह है कि हमारे लिए पूरी-पूरी हिंदुस्तानी आदमी देखने वाली मशीनें लगा दी है इन विदेशियों ने एयरपोर्ट्स पर | ज़रूर ये लोग हमारे अंदर छुपा हुआ ज्ञान और सेहत का कोष स्कैन करके चुरा रहे है! तभी तो .... हमको इस मशीन से भला न निकाले यह तो हो ही नहीं सकता!!!

हमारे वी. आई. पी. आवभगत में कोई कमी न रह जाए इसीलिए हमारे ३-३ बस्तों को भी पूरी तब्बजो दी जाती है| इसको आप सम्मान और स्नेह की इन्तेहााँ ही कहेंगे कि हमारी पाकशैली समझने के लिए पूरी की पूरी  यंत्रों और विद्वानो की पूरी टोली लगा दी जाती है | हर बार यह बेचारे हमारी पाककला को लेकर इतने विस्मित हो जाते है कि सब सामान हमसे मांग लेते है और अपने पास रख लेते है आगे के अनुसन्धान के लिए | अब हम इनको कैसे समझाएं कि.... रहने ही देते है यह लोग न समझ पाएंगे हमको | 

इस बिग डाटा और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस  के ज़माने से दशकों पहले ही, हमने अपने विदेश यात्रा पर आये हुए हिंदुस्तानी होने के सूचक दुनिया को थमा दिए थे|  कुछ वैज्ञानिक तथ्य प्रस्तुत है :

१. आप किसी व्यावसायिक मीटिंग में किसी को अगर "यस, वी कैन दू थिस ", "यस, वी हैव डन इट", "वी कैन मैनेज सच बिग एंड काम्प्लेक्स प्रोजेक्ट्स विथ आवर प्रोवेन प्रोसेसेस" जैसे भारी भरकम सांत्वना दायी वाक्यों का प्रयोग करते देखें तो दो पल भी न सोचिये, यह हम ही है| अब वह अलग बात है कि सब प्रोजेक्ट्स में प्रोवेन प्रोसेसेज में बस थोड़ी कमी रह जाती है, क्या भाई, हम हिंदुस्तानी इंसान नहीं है?

२. अगर कोई काम के वक़्त भी हर बिल्डिंग, मोन्यूमेंट, ट्रैन और  बस में सेल्फी लेता दिखे तो भाई पहचान लेना हमको, आखिर व्हाट्सप्प, इंस्टा, एफबी पर भी तो बताना होता है न सबको कि हम विदेश यात्रा पर हैं | 

३. अगर कोई दोपहर के भोजन में चमकता हुआ लाल या हरा एप्पल और बड़ा सा केला खाता दिखे तो समझ जाइये हम विदेश यात्रा  पर हैं |  अब होटल में सुबह के नाश्ते से दोपहर के भोजन का भी काम हो जाए तो बुराई क्या है, बताइये? एक, दो फल बस ज़्यादा ही तो रखे थे लैपटॉप बैग में! वैसे फ्लेवर्ड दही, मफिन, जैम-ब्रेड वगैरह भी कई बार पता नहीं क्यों बैग में चले ही जाते है? 

४. होटल का कमरा, बस्ता  या सार्वजनिक स्थान जब तेल, मसाला, हल्दी, लहसुन, प्याज  की खुसबू से ज़ोर शोर से वातावरण को सुगन्धित करें को बस समझ जाओ हम यात्रा पर है| 

५. कैज़ुअल भेषभूषा अपनाने वाले देशों में भी जब कोई सर्दी का या शादी वाला सूट और टाई लगा के निकले तो समझ जाओ कि वी हिंदुस्तानीस मीन बिज़नेस!!

६. डाउनटाउन में अगर कोई इधर उधर भटकती या जी. पी. यस. को पीती हुई कोई आत्मा दिखे तो दो बार सोचियेगा भी मत क्युकी हम या तो इंडियन रेस्ट्रॉन्ट की तलाश में हैं  या फिर कवेयन्स के पैसे जोड़ रहे है एन्ड ऑफ़ बिज़नेस ट्रिप ख़रीददारी के लिए | 

७. शॉपिंग के वक़्त या टिप देते वक़्त अगर कोई मेन्टल मैथ्स (यह कौन करता है आजकल??)… माने फ़ोन पर कैलकुलेटर का इस्तेमाल करता दिखे तो समझ लो हम करेंसी कन्वर्शन कर रहे है| कॉक्स एंड किंग्स क्या ही हराएगा हमको इस महारत में| 

८. टैक्सी, ट्रैन, रेस्ट्रॉन्ट या किसी भी दूकान पर अगर कोई एक्स्ट्रा या खाली बिल्स मांग रहा हो तो समझ जाओ कि वह हम ही है! आखिर कार्यालय में वापस आकर खर्चे का हिसाब भी तो देना होता है | 

९. लौटते वक़्त अगर हमारे बस्ते में ड्यूटी फ्री की दो बोतल, एक नया लैपटॉप, फ़ोन, गेमिंग स्टेशन या डी. यस. एल. आर. न मिले तो हमारा नाम बदल दीजिये| आखिर ट्रिप से बची विदेशी मुद्रा हम देश थोड़े ले जायेंगे, देशभक्ति भी कोई चीज़ होती है|  

१०. वापस आने के बाद अगर २ महीने बाद तक हमसे विदेशी शैम्पू, बॉडी लोशन और  कंडीशनर की महक आये तो भाई समझ लेना तुम्हारा भाई अभी हाल ही में व्यावसायिक विदेश यात्रा करके लौटा है| 









सोमवार, 8 फ़रवरी 2010

मैं और मेरी नौकरी - पार्ट १७

रोकेट सिंह देखी पिछले दिनों - देखते ही लग गया की यह तो अपनी ही कहानी है॥ तो दोस्तों आईये आज अपने ही धंधे की तीन पांच की जाए॥

किसी संत ने ठीक ही कहा है की अगर आपको कुछ न आता हो, नंबर अच्छे न आये हो या अपने ऊपर भरोसा न हो तो आपको सोचना कुछ नहीं है बस सेल्स पकड़ लीजिये॥ और विडावना यह देखिये कि हर कार्यालय बस सेल्स सेल्स ही करता रहता है..यानि इस लाइन में नौकरी कि तो कमी नहीं है॥ अब अगर आप किसी और लाइन में हो और खली बैठे हो तो सोचिये मत सेल्स में कूद पड़िए..करना बस इतना है ...मार्केट विसिट पर जाईये और पूरा दिन किसी हप्पेनिंग जोइंट पर बितायिये ...बस शाम को ऑफिस आके रिपोर्ट बनाना मत भूलना...वोह भी १०- १२ विसिटिंग कार्ड्स के साथ में॥ मैं तो माल में खड़ा होके बस लोगो के विसिटिंग कार्ड्स ही इक्कट्ठा करता रहता था...इस तरीके आप कम से कम २-३ महीने तो आराम से तन्क्वाह पा ही सकते है॥

सेल्स वाले कंपनी के आँख के तारे होते है जब तक कंपनी के लिए पैसे लाते है॥ परन्तु अगर इसका कहीं उल्टा हो जाए तब तो भैया बहार का रास्ता दिखाने में भी कंपनी ज़रा देर नहीं लगाती॥ लेकिन डरने कि कोई बात नहीं ...जो पिछली कंपनी का धंधा है उसको सब अपना लाया हुआ बोल के नयी कंपनी में नौकरी तो आराम से मिल ही जायेगी॥ केस को और सच्चा बनाने के लिए पुरानी कंपनी का डाटाबेस तो कंपनी में जाते ही अंटी कर लेना चाहिए॥

सेल्समैन सदा कहता है कि सेल्स एक कला है जो सिर्फ उसे आती है और उसके उलट उसकी कंपनी हमेशा येही एस्ताब्लिश करने में लगी रहती है कि सेल्स एक विज्ञानं है॥ इसी द्वंद के चलते कितनी ही कंपनियों ने अपनी रोटी सेंक ली -सेल्स फोर्स ऑटोमेसन या सी आर ऍम जैसे टूल्स बनाके॥ इस द्वंद में भी सेल्समैन ही बाजी मारता है क्युकी जब उसके कंपनी छोड़ने के बाद कोई दूसरा जब उस केस पर काम करता है तो पता चलता है कि इस नाम क़ी कंपनी ही नहीं है और वोह जो १०० - १०० डेली मेल्स जाती थी वोह तो उस कंपनी में बिज़नस को नहीं बल्कि गर्लफ्रेंड या बॉय फ्रेंड को थी॥

जबसे यह आउट सोर्सिंग का चलन बड़ा है तब से सेल्स क़ी नौकरी भी बदल गयी है ..पहले ऑफिस ऑफिस जाके बेचना होता था अब सीट पर बैठ के सैकड़ों मील दूर बैठे लोगों को चूना लगाना होता है॥ पर यह सेल्स कोम ही ऐसी है कि बाहर वालों से ज्यादा अपने घरवालों से प्यार करती है इसीलिए आरामदायक सीट पर विराजमान होकर इन्टरनेट और फ़ोन का भरपूर उपयोग अपने अपनों से सम्बन्ध सुधारने में होता हैं॥

सेल्स का गुरु मंत्र है ..कभी भी ज्यादा मेहनत मत करो और ज्यादा बिज़नस मत लाओ...जितना ज्यादा लाओगे टारगेट्स उतने ही बढ जायेंगे॥ बस महीने में एक केस क्लोस करो फिर पूरा महिना बैठ के खाओ॥ अगर कोई धंधा इस महीने आने भी वाला हो तो उसको अगले महीने खिसका दो..भैया अगले महीने भी तो नौकरी बचानी है॥

चलो भाईया अगर अगले महीने नौकरी बची तो अपने कच्चे चिट्ठे और खोलूँगा ...तब तक .....सेल्स (आराम)

सोमवार, 6 जुलाई 2009

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट १६

पिछले दो दिन से भोजन नही किया न घर में किसी को करने दिया इसी उम्मीद पर की सोमबार को बजट के त्यौहार में कहीं कुछ ऐसा न हो जाए जिससे हमको तीन दिन में एक बार रोटी खानी पड़े॥ सुबह से ही अपने टेक्सला के १४ इंच ब्लैक एंड व्हाइट टीवी के आगे दीदे गडा के बैठ गया इस उम्मीद पर की शायद इस बार मुझ जैसे छोटे कर्मचारियों / देहादी मजदूरों का कुछ भला हो जाए॥

खैर जैसे तैसे ११ बजा और संसंद भवन से जीवित प्रसारण आने लगा ... वित्त मंत्री पर ऐसी टकटकी लगायी (जैसी कभी प्रेमिका को भी नही लगायी थी ) इसी उम्मीद में की आज कुछ तो हाथ आएगा॥ जैसे ही भाषण शुरू हुआ तो पता चला वित्त मंत्री जी की आज नाक चल रही है ..समझ आया मेरा टीवी बार बार व्हाइट आउट क्यों हो रहा था॥
अब संसंद में तो किसी ने खायी या न खायी हो मैंने तो तुंरत सवाइएन फ्लू की दवा डकार ली ..लेता क्यों नही मंत्री जी ने लाइफ सेविंग दवाएं सस्ती जो कर दी॥ अब हम छोटे लोग आराम से बड़ी बड़ी बीमारी पाल सकते हैं॥

एल सी दी टीवी सस्ता करके और सेट टॉप बॉक्स मंहगा करके मंत्री जी ने उत्तम काम किया है, अब हम जैसे लोग रंगीन छवि बिल्कुल साफ़ साफ़ देख पाएंगे॥ अब बच्चे भी नही बिगाडेंगे क्युकी मंहगा सेट टॉप बॉक्स तो हम लगवा पाएंगे ही नही॥ हर महीने केबल वाले की शकल भी नही देखनी पड़ेगी॥

अब नैनो नही लेना सीधे बी ऍम डब्लू या मर्क ही लेंगे ..सस्ती जो हो गई है॥ सोच रहा हूँ ३-३ लाख का कृषि लोन पुरे परिवार के नाम दिलवा के ७% के व्याज पर सवारी ले ही लूँ॥ अब रानी मुखर्जी और ऐ बी किसान हो सकते है तो मैं क्यों नही॥ वैसे भी कृषि लोन वापस थोड़े करना होता है सिर्फ़ आत्महत्या ही करनी होती है॥ sunane में आया पेट्रोल की कीमत को बाज़ार निर्धारित करेगा... चलो कोई नही गाड़ी को ऑफिस में टैक्सी की जगह लगा दूँगा॥ अपना भी आना जाना हो जाएगा और कुछ आमदनी भी॥

मोबाइल लेने का दशकों से मन है .. इस बार कवर ले लेते है मोबाइल अगली बार॥ मोबाइल के साथ लगने वाली चीजे सस्ती जो हो गई है॥

मुझ बी पि अल कार्ड धारक को महती प्रसन्नता हुई जानकर की अब भूखा नही सोना पड़ेगा क्यों २५ किलो अनाज ३ रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलेगा॥ लेकिन सोचने की बात यह है २५ किलो अनाज रखने के लिए २०० रुपये का डिब्बा कहाँ से आयेगा॥ कोई नही खुले बाज़ार में २० रुपये प्रति किलो बेच के कुछ कमाई ही हो जायेगी॥

साल में १४० दिन काम करने वाला और १०० रुपये प्रति दिन पाने वाला मैं डायरेक्ट और इन-डायरेक्ट टेक्स को तो समझ नही पाया की उसका मुझ पर क्या प्रभाव पड़ेगा परन्तु ऊपर दिए गए सपनो अर्थात फ्रींज बेनेफिट से आज मेरा पेट अपने आप भर गया॥






बुधवार, 24 जून 2009

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट १५

दोस्तों हम सबका मन उस सीईओ वाली कुर्सी पर बैठने का करता ही है॥ वोह अलग बात है कि हममें वोह गुन पाये जाते हों या न...अब देखने से तो येही लगता ही है कि यह कार्य तो कोई भी कर लेगा॥ आपकी इस अबधारना को ग़लत साबित करने के लिए आज मैं आपको सीईओ द्वारा सहे और किए जाने वाले असहनीय कार्यों के बारे में बताऊंगा॥

सीईओ एक ऐसा ओहदा है जिसका भारीपन आपको कभी भी चैन से नही बैठने देता॥ बेचारा सीईओ खुद कि भारी तनख्वाह को सही साबित करने के चक्कर में रात हो या दिन ईमेल, समस और फ़ोन करता और झेलता रहता है॥ ऊपर से यह सब करने के कारन जो उसकी अपने घर पर जो रोज जूता पै मार होती है उसका दर्द बेचारा किसी को नही बता पाता॥

हम सब तो अपनी तनख्वाह परफॉर्मेंस अप्प्रैसल के टाइम लड़ झगड़ के बढ़वा ही लेते है परन्तु बेचारा सीईओ..वोह किससे लड़े अपनी तनख्वाह को लेके..उसके पास तो बस एक ही तरीका होता है कि कंपनी बोर्ड को हर बुरी बात भी अच्छी करके बताओ..किसका दिल गवाही देगा ऐसा झूठ बोलने को। उदहारण स्वरुप अगर किसी को निकला या कोई खुद निकल गया उसको कोस्ट सेविंग कि तरह दिखाना। या फिर टीम कि अचिएवेमेंट को अपनी लीडरशिप क्वाल्तीस कि तरह दिखाना.. मैं समझ सकता हूँ कितना दर्द होता होगा सीईओ को ऐसे झूठ बोलते हुए॥ ऊपर से कई बार तो ऐसा भी होता है की तनख्वाह बढ़ने की जगह पर्क्स और बोनस बड़ा दिया जाता है, बताइए कहाँ का इन्साफ है॥

हर छोटा बड़ा एम्प्लोयी सीईओ को अपने घरेलु फंक्शन्स में बुलाना अपनी शान समझता है और बेचारा सीईओ न चाहते हुए भी सपरिवार पहुँचता भी है इन फंक्शन्स में॥ ठीक है अब गिफ्ट और पेट्रोल का पैसा तो कंपनी के एम्प्लोयी वेलफेयर फंड से ले लेगा बेचारा सीईओ लेकिन ..टाइम कि भी तो कीमत होती है न॥

टाइम कि कीमत से याद आया अब पार्टी में अगर मन करे कि जल्दी से ४-५ पैग चडा लो पर नही एक कि पैग में पुरी रात काटनी पड़ती है धीरे धीरे सिप करते हुए और हर आए गवाहे से बात करते हुए॥ अब जिसने पार्टी पर बुलाया है वोह तो इस बेचारे को सबसे मिलवा के ही छोडेगा न॥

रोज रोज पाँच सितारा होटल में रहना और खाना किसको अच्छा लगता है..लेकिन इस बेचारे कि किस्स्मत देखिये इसको तो वही रहना और खाना पड़ेगा..कंपनी कि इज्ज़त का सवाल जो है॥ इसी तरह हर साल आपको कार, घर, लैपटॉप और फ़ोन बदलने के लिए विबश किया जाए तो आपको कैसा लगेगा॥

सीईओ को न चाहते हुए भी चमचे पालने पड़ते है जिससे कि उसको कंपनी में हो रही गातविधियों के बारे में पता चलता रहे॥ आखिर कंपनी में हो रही हर छोटी बड़ी बात जानने का उसको हक है न ॥ तरस खाईये बेचारे पर ..क्या आप इनती सारी छोटी छोटी बातों को कभी सुन और पचा पायंगे॥

एक आम नागरिक कि तरह घर का बिजली पानी का बिल या बच्चों कि फीस खुद जा के भरने का मन करे भी तो यह चमचे करने नही देते, सोचने से पहले ही काम निपटा आते है॥ कितनी कोफ्त होती होगी न सीईओ को कि वोह अपने बच्चों को जीवन कि इन छोटी छोटी चीज़ों से अवगत नही करा पा रहा॥

बेचारे का खुद काम करने का कभी मन करे तब भी यह दिन भर कि बाहियात मीटिंग्स कुछ करने ही नही देती॥ अब ११ - ५ बजे के ऑफिस में आप सिर्फ़ मीटिंग्स ही करते रहे वोह भी हाई-टी, लंच या काफ़ी पर, बोरियत तो होगी ही न ॥

हर रोज़ दिन के अंत में सीईओ येही हिसाब करता होगा आज कितना झूठ बोला, कितनी इधर कि उधर करायी, कितना वक्त बरबाद किया मीटिंग्स में आदि॥ अब बताईये क्या अब भी आप इस पोस्ट के लिए लालायित है?

सोमवार, 8 जून 2009

मैं और मेरी नौकरी - पार्ट १४

अब आप कार्यालय में एक साथ काम करते है तो मेल मिलाप होता ही है। अगर यह मेल मिलाप थोड़ा आगे भी बाद जाए तो बुरा ही क्या है॥ परन्तु ज्यादातर यह मेल मिलाप दुसरे पर चेप होने वाला होता है ...वरना हर कार्यालय में सिर्फ़ जोड़े ही नही काम करते क्या? अब सबको पेर्सोनाल्ली तो इन चेप लोगों से मिलवा नही सकता लेकिन आपको आइना ज़रूर दिखा सकता हूँ॥

आप अपनी सीट से उठकर अगर पानी और चाय लेने जाएँ और पीछे पीछे कोई और भी आ जाए, और ऐसा बार बार हो तो आप समझ जाईये आप डिमांड में है॥ आप जब भी ऑफिस में घुसे और जब भी निकले, अगर कोई आपको रोज़ अपना चेहरा दिखाए तो समझ लो भइया ट्रेन छूट पड़ी है॥ बगैर काम के भी काम निकाल कर अगर वोह मिलने की चेष्टा करें तो केस पका समझिये॥

वोह आपके सामने बैठते ही डेस्क, कॉपी, या कीबोर्ड को वाशरूम की दीवाल समझ कर उस पर स्याही पोतने लगे और लिखा क्या वोह खुद उसको न समझ पायें तो समझ लो इबारत शुरू॥ ऑरकुट, फसबुक , मसन, याहू यादी पर आपको मित्रता के आमंत्रण आने लगे और आपकी हर एक्टिविटी पर उनके पास कोई कमेन्ट हो तो जान लीजिये मित्र, वोह आपको अपने बारे में सोचने पर मजबूर कर रहे है॥

आपकी ईमेल पर रोज़ फोर्वार्देद मेसेज आने लगे जो आपको बाहियात लगें पर उन पर सुब्जेक्टलाइन हो ..रीड इट इट्स वैरी फुन्नी॥ आप जैसे तैसे वोह पड़ते है और मन ही मन खुद को कोसते है की क्यों ईमेल दिया, तभी दूसरा ईमेल या फ़ोन आ जाता है पूछने के लिए ..पड़ा न ...सो ट्रू एंड फुन्नी न ॥

आपसे आपका पसंदीदा रंग पूछा जाए और अगले ही दिन से आपको वोह उसी रंग की ड्रेस में दिखने लगे तो ....ठीक इसी तरह आपसे यह पूछना ...आपकी होब्बिएस क्या है ?..हॉबी सुनते ही तुर्रंत बोलें .. हाय येही तो मेरी भी होब्बिएस है..वी हव कोम्मोन इन्तेरेस्ट्स। यानी सौ आने की बात यह की वोह आपके पीछे हाथ धो के पड़ गए है॥

ऑफिस की पार्टी में अगर वोह आपके इर्द गिर्द ही नाचे और पार्टी में आते और जाते टाइम पिक्क और ड्राप भी घर से कराएँ तो भइया आप् तो गंभीर संकट में है..आप आज से चार पहिया चालक भी बन गए है॥ ज़रा ज़रा सी बात पर पार्टी करने या घटिया से घटिया मूवी देखने का बुलावा, तो समझ लो टका आपका ही लगना हैअब मूवी के बाद डांस करने का मन भी करता है अगर डिस्क वही हो तो ..फिर डांस के बाद पीने और खाने का तो बनता ही है अब उनके लिए आपका पैसा उनके हाथ का तो मैल हैं ही

सुबह उठते ही यह पूछने को फ़ोन आए ..उ कमिंग टु ऑफिस न, ई नीद तो दिस्कुस्स सोमेथिंग वैरी इम्पोर्तंत विथ उ ? तो समझ जाओ यह फ़ोन नही आया था यह अलार्म था जो अब से रोज दिन में १० बार बजेगा यह पूछने को ...क्या कर रहे हो? खाना खाया? मेरी मेल देखि? मेरा कॉल क्यों नही ले रहे? समस का जवाब क्यों नही दीया? ऑनलाइन क्यों नही आ रहे? .. इत्यादि इत्यादि॥ लेकिन दिन के अंत में आपको हैरानी होगी सोच के कि इस १० काल में और न ही एक बार भी ऑफिस में वोह इम्पोर्तांत बात तो की ही नहीं॥

आप अगर अपना जन्मदिन भूल भी जाएँ यह ज़रूर याद रखते है और आपको चवन्नि का गिफ्ट दे कर हज़ार का रिटर्न गिफ्ट लेते हैं और साथ में पार्टी भी॥ इतना ही नहीं अपना जन्म दिन तो आपके मोबाइल के अलार्म में ही डलवा के दम लेते है उसके ऊपर से एक महीने पहले से ही आपको याद दिलाना शुरू हो जाता है ..तुमको याद है न २० तारीख को क्या है? आप चाह कर भी यह नहीं बोल पाते ..मेरा ज़नाज़ा निकलेगा ..चलना है क्या?

उम्मीद है दोस्तों मेरे इन विचारों से आपको चेप लोगों से निजात पाने में मदद तो मिलेगी ही और सच्चा प्यार दुन्दने में भी॥

बुधवार, 27 मई 2009

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट १३

दोस्तों आज मैं आपको विभिन्ह तरह के बोस्सेस से दो -चार करना चाहता हूँ॥ हर साथी की यह दिल से ख्वाइश होती है की वोह अपने बॉस को अच्छी तरह से जाने पहचाने। आपकी इस इक्छा को आज मैं पुरा करने की कोशिश करूंगा॥

) टंगडी बाज़ : यह सभी जगह पायी जाने वाली वोह प्रजाति है जिसका एक ही काम है ..टीम के काम मैं अड़ंगा लगना। इस प्रजाति के बॉस हमेशा एक ही वाक्य का प्रयोग करते है .."यह नही चलेगा..मैनेजमेंट विल नॉट अप्प्रूव इट"॥

) लाफ्फेबाज़ : हर कार्यालय मैं यह महाशय तो पाये ही पाये जाते है॥ यह लोग कहानी गड़ने मे तो गोल्ड मेडलिस्ट होते है॥ कहीं कोई भी कैसा भी डिस्कशन चल रहा हो इनके पास एक किस्सा तो होता ही है बताने को॥ इनकी एक और खूबी होती है आप चाहे इनकी बात को अनसुना भी करे तब भी यह आपको पुरी बात बता के ही छोड़ते है॥

) खाऊ : ज़िन्दगी मे एक ही मंत्र है इनका ..खाओ, खाते रहो वोह भी टीम के पैसों से॥ छोटी छोटी बात पर यह आपको पकड़ लेंगे ..यार इस बात पर तो पार्टी होनी चाहिए॥ मान न मान मैं तेरा मेहमान वाली कहावत पर अमल करना तो कोई इनसे सीखे ...अकेले नही खाते ..पुरी टीम को भी आमंत्रण दे डालते है विथ अ स्माल स्पीच - हई फ्रिएंड्स मिस्टर ..... आज हम सब को पार्टी दे रहे है ..टॉप बॉस से पहली बार मिलने की खुशी मे॥ आपका खून जल कर आधा हो जाता है जब आपके पैसे की पार्टी मे बॉस हई नही टॉप बॉस भी शामिल हो जाता है॥

) कबूतर : बड़ी आराम से पायी जाने वाली प्रजाति है यह..इनका बस एक ही काम ...कबूतर की तरह ..इधर की चिट्ठी उधर और उधर की इधर॥ अब इधर की उधर मे कुछ मसाला अपने आप लग जाता है तो इसमे इनकी क्या गलती..सब तरफ़ पोल्लुशन है ही इतना॥

) चाची : इनके पास तो घर की बातों के अलावा कुछ होता ही नही॥ आप अगर ऐसे बॉस के टीम मेंबर हैं तो तैयार हो जाईये कि बॉस के घर क्या बना, क्या क्या नया खरीदा, बच्चे क्या कर रहे है, सासू माँ के क्या हाल है इत्यादि॥ बस इनकी प्रॉब्लम इतनी है कि यह आपके बारे मे भी येही सब जानना चाहते है॥ अरे भाई ..डिस्कशन आगे कैसे बढेगा वरना॥

) नादान : इस बॉस को कुछ भी पता नही होता और हर चीज़ के लिए आपको एक ही जवाब मिलता है - लेट मी कम बेक टो यू॥ अब इसमे बिचारे बॉस कि क्या गलती ..उसको भी तो अपने बॉस के पास जाना होता है जवाब के लिए॥

) एक्स अल : इस प्राणी का एक ही काम होता है । एक्स अल शीट्स और रिपोर्ट्स तैयार करते रहना ..आपका काम न भी हो तो ठीक है पर रिपोर्ट समय पर और सही जानी चाहिए॥ रिपोर्ट से क्या होता है यह जानना आपका काम नही है ..भाई यह बॉस का काम होता है॥

) टोपीबाज़ : यह बॉस कभी ख़ुद कुछ काम नही करता सिर्फ़ काम को इधर से उधर करता है॥ वैसे मुझे लगता है यह हमारी नासमझी है बॉस के प्रोफाइल के बारे मे ..क्युकी शायद बॉस का काम येही तो होता है॥

) सांप : यह बड़ी खतरनाक तरीके के बॉस होते है। सारा काम और इन्फोर्मेशन अपनी कुंडली के नीचे दबा के रखते है आप कुछ भी मांगे आपको फुंफकार के सिवा कुछ और नही मिलता...हाँ एक दो छींटे विष के मिल जाए तो आप अपने आप को धन्य ही समझे॥

१०) टेडी : टेडी बेर की तरह इसका काम सिर्फ़ प्यार पाना होता है। कौन, किससे, कहाँ, कैसे, कब, जैसे शब्द इनके लिए निराधार होते है॥

अभी अनेक प्रकार के बोस्सेस बचे है मेरी लिस्ट मे ..पर वोह फिर कभी .आप तब तक इनसे तो निपट लें।

गुरुवार, 14 मई 2009

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट १२

दोस्तों, चुनाव का मौसम है, आइये आपको अपनी कार्यालय रूपी डेमोक्रेसी से आपको दो चार करता हूँ

भारत की तरह हमारे कार्यालय में भी डेमोक्रेसी है बस सिर्फ़ सरकार का बदलाव ५ साल की जगह हर पाँच महीने में ही होता है॥ भारत के चुनाव में हर १८ साल से बड़ा व्यक्ति मतदान कर सकता है परन्तु हमारे यहाँ यह अधिकार ४० साल से ज्यादा वाले लोगों को ही प्राप्त है॥

पार्लियामेंट के हर चुनाव के साथ जनसँख्या वृधि के कारन कुल सीट बड़ा दी जाती है परन्तु सारे संसद सदस्य उसी पार्लियामेंट में आ जाते है वैसे ही हमारे कार्यालय में भी कितने भी लोग क्यों न हो समां ही जाते है॥

जितने भारत में राज्य है तकरीबन उतने ही हमारे यहाँ विभाग है॥ हर विभाग राज्यों की तरह केन्द्र की सहायता पर निर्भर रहता है॥ इसी कारन विभागों की सरकार गिराने में भी केन्द्र का महत्तपूर्ण योगदान रहता है॥ केन्द्र की घटबंधन की सरकार की तरह हमारे यह विभाग भी एक दुसरे को पटकने के लिए सदा तत्पर रहते है॥ जैसे केन्द्र कि सरकार में सारे महत्वपूर्ण विभाग सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ लोगो को मिलते है वैसे ही हमारे यहाँ...

जैसे सरकार में जितने संसद सदस्य उतने ही मंत्री वैसे ही हमारे यहाँ जितने एम्प्लोयीस वोह सारे ही मेनेजर। कई बार तो सरकार की तरह ही बिना विभाग के मेनेजर भी पाये जाते है॥ अलबत्ता मुझे कहते हुए गर्व होता है कि नारी शशक्तिकरण के मामले में हमारा कार्यालय भारत सरकार से बहुत आगे है॥ ज्यादातर मेनेजर महिलाये ही है॥

केन्द्र के हर मंत्री को सुरक्षा मुहैया करायी जाती है वैसे ही हमारे कार्यालय में हम सभी ने एक सुरक्षानामे पर हस्ताक्षर करके अपने आप को सुरक्षित कर लिया है॥ कार्यालय में किसी तरह ही हिंसा न हो इसलिए सिक्यूरिटी गौर्ड्स के हथियार भी वापस करा दिए गए है॥

संसद एक हरिटेज बिल्डिंग में गिनी जाती है ठीक हमारे कार्यालय के समान। आपको तो पता ही है किसी भी हेरिटेज बिल्डिंग में कुछ जीर्नौधार कराने से पहले अर्चेओलोगिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया कि अनुमति लेनी पड़ती है वैसे ही हमारे यहाँ भी...। पुराने हुए या टूटे हुए हिस्सों कि मर्रम्मत में हमेशा यह ध्यान रखा जाता है कि मरम्मत भी आर्ट वर्क ही लगे॥

संसद में पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद एक दूसरे पर उंगली उठा सकते है आपने देखा ही होगा उसका परिणाम यह होता है कि लोग संसद में काम ही नही करते॥ इसीलिए उंगली उठाने का अधिकार हमारे यहाँ सिर्फ़ सत्ता पक्ष को दिया गया है...अब इस प्रयोग के बाद लोग काम करते है या नही यह अभी तय नही हो पा रहा॥

संसदीय परंपरा में हर समस्या के लिए एक कमटी का गठन किया जाता है, हम भी इस परम्परा का पालन बखूबी करते है और हर कमटी कि रिपोर्ट या तो निकल ही नही पाती या उसमे यही निकलता है ...गलती दुसरे (क्लाइंट) की ही थी॥

चुनाव ख़तम हो गए है इसलिए यह पोस्ट भी ख़तम कर रहा हूँ॥ नई सरकार के बारे में लिखूंगा १६ मई के बाद॥ तब तक ... :)

बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

मैं और मेरी नौकरी -पार्ट 11

आदरणीय पाठकों,

पिछले २ माह से न लिखने के लिए खेद प्रकट करता हूँ। अब औपचारिकता तो निभानी ही पड़ती है। वरना आप सभी तो सोच ही रहे होंगे अच्छा हुआ ...एक पकाऊ लेखक से छुटकारा तो मिला। अब आपने पकाऊ कह ही दिया है तो झेलिये फिर से॥

विगत ३-४ माह से इस स्लोदोउन, रेसेसन, लेओफ्फ़ जैसे सब्दो ने तो नाक में दम कर दिया है। विचार आया की आप सबको लेओफ्फ़ से बचाना मेरा धर्म है सो नुस्खे बयां कर रहा हूँ ...

नुस्खा # : इतनी मंदी में जब काम है ही नही तो आप काम करने का दिखावा करके तो नौकरी बचा नही सकते सो आप मैनेजमेंट को यह ज़रूर दर्शायें की आप कोस्ट-कटिंग में उनके साथ है। छोटे छोटे आंकडे अपने पास रखे और रोज़ गाये जैसे की - आज अपने कितने वाट बिजली बचायी..(चिंता न करें ...यह कोई नही जान पायेगा की आप बिजली बंद करके सो रहे थे), आज आपने कितनी छोटी छोटी बात की फ़ोन पर (अब यह किसे पता की हर बार क्लाइंट ने फ़ोन आप पर पटक दिया), आज आपने कोई प्रिंट-आउट नही निकला (अरे ..प्रिंटर की स्याही तो कल के २०० पेज के पर्सनल प्रिंट आउट में ख़तम जो हो गई थी) ॥

नुस्खा # : टॉप मैनेजमेंट के टॉमी बन जाएँ कुछ समय के लिए, और हमेशा दुम हिलाते रहे आगे पीछे॥ किसी भी काम को न ना कहें॥ इसके साथ साथ बार बार यह बताते रहे मैनेजमेंट को ..मंदी बस जाने ही वाली है॥

नुस्खा # : कोई स्कान्देल पकड़ लें या कर दें आपने कार्यालय में ..लेकिन होना इतना बड़ा चाहिए की कार्यालय को आपको निकालने में ही डर लगे॥ उदाहरण स्वरुप ..मैनेजमेंट में किसी के साथ डेट मार लें और डेट की ट्रांसक्रिप्ट आड़े समय के लिए सहेज कर रखे॥

नुस्खा # : अन्दर की बातों के भागी बने..जैसे की HR और एक्कोउन्ट्स वाले होते है॥ आपने शायद ही सुना हो इन लोगों की नौकरी पहले जाते हुए॥

नुस्खा # : यह बात आग की तरह फैलाये पुरे ऑफिस में की मंदी है.. लेकिन आपकी स्किल्लस और एक्सपेरिएंस वाले रेसौर्सस का ज़बरदस्त टोटा है मार्केट में॥ यह तो आप का आपने काम ,से और कंपनी से लगाव है जिसकी वजह से आप रुके हुए है बरना आपको तो दसियों नौकरी के ओफ्फेर्स हैं॥

नुस्खा # : मंदी की मार से बचने के लिए मैनेजमेंट को पैसे बनाने के नए नए जुगाड़ बताएं॥ लेकिन यह ध्यान रहे की इस जुगाड़ पर काम करना सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको ही आता हो॥ अगर आपका जुगाड़ काम न भी करे तो क्या ..आप मंदी का रोना फिर रो दे और एक नया जुगाड़ पेश कर दें॥

नुस्खा # : जिनको आपसे ज्यादा इम्पोरतांस मिलती हो या ज्यादा ज्ञान हो या ज्यादा पैसे मिलते हो ...यह सही समय है अपनी खुनस निकलने का ..मैनेजमेंट को रोज़ आग लगायें... इस रोल की आज ज़रूरत नही है ...उस बन्दे का काम तो आप ही कर सकते है...ऐसा रोज़ करने से आपके रस्ते का कांटा भी साफ़ और आपकी नौकरी और भी पक्की॥

नुस्खा # : अगर तनख्वाह में कमी की बात उठे तो आप सबसे पहले हाँ करें। यह कदम उठाने के बाद मैनेजमेंट मजबूर हो जायेगा आपको पुरी मंदी के दौरान झेलने को॥ इससे अच्छा क्या होगा -- न काम करना और ठीक ठाक पैसे भी॥

नुस्खा # : जैसे ही आपको आपने HR वाले सूत्रों से पता चले कि आपका नाम भी छटनी वाली लिस्ट में हैं ..आप तुंरत ही एक ऐसा बिज़नस केस पेश कर दें जिसमे अरबों डोल्लार्स का सपना हो॥ कंपनी इस सपने में जीते हुए आपको कम से कम ४-५ महीने तो झेल ही जायेगी॥

नुस्खा # १० : वैसे तो ऊपर दिए नुस्खे राम बाड़ है लेकिन हमारी मिस्सिएल्स कि तरह कभी न चले तो इसकी तैयारी स्वरुप आप ऑफिस के प्रिंटर, पन्नों, इन्टरनेट और डाटाबेस का भरपूर उपयोग करें आपने लिए एक नया घरोंदा ढूँढने के लिए॥

चलिए आप इन नुस्खों पर अमल करना सीखिए तब तक मैं ज़रा अपनी नौकरी बचा के आता हूँ॥